गोवा विधान सभा अध्यक्ष ने हृदय नारायण दीक्षित से की मुलाकात, इन विषयों पर हुई बात
उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से गोवा विधान सभा के अध्यक्ष राजेश पाटनेकर एवं उनके साथ आए संसदीय शिष्ट मण्डल ने भेंट की। विधान सभा की कार्यपद्धति, संसदीय कार्यप्रणाली व लोकतांत्रिक विषयों पर चर्चा की।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से गोवा विधान सभा के अध्यक्ष राजेश पाटनेकर एवं उनके साथ आए संसदीय शिष्ट मण्डल ने भेंट की।
विधान सभा की कार्यपद्धति, संसदीय कार्यप्रणाली व लोकतांत्रिक विषयों पर चर्चा की। अध्यक्ष ने गोवा विधान सभा की गोवा लेजिस्लेटर फोरम कमेटी से विचार विमर्श किया। कमेटी उत्तर प्रदेश के अध्ययन भ्रमण पर आई है।
गोवा विधान सभा अध्यक्ष ने बताया कि उनके यहां 40 सदस्यों वाली विधान सभा है। यह विधान सभा पेपरलेस है। पेपरलेस विधान सभा होने का गौरव सर्वप्रथम गोवा विधान सभा को प्राप्त हुआ है।
उन्होंने गोवा की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2018 के अनुसार देश में नम्बर 01 (रूपये 4,67,998/-) होने की भी जानकारी दी जबकि सम्पूर्ण भारत में प्रति व्यक्ति आय रूपये 1,26,406/- है।
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गोवा विधान सभा की कार्यप्रणाली के बारे में चर्चा
गोवा विधान सभा के अध्यक्ष ने गोवा विधान सभा की कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि गोवा विधान सभा में अध्यक्ष की अध्यक्षता में वर्तमान विधान सभा सदस्यों व पूर्व सदस्यों की गोवा लेजिस्लेटर फोरम नाम से एक समिति गठित की गई है।
इस समिति में सभी राजनैतिक दलों के लोकसभा के वर्तमान एवं पूर्व सदस्यों व विधान सभा के वर्तमान व पूर्व सदस्य हंै। समिति, गोवा राज्य के सामाजिक, आर्थिक विकास एवं संसदीय लोकतंत्र के बारे में अध्यक्ष को सुझाव देती है। सेलेक्ट कमेटी इन महत्वपूर्ण विषयों को कार्यान्वित करने का सुझाव देती है।
उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष ने गोवा विधान सभा के अध्यक्ष एवं उनके साथ आये सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि गोवा विधान सभा की कार्यप्रणाली से नया अनुभव प्राप्त हुआ। पूर्व विधायकों को भी मिलाकर एक सशक्त संगठन के माध्यम से पूर्व एवं वर्तमान सांसदों व विधायकों के अनुभवों का साझा करते हुए उनके अच्छे सुझावों को सरकार को उपलब्ध कराया जाने की प्रक्रिया को अनुकरणीय है।
श्री दीक्षित ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र सारी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत आकार में बड़ा होने के साथ-साथ भाषा, रूप रंग, आस्था, आचार, व्यवहार, देवी देवताओं आदि को लेकर बहुत ही विविधता रखता है। इन विविधताओं के बावजूद भारत के लोग विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं के माध्यम से एक सुन्दर लोकतंत्र चलाते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में जनतंत्रीय प्रजातंत्र किसी अनुबंध का परिणाम नहीं है। पश्चिम के लोग सोसायटी और स्टेट के जन्म के लिए अनुबंध को वरीयता देते है। दुनिया के तमाम अध्ययनकर्ताओं एवं शोधकर्ताओं को आश्चर्य होता है कि आखिरकार भारत इतनी विविधताओं के बावजूद एक सुन्दर संसदीय व्यवस्था के अन्तर्गत कैसे चलता है।
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भारत की संस्कृति सबको एक सूत्र में बांधे रहती है: श्री दीक्षित
भारतीय संस्कृति के बारे में चर्चा करते हुए अध्यक्ष ने डा0 अम्बेडकर के कथन का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत की संस्कृति सबको एक सूत्र में बांधे रहती है। हमारे पूर्वजों ने बहुत शोध, आचार-विचार, व्यवहार और अभिव्यक्ति से एक सुन्दर संस्कृति गढ़ी है। यही संस्कृति भारतीय जनतंत्र को परिपुष्ट और मजबूत करने का कार्य करती है।
अध्यक्ष श्री दीक्षित ने विधायी सदनों में कामकाज की निरंतर गिर रही गुणवत्ता का भी जिक्र किया। इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए आपस में मिलकर कुछ करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उत्तर प्रदेश विधान सभा के प्रमुख सचिव, प्रदीप कुमार दुबे, उत्तर प्रदेश विधान परिषद के प्रमुख सचिव, डाॅ. राजेश सिंह व उत्तर प्रदेश विधान सभा के अन्य अधिकारीगण बैठक में उपस्थित थे।
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