भारत के लिए AI या RI क्या आवश्यक है
AI का प्रयोग एक महिला के विरूद्ध अत्यंत घातक सिद्ध हो सकता है एवं अपराधियों के लिए तो एक स्वप्न के समान है, जिसके प्रयोग से उनके द्वारा किसी भी बैंक खाते से अवैध रूप से धन निकालना अत्यंत सरल कार्य हो जाएगा।
योगेश मोहन
भारत, विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र है। भ्रष्टाचार एवं अपराधों के क्षेत्र में भारत की गणना विश्व में अग्रणी स्थान पर होती है। वर्तमान समय में एक नवीन तकनीक AI (Artificial Intelligence) का प्रचलन विकसित देशों में वृहद रूप से होना प्रारम्भ हो गया है। जहाँ उसके अनेक लाभ हैं, वही उसके दुष्प्रभाव भी कम नहीं है। AI का आविष्कार मनुष्य की सहायता के लिए हुआ है, परन्तु अपराध जगत के लिए भी इसका प्रयोग एक वरदान के समान है, जोकि देश की सुरक्षा के समक्ष एक गम्भीर समस्या होगी, जिसको अभी भारत के सुरक्षाबलों के लिए रोकना सम्भव नहीं होगा। इसके भविष्य में होने वाले सम्भावित नकारात्मक प्रयोगों का एक उदाहरण अमेरिका के चुनाव में स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा है, जिसके प्रयोग से दोनों प्रतिद्वंद्वी एक दूसरे के विरूद्ध चरित्र हनन एवं अन्य भ्रष्टाचार के आरोपो को प्रदर्शित कर रहे हैं परन्तु जब उन आरोपों की वास्तविकता का AI के वैज्ञानिकों ने गम्भीर परीक्षण किया तो ज्ञात हुआ कि वे सभी आरोप फर्जी हैं।
इस उदाहरण से स्पष्ट होता है कि AI का प्रयोग एक महिला के विरूद्ध अत्यंत घातक सिद्ध हो सकता है एवं अपराधियों के लिए तो एक स्वप्न के समान है, जिसके प्रयोग से उनके द्वारा किसी भी बैंक खाते से अवैध रूप से धन निकालना अत्यंत सरल कार्य हो जाएगा। इतना ही नहीं राजनीतिज्ञों के द्वारा विपक्षियों के विरूद्ध झूठा एवं दुष्प्रचार करना बहुत सरल हो जाएगा। इसके साक्ष्य हमें भारत में भी मिलने प्रारम्भ हो गए हैं। भारत एक विकासशील देश है, जिसकी अधिकांश जनसंख्या आज भी बेरोजगारी से त्रस्त है। ऐसी स्थिति में यदि AI के प्रयोग यहाँ भी वृहद स्तर पर होने लगा तो भारत में बेरोजगारों की संख्या आशा से भी कहीं अधिक हो जाएगी और हमारा देश एक विकट स्थिति में पहुँच जाएगा।
हमारा देश रीति-रिवाजों एवं परम्पराओं को मानने वाला देश है। अतः हमारे लिए प्राचीन ऋषि-मुनियों के द्वारा प्रत्येक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु असंख्य खोज की गई। जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि यहाँ के निवासियों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त व्यवस्था RI (Rishi Intelligence) है, जिसके अन्तर्गत ऋषियों के द्वारा स्थापित प्राचीन तकनीकों के अनुरूप केरल में केन्द्र स्थापित किया गया है। हमें यह भी विस्मरण नहीं करना चाहिए कि राम राज्य एवं पांडवों के समय हमारा देश प्रत्येक क्षेत्र में बहुत विकसित था। यहाँ सभी प्रकार के उन्नत अस्त्र-शस्त्र, विश्व की सर्वौत्तम चिकित्सा एवं शिक्षा व्यवस्था थी। इसी कारण उस समय भारत को सोने की चिड़िया के नाम से सम्बोधित किया जाता था, यह सब ऋषि इन्टेलिजेंस के कारण ही सम्भव था।
RI के अन्तर्गत संतान, माता-पिता की आज्ञाकारी एवं सेवक, गुरूओं को पिता सदृश सम्मान देने वाली, चरित्रवान व्यक्तित्व, देश के प्रति सवर्स्व न्यौछावर के लिए लिए तत्पर रहती थी, अपराधिक घटनाएँ नगण्य थी, चहुँ ओर खुशहाली और लक्ष्मी माँ की कृपा विराजमान रहती थी। उस समय सुरक्षा व्यवस्था राजनीतिक भ्रष्टाचार से पूर्णतया मुक्त थी, तत्कालीन विज्ञान, आज के विज्ञान से अत्यधिक श्रेष्ठ स्थिति में था। हमारी सभ्यता इतनी उन्नत थी कि हमारे लिए चन्द्रमा व सूर्य पर जाना भी मात्र एक खेल के सदृश था, नदियाँ प्रदूषण रहित थी, गंगा का जल निर्मल एवं शुद्ध था, जिसके प्रयोग से शरीर के 90 प्रतिशत रोग स्वयं ही दूर हो जाते थे। उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा कि स्वर्ग और भारत में कोई विशेष अन्तर नहीं था। इसका सारा श्रेय RI अर्थात् ऋषियों के ज्ञान को जाता है।
( लेखक शिक्षाविद हैं)