उत्तर प्रदेश का विराट इन्वेस्टर समिट 2018 संपन्न हो गया। साथ ही दे गया उम्मीदों, संभावनाओं और अवसरों का अम्बार। बेहद प्रभावशाली रही समिट जिसमें शिरकत की स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने केंद्रीय मंत्रिमण्डल के मंत्रियों के साथ। लम्बे-लम्बे वायदों का एवरेस्ट खड़ा किया गया और बताने की कोशिश की गयी कि इस बार का इन्वेस्टर समिट पहले से अलग है और आगे भी रहेगा।
ज़ाहिरा तौर पर तो ऐसा लग भी रहा है कि इस बार की समिट के परिणाम दूरगामी होंगे और सतह पर नजर भी आएंगे। सवाल बस इतना है कि अफसरों की उसी पुरानी फौज से क्या इस बार अलग तरीके से काम लिया जा सकेगा, जो लगता है होगा।
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समिट की आगामी सफलता की सम्भांवनाओं के पीछे जो प्रमुख कारण हैं वे व्यावहारिक भी लगते हैं और सही भी। यह पहला मौका है प्रदेश के इतिहास में जब उत्तर प्रदेश और केंद्र में एक ही पार्टी यानी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है , यह पहला मौका है जब केंद्र की ही नहीं बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री की सीधी दिलचस्पी दिखाई पड़ी और यह भी पहला मौका है जब इतनी संख्या में केंद्रीय मंत्रियों ने इसमें भाग लिया और स्पष्ट तौर पर केंद्र की भागीदारी की घोषणा की।
अब गेंद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पाले में है। योगी को अपने आप को खुशकिस्मत समझना चाहिए कि अपनी सीमित प्रशासनिक क्षमताओं के बावजूद उन्हें पार्टी ने, प्रधानमंत्री ने और बदले माहौल ने इतिहास पुरुष बनने का मौका दिया। यह वह भी जानते हैं कि प्रधानमंत्री की दिलचस्पी के बगैर अम्बानी, अडानी और ऐसे कितने ही उद्योगपति यहाँ जमा नहीं हो सकते थे।
पीएम को जो करना था उन्होंने कर दिया, अब योगी को समिट के बाद बढिय़ा फॉलो अप करना है क्योंकि उनके अपने राजनीतिक कैरियर ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के भाग्य की, भविष्य की और विकास की इबारत उनके हाथों ही लिखी जानी है। इससे अच्छा अवसर है नहीं जब वह प्रदेश का कायापलट कर सकते हैं और हमेशा हमेशा के लिए इतिहास में अपना नाम दर्ज कर सकते हैं।
चाणक्य का कथन था कि राजनीति के लिए नीति आवश्यक है और 2019 के आम चुनाव मद्देनजऱ अगर राजनीति का भी पुट है तो भी प्रदेश के औद्योगिक विकास की नयी नीति अपनाने का यह समुचित अवसर है। योगी जी! आपके हाथों में पार्टी ने और राजनीतिक परिस्थितियों ने लड्डू थमा दिए हैं, इसे जाया नहीं जाने दें। उत्तर प्रदेश आपकी तरफ उम्मीदों से देख रहा है बस डिलीवरी का समय आ गया है। शुभकामनायें।
मैं आशान्वित हूँ और शायद पूरा प्रदेश भी। अगर पिछली सरकारों का इतिहास देखते हुए 22 करोड़ जनता को कोई शक है तो उन्हें गलत साबित करने का भी सुनहरा मौका है यह। आप ऐसा करके दिखा दें। आमीन।
(लेखक न्यूजट्रैक/अपना भारत के कार्यकारी संपादक हैं)