India Politics: वयस्क कब होगा विपक्ष ?
India Politics: आठ प्रधानमंत्री उपजे वहां से। महाबली बाप-बेटी नेहरू और इंदिरा गांधी को मिलाकर। दशकों तक लखनऊ में केवल HAL तथा स्कूटर्स इंडिया ही भारी उद्योग थे।
India Politics: प्रतीक्षारत पीएम राहुल गांधी भले ही 52 वर्ष की ढलती, अधेड़ आयु के राजनेता हों, पर उनकी मेधा तो कमसिन लगती है। वर्ना यह संसदीय विपक्ष के नेता (काबीना मंत्री के दर्जाप्राप्त) मांग न करते कि दो राज्यों को बजट में अधिक वित्तीय मदद नहीं देना चाहिए। राहुल को आत्मावलोकन करना चाहिए था कि उनका गृहराज्य यूपी आज भी पिछड़ा क्यों पड़ा है ? आठ प्रधानमंत्री उपजे वहां से। महाबली बाप-बेटी नेहरू और इंदिरा गांधी को मिलाकर। दशकों तक लखनऊ में केवल HAL तथा स्कूटर्स इंडिया ही भारी उद्योग थे।
राहुल गांधी की पुश्तैनी जागीर (रायबरेली) तो उनके दादा, दादी और अम्मा का क्षेत्र रहा। खुद वे भी रहे हैं। इसी दौर में बंजर गुजरात में नर्मदा का पानी सवा ग्यारह सौ किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के अनूपपुर के अमरकटक से स्फुरित होकर साबरमती तक पहुंच गया। हैरानी होती है याद कर कि 2001 तक साबरमती नदी की बालुई सतह को पैदल पार कर हम चलते थे। हमारा कार्यालय "टाइम्स आफ इंडिया" सटा हुआ था। आज वह मशहूर रिवरफ्रंट है जिसे चीन के शी और अमेरिका के ट्रंप भी देख चुके हैं। नरेंद्र मोदी यहीं के वासी हैं।
बात करें नीतीश कुमार की। उन्हें आम बिहारी की काहिली और केंद्र की निरंतर उपेक्षा भुगतनी पड़ी। फिर भी वे विकास पुरुष कहलाएं। एकदा मुख्यमंत्री नीतीश हमारे राष्ट्रीय सम्मेलन (IFWJ) का उद्घाटन करने राजगीर आए। उसी दिन यादव दंपति (लालू-राबड़ी) ने बिहार बंद का आह्वान किया था। मैं चिंतित था कि हजारों पत्रकार देशभर से पटना होते हुए आ रहे थे। नीतीशभाई ने मेरी आशंका का निराकरण करते मुझे बताया कि "सत्रह सालों तक इस यादव जोड़े ने बिहार बंद रखा। एक दिन और सही।" असलियत यही थी। मगर आज सजायाफ्ता, चारा चोर लालू यादव बिहार के लिए विशेष दर्जा की मांग कर रहे हैं ? वाह !
विकास के स्वप्नदृष्टा नारा चंद्रबाबू नायडू ने संयुक्त आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बनकर रेतीले, पथरीले, निजाम द्वारा सदियों से उपेक्षित तेलंगाना को चमन बना दिया था। हैदराबाद दमक उठा। मगर मनमोहन सिंह सरकार ने राज्य को खंडित कर दिया था। विकास ठप हो गया। उधर वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने चंद्रबाबू की स्वप्निल राजधानी अमरावती को ठप कराकर, लूट पाट किया। तिरुपति के मंदिर न्यास का अध्यक्ष ईसाई को नामित कर दिया। अतः आंध्र और बिहार के गौरवमयी विकास में मदद करने में नरेंद्र मोदी ने नीक काम तो किया। प्रधानमंत्री ने ऐसा पासा फेंका, भले ही जुआ ना खेला हो, कि हर मौके पर प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे राहुल गांधी पर तुषारापात हो गया। उन्हें अब कैलेंडर के और कई पन्ने पलटने पड़ेंगे।
उत्तर प्रदेश के उपेक्षित विकास का नमूना पेश करूं। उस दौर में बंबई से लखनऊ बस एक ही ट्रेन थी। वैकल्पिक तौर पर कानपुर तक आकर लखनऊ की बस पकड़ता था। वहीं "टाइम्स आफ इंडिया' में रिपोर्टर था। एकदा कानपुर से बस में चढ़ा। कंडक्टर आया टिकट देने। उसे पहचानकर मैं खड़ा हो गया उसे प्रणाम किया। फिर हाल-चाल लिया। वह युवक हमारे दौर में लखनऊ विश्वविद्यालय के श्रेष्ठतम छात्रों में था। उचित नौकरी नहीं मिली। पूछिए राहुल गांधी से, उनके पुरखों को तब राज था यूपी में।अब तनिक हमारे पेशे की बात।
विश्वविद्यालय में, खासकर राजधानी लखनऊ में, पत्रकारिता विभाग बना ही नहीं, बना तो दशकों बाद। यूपी से पत्रकारों को विदेशी मीडिया कार्यक्रमों में भाग मिलता ही नहीं था। भला हो विकास पुरुष पं. नारायणदत्त तिवारी का कि पहली बार IFWJ की मांग मानकर पत्रकारों को विदेशी मीडिया से संपर्क हेतु यात्रा में मदद की। मेरी अध्यक्षता में पहली बार 35 लोगों का दल (10 यूपी के थे) मास्को और लंदन से हॉलैंड तक गए थे। बाद में हसीब सिद्दीकी की मदद से यूपी की संख्या हजार पार कर गई। मुझे स्वयं ही छः महाद्वीपों (लातिन अमेरिका और अफ्रीका मिलकर) 82 राष्ट्रों के पत्रकारी कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिला।विकास एक सपना होता है। राहुल को आंख मूंदने का प्रयास करना चाहिए। ताकि अधूरा ही सही, ख्वाब तो देख सकें।