आपातकाल के 45 साल: अमित शाह का हमला, कांग्रेस में दबा दी गई सबकी आवाज

आपातकाल के 45वीं बरसी पर गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस में लोकतंत्र बहाल नहीं हो पाया है। कांग्रेस में नेता घुटन महसूस कर रहे हैं।

Update: 2020-06-25 06:03 GMT

नई दिल्ली: आपातकाल के 45वीं बरसी पर गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस में लोकतंत्र बहाल नहीं हो पाया है। कांग्रेस में नेता घुटन महसूस कर रहे हैं। इसके साथ ही अमित शाह ने कांग्रेस को आत्मचिंतन की नसीहत भी दी है।

गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल को याद करते हुए कहा कि 45 साल पहले इस दिन सत्ता की लालच में एक परिवार ने देश में आपातकाल लागू कर दिया। रातों रात राष्ट्र को जेल में बदल दिया गया। प्रेस, अदालतें, मुक्त भाषण ... सब खत्म हो गए। गरीबों और दलितों पर अत्याचार किए गए।

अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि लाखों लोगों की कोशिशों के कारण आपातकाल हटा लिया गया था। भारत में लोकतंत्र बहाल हो गया था, लेकिन कांग्रेस में लोकतंत्र बहाल नहीं हो पाया। एक परिवार के हित पार्टी के हितों और राष्ट्रीय हितों पर हावी थे। यह खेदजनक स्थिति आज की कांग्रेस में भी पनपती है।



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अमित शाह ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी की हालिया बैठक के दौरान कुछ सदस्यों ने कुछ मुद्दों को उठाया, लेकिन उन पर चिल्लाया गया और उनकी आवाज को दबाया गया। पार्टी के एक प्रवक्ता को बिना सोचे समझे बर्खास्त कर दिया गया। दुखद सच्चाई यह है कि कांग्रेस में नेता घुटन महसूस कर रहे हैं।



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गृह मंत्री ने कहा कि भारत के विपक्षी पार्टियों में से कांग्रेस को खुद से कुछ सवाल पूछने की जरूरत है। आपातकाल जैसी विचारधारा अभी भी क्यों पार्टी में है? ऐसे नेता जो एक वंश के नहीं हैं, बोलने में असमर्थ क्यों हैं? कांग्रेस में नेता क्यों निराश हो रहे हैं? अगर वह सवाल नहीं पूछते हैं तो लोगों से उनका जुड़ाव और कम हो जाएगा।

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इंदिरा गाधी के कहने पर तत्कालीन राष्ट्रपति ने लागाय आपातकाल

बता दें कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक यानी 21 महीने के लिए देश में इमरजेंसी लगाई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन इमरजेंसी का एलान किया था। आपातकाल में नागरिक अधिकारों को खत्म कर दिए गए थे।

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