मायावती ने नेताओं के लिए जारी की गाइडलाइन, ऐसे रखनी होगी अपनी बात

Update: 2018-07-17 07:40 GMT

लखनऊ : बसपा सुप्रीमों मायावती ने पार्टी के उपाध्यक्ष और नेशनल कोआर्डिनेटर जयप्रकाश सिंह के राहुल गांधी को विदेशी खून बताने वाले बयान को गंभीरता से लेते हुए उन्हें दोनों पदों से हटा दिया है। साथ ही कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों के लिए छोटी—बड़ी मीटिंग, जनसभाओं व मीडिया के समक्ष अपनी बात रखने के तौर तरीके भी बताए हैं। यह तरीके नेताओं के लिए गाइडलाइन है। मायावती का साफ संदेश है कि इस गाइडलाइन के तहत कार्यकर्ता व पदाधिकारी काम करें। अन्यथा उनका काम पार्टी विरोधी गतिविधियों के दायरे में माना जाएगा।

जयप्रकाश सिंह के बयान से बसपा का कोई लेना देना नहीं

मायावती ने कहा कि जयप्रकाश सिंह ने विरोधी दल के सर्वोच्च नेतृत्व के खिलाफ जो बयानबाजी की है। वह अनर्गल और व्यक्तिगत है। इसका बसपा से कोई लेना देना नहीं है। उनका बयान बसपा की नीतियों और सोच के खिलाफ है। इसे गंभीरता से लेते हुए उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कोओडिनेटर के पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है।

अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करे

कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को चेतावनी देते हुए मायावती ने कहा कि वह पार्टी की हर छोटी-बड़ी मीटिंग, कैडर-कैम्प व जनसभा में पार्टी की विचारधारा, नीतियों व मूवमेन्ट के बारे में बात रखी जाए। दलित व पिछडे़ वर्ग में जन्में अपने महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों और पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष के जीवन-संघर्ष व सिद्धान्तों के संबंध में ही अपनी बात रखें। उसकी आड़ में दूसरों के सन्तों गुरूओं व महापुरूषों के बारे में अभद्र एवं अशोभनीय भाषा का कतई इस्तेमाल ना करें। दूसरी पार्टियों के कुछ सिरफिरे नेताओं के पद चिन्हों पर चलकर, अपनी पार्टी के लोगों को किसी के बारे में भी अनर्गल भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये।

गठबंधन पर घोषणा से पहले नहीं करें बात

उन्होंने यह भी कहा ​है कि यूपी व अन्य राज्यों में भी किसी पार्टी के साथ जब तक चुनावी गठबन्धन की घोषणा नहीं हो जाती है, तब तक पार्टी के लोगों को प्रदेश व अन्य राज्यों में भी गठबन्धन के बारे मे किसी भी स्तर पर बात नहीं करनी चाहिये। यह सब पार्टी के लोगों को अपनी पार्टी की हाईकमान पर छोड़ देना चाहिए।

सिर्फ पार्टी विचारधारा और मूवमेंट पर रखें बात, व्यक्तिगत मामलों में नहीं करे टिप्पणी

उन्होंने कहा है कि नेताओं को दूसरी पार्टियों के सम्बन्ध में केवल उनकी खासकर दलित, पिछड़ा, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक, गरीब मजदूर, किसान, व्यापारी व अन्य जन-विरोधी गलत नीतियों व गलत कार्यशैली के बारे में ही बोलना चाहिए। उनके किसी भी छोटे-बडे़ राष्ट्रीय नेताओं व उच्च पदों पर बैठे लोगों के व्यक्तिगत मामलों में कतई कोई भी टीका-टिप्पणी व अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए।

प्रेस वार्ता में लिखकर ही अपनी बात रखें

मायावती ने वरिष्ठ नेताओं व पदाधिकारियों को सलाह देते हुए कहा है कि उन्हें गंभीर व अहम विषयों व प्रेसवार्ता में अपनी बातों को लिखकर ही रखना व बोलना चाहिए। ताकि जातिवादी मीडिया व विरोधी दलों को पार्टी के बारे में कोई भी गलत बात कहने व प्रचार करने का मौका ना मिल सके।

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