Congress vs Azad: जम्मू-कश्मीर में आजाद को घेरने की कांग्रेस की तैयारी, भाजपा का मददगार साबित करने की रणनीति

Congress vs Azad: कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि भाजपा की ओर से आजाद को पूरी मदद मिल रही है और इसी कारण उनकी नई पार्टी के गठन की सारी औपचारिकताएं बहुत जल्द पूरी हो जाएंगी।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-09-02 14:02 IST

गुलाम नबी आजाद (photo: social media ) 

Congress vs Azad: कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद गुलाम नबी आजाद इन दिनों जम्मू-कश्मीर में अपनी नई पार्टी बनाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। हाल में उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर तीखे हमले करने के बाद पार्टी से इस्तीफा दिया था। उनके समर्थन में जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के तमाम नेताओं ने इस्तीफे का ऐलान किया है। ऐसे में कांग्रेस भी आजाद पर जवाबी हमला करने की तैयारी में जुट गई है।

कांग्रेस की ओर से जम्मू-कश्मीर में आजाद को घेरने की तैयारी की जा रही है। कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद आजाद पहली बार 4 सितंबर को जम्मू-कश्मीर पहुंचेंगे। आजाद अपने समर्थकों से चर्चा के साथ ही एक रैली को भी संबोधित करेंगे। इस बीच कांग्रेस के रणनीतिकारों ने आजाद पर सवालों की बौछार करने की पुख्ता तैयारी कर ली है। आजाद की सियासत के पीछे कांग्रेस नेता भाजपा का गेम प्लान मान रहे हैं और उन्हें भाजपा का मददगार साबित करने की कोशिश की जाएगी।

आजाद को भाजपा परस्त बताएगी पार्टी

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने के बाद होने वाले पहले चुनाव को लेकर सियासी गतिविधियां बढ़ गई हैं। भाजपा, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी की सक्रियता के बाद अब आजाद भी घाटी की सियासत में कूदने जा रहे हैं। वे पहले ही नई पार्टी के गठन की घोषणा कर चुके हैं। आजाद के जम्मू-कश्मीर के चुनाव में कूदने से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होने की संभावना जताई जा रही है और यही कारण है कि कांग्रेस ने आजाद को घेरने की रणनीति तैयार कर ली है।

आजाद की पहली रैली के बाद सिलसिलेवार ढंग से उन पर हमला करने की तैयारी है। कांग्रेस घाटी में यह साबित करने की कोशिश करेगी कि आजाद ने अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा से गठजोड़ कर रखा है और उनकी पार्टी के लोग चुनाव जीतने के बाद भाजपा से ही हाथ मिलाएंगे। कांग्रेस की रणनीति है कि उन्हें भाजपा परस्त बनाकर बताकर घाटी में सियासी नुकसान पहुंचाया जाए। 

भविष्य की सियासत को लेकर कांग्रेस सतर्क 

हालांकि कांग्रेस नेताओं की ओर से यह बयान दिया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में आजाद का कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में कांग्रेस की चिंताओं के सवालों पर पार्टी के एक नेता का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के सियासी हालात अब पहले से काफी बदल चुके हैं। अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने के बाद घाटी में पहली बार चुनाव होगा और इसमें बाहरी मतदाताओं को भी मतदान करने का मौका मिलेगा। ऐसे में कांग्रेस भविष्य की सियासत को लेकर सतर्क हो गई है।

कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि भाजपा की ओर से आजाद को पूरी मदद मिल रही है और इसी कारण उनकी नई पार्टी के गठन की सारी औपचारिकताएं बहुत जल्द पूरी हो जाएंगी। इसीलिए पार्टी ने आजाद को लेकर सतर्क रवैया अपनाने का फैसला किया है।

भाजपा को सहयोगी दल की दरकार 

दरअसल जम्मू-कश्मीर की सियासत में भाजपा को भी एक सहयोगी दल की मदद की दरकार है। जम्मू क्षेत्र में विधानसभा की 43 सीटें हैं और इस इलाके में भाजपा दूसरे राजनीतिक दलों की अपेक्षा ज्यादा मजबूत नजर आ रही है। कश्मीर घाटी में विधानसभा के 47 सीटें हैं मगर यहां भाजपा का जनाधार काफी कमजोर है। मुस्लिम बहुल सीटें होने के कारण भाजपा का घाटी में सीटें जीतना काफी मुश्किल माना जा रहा है। घाटी में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी की स्थिति ज्यादा मजबूत मानी जा रही है। भाजपा से नजदीकी के कारण सज्जाद लोन की पीपुल्स कांफ्रेंस घाटी में कमजोर हुई है।

ऐसे में घाटी की सीटों पर आजाद भाजपा के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। इसी कारण कांग्रेस आजाद को भाजपा के गेम प्लान का हिस्सा मान रही है। घाटी में आजाद की सक्रियता बढ़ने के बाद आजाद को बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के मामले में चुप्पी और सरकारी बंगला बरकरार रहने के मामले में भी घेरने की तैयारी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस और आजाद के बीच जुबानी जंग और तीखी होगी।

Tags:    

Similar News