ओवैसी की एंट्रीः किसका होगा बंगाल, किसका बिगड़ेगा खेल

बिहार में सफलता हासिल करने के बाद अब AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाल में भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। इस फैसले से TMC को काफी नुकसान होने वाला है।

Update: 2020-11-12 06:15 GMT
एआईएमआईएम इस महीने पश्चिम बंगाल के 4 शहरों में 4 अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल भेजेगी। पार्टी के इस प्रतिनिधिमंडल में 5-5 सदस्य होंगे।

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections- 2020) का नतीजा सबके सामने है। बिहार में NDA को पूर्ण बहुमत मिला है। एनडीए राज्य में 125 सीटें जीतने में कामयाब रही है। वहीं दूसरी ओर महागठबंधन ने भी NDA को जोरदार टक्कर देते हुए 111 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की है। लेकिन एनडीए और महागठबंधन के प्रदर्शन के बीच AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी। एआईएमआईएम ने सीमांचल में 5 सीटें जीतकर कमाल का प्रदर्शन किया है।

बंगाल में भी चुनाव लड़ेंगे असदुद्दीन ओवैसी

वहीं बिहार में पांच सीटें जीतने के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ऐलान कर दिया है कि वो अब बंगाल में भी चुनाव लड़ेंगे। लगातार लग रहे आरोपों का जवाब देते हुए ओवैसी ने कहा कि उनका एक राजनीतिक दल है और उन्हें कहीं भी चुनाव लड़ने की अनुमति है। उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि आप चाहते हैं कि हम चुनाव ना लड़ें, आप ने तो महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बना ली। ओवैसी ने ऐलान किया कि मैं बंगाल, यूपी समेत देश में होने वाले सभी चुनाव लड़ूंगा। हालांकि ओवैसी के इस फैसले से अब TMC की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

TMC और कांग्रेस को होगा मुस्लिम वोटर्स का नुकसान

जाहिर है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM लगातार उन क्षेत्रों में पहुंच रही है, जहां पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या काफी ज्यादा है। बंगाल की बात की जाए तो यहां पर मुस्लिम वोट TMC और कांग्रेस के हिस्से में जाते हैं। लेकिन अगर ओवैसी की बंगाल की राजनीति में एंट्री होती है तो इन पार्टियों के लिए चिंता बढ़ सकती है। बता दें कि बंगाल में मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब 27 फीसदी है, जो जीत या हार का अंतर तय करता है।

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90 पर मुस्लिम वोटर्स तय करते हैं जीत-हार का अंतर

बीते कुछ चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी को बड़ी तादाद में मुस्लिम वोटर्स वोट दे रहे हैं, उसके बाद कांग्रेस को सबसे ज्यादा मुस्लिम वोट मिलता है। लेकिन जिस तरह अब AIMIM पार्टी को मुस्लिमों का प्यार मिल रहा है, उससे इस पार्टियों की चिंता बढ़ने वाली है। बताते चलें कि बंगाल में तीन जिले ऐसे हैं, जहां पर 50 फीसदी से भी ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं। जबकि कई जिलों में कम से कम 25 फीसदी से ज्यादा इनकी हिस्सेदारी है। सीटों के हिसाब से बताया जाए तो 294 विधानसभा सीटों में से 90 पर मुस्लिम वोटर्स ही जीत हार का अंतर तय करते हैं।

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बीजेपी को होगा इसका फायदा

वहीं चुनावी पंडितों का कहना है कि बंगाल में भी अगर ओवैसी मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में सफलता हासिल करते हैं तो इसका भी सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी (BJP) को ही होने वाला है। क्योंकि बंगाल में मुस्लिम वोट तीन हिस्सों में बंट जाएगा और इससे बीजेपी को फायदा होगा। वहीं अगर बीजेपी की बात की जाए तो विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने भी अपनी कमस कस ली है। इसी के मद्देनजर अभी हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल का दौरा किया था।

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