आज भी एक वैक्सीन के अभाव में एक बीमारी लाइलाज
एड्स (AIDS) आज भी एक लाइलाज बीमारी बना हुआ है और अभी तक इसकी लिए वैक्सीन की खोज जारी है।
नई दिल्ली: सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार अनेक जानलेवा वायरसों को झेलता रहा है। इन वायरसों के माध्यम से 100 साल के अंदर करोड़ों लोगों की जान चली गई है। हर बार लगता है कि इससे बड़ा जानलेवा खतरा न कभी आया था ना कभी आएगा परंतु यह खतरा हमेशा किसी न किसी रूप में जैसे चेचक, इबोला,ऐड्स, स्पेनिश फ़्लू और अब कोरोना आया है ।इंसान बड़े से बड़े वायरस को काबू करने के लिए हमेशा काफ़ी हद तक वैक्सीन का समय-समय पर इजाद करना सफल रहा है। पूरी दुनिया में अनेक महामारी के बाद अब कोरोना महामारी के वायरस को खत्म करने के लिए तीन वैक्सीन भी आ गयी हैं। आज हम विश्व एड्स वैक्सीन दिवस (World AIDS Vaccine Day) के रूप में एड्स की वैक्सीन के विषय में विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।
हम सभी जानते हैं एड्स (AIDS) आज भी एक लाइलाज बीमारी बना हुआ है और अभी तक इसकी लिए वैक्सीन की खोज जारी है। एक सुरक्षित और प्रभावी एचआईवी वैक्सीन एचआईवी महामारी को खत्म करने के लिए बहुत जरूरी है। एचआईवी से बचाव करने और वैक्सीन को बनाने के लिए किये जा रहे प्रयास के 18 मई को कई सालों से विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है।
क्या है विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाने का उद्देश्य?
विश्व एड्स वैक्सीन दिवस (World AIDS Vaccine Day) मनाने का उद्देश्य अनेक वॉलिंटियर, कम्युनिटी सर्विस के सदस्य, हेल्थ प्रोफेशनल, वैज्ञानिक के साथ मिलकर एड्स को खत्म करने के लिए वैक्सीन बनाने के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में चर्चा करने का दिन है। इस दिन लोगों को एड्स से बचे रहने के उपाय और संभावित इलाजों के बारे में भी जागरूक किया जाता है |
ऐसा कहा जाता है कि विश्व एड्स वैक्सीन दिवस 18 मई, 1997 को मॉर्गन स्टेट यूनिवर्सिटी में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (Bill Clinton) द्वारा दिए गए एक भाषण से प्रभाव में आया। क्लिंटन ने दुनिया को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बढ़ते हुए युग में नए लक्ष्य को निर्धारित करने और अगले एक दशक के भीतर एड्स का टीका विकसित करने की बात कही, " सही मायने में केवल एक प्रभावी, एचआईवी निवारक टीका ही इसे सीमित कर सकता है और एड्स के खतरे को समाप्त कर सकता है।"
आज तक नहीं बन पाई कोई वैक्सीन
कोरोना वायरस के बारे में भी WHO के द्वारा चेतावनी दी जा चुकी है कि शायद यह वायरस दुनिया से कभी खत्म ही न हो। सालों पहले एड्स भी एक ऐसे HIV वायरस के कारण शुरू हुआ, जिसके इलाज के लिए आज तक कोई भी वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है। एड्स को खत्म करने के लिए आज भी कई सारे वैज्ञानिक लगातार शोध और प्रयोग कर रहे हैं लेकिन उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिली है।
हालांकि एक ऐसी वैक्सीन बनाई जा चुकी है जो HIV वायरस की चपेट में न आने वाले लोगों पर असरकारी साबित हो सकती है। जबकि संक्रमित व्यक्ति के शरीर में इस वायरस को मारने के लिए वैज्ञानिक इसका वैक्सीन इसलिए नहीं बना पा रहे हैं क्योंकि एड्स से ग्रसित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने के बाद यह वायरस रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करने के साथ-साथ अन्य अंगों पर भी हानिकारक प्रभाव डालता है। जिसके कारण इस वायरस के अटैक करने की प्रकृति और इसको रोकने के लिए सही वैक्सीन बनाना मुश्किल भरा है।
आधुनिक समय का ऐसा ही यह HIV वायरस है जो जानलेवा एड्स की वजह बनता है। कई दशकों की दहशत के बाद आखिर 2015 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में सभी देशों ने 2030 तक इसे दुनिया से मिटाने का ऐलान कर दिया है और हम धीरे-धीरे इस ओर बढ़ भी रहे हैं। यूएन एड्स 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 69 हजार लोगों की मौत एड्स के कारण हो चुकी है। आप सभी को इस बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन लगवा लेना चाहिये ताकि HIV वायरस की चपेट में आने से बच सके।