Sir David Edgeworth Butler: चुनावी विश्लेषणों के बेजोड़ गुरु का जाना !
Sir David Edgeworth Butler: सर डेविड को उनके दो चुनावी सिद्धांतों हेतु सदैव याद रखा जाएगा। पहला है, सुझाव/झुकाव का मापक” (स्विंगेमीटर)।
Sir David Edgeworth Butler: विश्व में मत (वोट) शास्त्र के योग्यतम निष्णात सर डेविड एडगवर्थ बटलर (Sir David Edgeworth Butler) के निधन (आज : 11 नवंबर 2022) से लोकतंत्र में जन चयन-प्रक्रिया का मनीषी नहीं रहा। यह खबर भाषाई अखबारों द्वारा उपेक्षित रही। सर डेविड की रचना : "इंडिया डिसाइडस : 1952 से 1982 तक" भारतीय राजनीति पर एक लब्धप्रतिष्ठित भाष्यग्रंथ है। आठ लोकसभा निर्वाचनों की विवेचना है। जवाहरलाल नेहरू से जनता पार्टी के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Prime Minister Morarji Desai) से होते हुए इंदिरा गांधी के द्वारा सत्ता पर वापसी का विशेष निदान है।
त्रिशंकु संसद और विधानसभा पर उनकी खोज अद्भुत है। प्रत्येक टीवी एंकर तथा राजनीतिक संवाददाता के लिए क्रीड़ाशास्त्र कला पर यह रचना बाईबिल, कुरान, गीता है। सर डेविड द्वारा प्रस्तुत यह ग्रंथ पाणिनी के अष्टध्यायी सूत्र पर टिप्पणीकार ("महाभाष्य" के लेखक) पतंजलि की याद दिलाती है।
सर डेविड के चुनावी सिद्धांत
सर डेविड को उनके दो चुनावी सिद्धांतों हेतु सदैव याद रखा जाएगा। पहला है : "सुझाव/झुकाव का मापक" (स्विंगेमीटर)। अर्थात इससे पत्रकार पार्टीवार लोकरुचि तथा जनसमर्थन का आंकलन करते हैं। इंग्लैंड के संसदीय आम चुनावों में परिवर्तनशील मतदाता की चाहत को जानने का यह मानदंड रहा। सर डेविड बटलर ने इसे आविष्कृत किया था। रॉबर्ट मेकेंजी ने परिष्कृत किया था। इससे मतदाता की रूचि, रुझान और रूख का अंदाजा हो जाता है। ब्रिटेन के 1955 के आम चुनाव को बीबीसी द्वारा पहली बार कवर किया गया था। मतदान के मसलों पर वोटर के झुकाव को समझाया गया था। चुनाव परिणामों के बाद दलबदलुओं पर भी समालोचना रखी गई थी। मसलन सर विंस्टन चर्चिल का किस्सा मशहूर है।
वे मूलतः लिबरल पार्टी के सदस्य थे। सत्तालोलुपता के कारण वे रूढ़ीवादी (कंसर्वेटिव पार्टी) में चले गए। एकदा वे लंदन में संसद भवन गए। वहां उन्हें देखकर ताज्जुब हुआ कि लिबरल पार्टी के कई सदस्य अपना-अपना कोट पलटकर उल्टा पहने हुए हैं। ऐसे बौद्धिक परिहास के असली भावार्थ जान कर वे वहां से भाग गए। अंग्रेजी में दल-बदलू को "टर्नकोट" कहते हैं। हालांकि बाद में यही चर्चिल प्रधानमंत्री बनकर हिटलर से भिड़े। भारत की आजादी के वे घोर विरोधी रहे। महात्मा गांधी के यरवदा जेल में आमरण अनशन पर चर्चिल ने अपने वायसराय लार्ड एडवर्ड इर्विन (मार्च 1931) को आदेश दिया था। कि बापू की मृत्यु की "शुभ खबर" तत्काल लंदन पहुंचाई जाए। पर बापू भारत को आजाद कर ही हत्यारे नाथूराम की गोली से शहीद हुए। चर्चिल ने शोक भी नहीं व्यक्त किया था।
सर डेविड के इस स्विंगमीटर को बाद में कंप्यूटर के सहारे आरेखन द्वारा अधिक परिष्कृत कर दिया गया था। ब्रिटेन के संसदीय आम चुनाव (1964) में राष्ट्रीय रुझान से अनुमान लगाया गया था कि साढ़े तीन प्रतिशत मतदाता लेबर पार्टी के पक्षधर होंगे। सर्वे के मुताबिक कंसेर्वटिव पार्टी हार गई।
सर डेविड का क्यूब (घनफल) नियम
दूसरा चुनावी नियम सर डेविड का था : "क्यूब (घनफल) नियम।" यह 1969 में प्रयोग मे आया। इसके अनुसार लगभग सभी सीटों का विश्लेषण किया जा सकता था। मगर यह प्रयोग केवल दो-पार्टी व्यवस्था में ही चल सकती थी। बाद में बहु-दलीय मतदान के समय यह त्याग दी गई।
सर डेविड भारतीय चुनावी सियासत से निकटतम तौर से जुड़े रहे। उन्होंने चुनाव पर 43 किताबें लिखी। सर्वप्रथम बीबीसी टीवी पर उन्होंने ही मतदान समीक्षा शुरू की थी। नफील्ड कोलेज ही उनकी शोध कार्यशाला थी। सन 1958 के ब्रिटिश आम चुनाव में उनका "स्विंगमीटर" खूब लोकप्रिय हुआ था। उनकी श्लाघा में कहा जाता था कि लोकतांत्रिक चयन का सम्यक वैज्ञानिक विश्लेषण उन्हीं की देन है। सर डेविड के बारे में कहा जाता था कि वे गणित को आर्क्मेडीज को तथा भौतिक शास्त्री न्यूटन को भी पढ़ा देंगे। संख्यिकी मे पारंगत सर डेविड को भारतीय राजनेता को स्मरण कर श्रद्धांजलि देनी चाहिए। मगर मुद्दा है अपने कितने विधायकों और सांसदों ने सर डेविड बटलर का नाम भी सुना होगा। उन सबकी प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था तत्काल करानी चाहिए।