गुलाब देवी और ऋतु खंडूरी – भारत की राजनीति में महिलाओं के स्थान की दो बड़ी प्रतीक

उत्तर प्रदेश में बीजेपी का ऐसा कोई मुख्‍यमंत्री नहीं रहा, जिसके साथ गुलाब देवी ने काम नहीं किया। वहीं, ऋतु खंडूरी को उत्‍तराखंड विधानसभा की पहली महिला स्पीकर चुना गया है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-03-29 12:21 GMT

ऋतु खंडूरी और गुलाब देवी। 

देश के सबसे बड़े सियासी सूबे उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर इतिहास रचा है। पार्टी के इस जीत में कई ऐसे चेहरे हैं जो दिन रात बगैर किसी मीडिया आकर्षण के जनता के बीच काम करते रहे। इन्हीं चेहरों में शुमार है गुलाब देवी। चार बार की महिला विधायक गुलाब देवी (MLA Gulab Devi) यूपी विधानसभा की सभी महिला विधायकों में वरिष्ठ हैं। मीडिया के चकाचौंध से दूर रहने वाली गुलाब देवी (Gulab Devi) की ताकत औऱ असर का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है को वो अभी तक सभी बीजेपी के मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुकी हैं।

सपा के मांद में खिलाया कमल

यूपी में लगातार दूसरी बार ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली बीजेपी प्रदेश के कई हिस्सों में हांफती नजर आई। रूहेलखंड उसी में शुमार है, जहां पार्टी को सपा से जबरदस्त टक्कर मिली। संभल जिले को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का गढ़ माना जाता है। मुस्लिम-यादव की बहुलता वाले इस सीट पर सपा पारंपरिक रूप से मजबूत रही है। हालिया विधानसभा चुनाव में संभल (Sambhal) के चार सीटों में से तीन सीटों पर सपा ने जीत हासिल की। जबकि एक सीट पर बीजेपी की गुलाब देवी (Gulab Devi) कमल खिलाने में कामयाब रहीं। गुलाब देवी (Gulab Devi) ने 2017 के बाद लगातार दूसरी बार चंदौसी सीट (Chandausi seat) से जीत हासिल कर जिले में बीजेपी को जीरो पर क्लीन बोल्ड होने से बचाय़ा है। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी अपनी ये सीट सपा के हाथों गंवा चुकी है।


चौथी जीत ने बढ़ाया कद

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बारे में कहा जाता है कि वो कार्यकर्ताओं का काफी ख्याल रखती है। उसमें भी खासकर उन कार्यकर्ताओं को जो काफी डिसेंट बैकग्राउंड से आते हैं। पार्टी कभी उनके योगदान को नहीं भूलती है। यही वजह है कि गुलाब देवी (Gulab Devi) को योगी सरकार (Yogi Government) के पहले कार्य़काल में राज्यमंत्री बनाने के बाद दूसरे कार्यकाल में उनका ओहदा बढ़ाते हुए राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया। अक्सर खादी की साड़ी में दिखने वाली गुलाब देवी अपनी मेहनत, लगन और सादगी के कारण भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की नजरों में ऊंचा स्थान पाती रहीं हैं। योगी मंत्रिमंडल में शामिल 5 महिलाओं में गुलाब देवी सबसे सीनियर मंत्री हैं।

गुलाब देवी का सियासी सफर

दलित परिवार से आने वाली गुलाब देवी (Gulab Devi) के पिता बाबू राम कपड़ों पर प्रेस चलाने का काम किया करते थे। उनके विधायक और मंत्री बनने के बाद भी उन्होंने कभी अपने काम को नहीं छोड़ा। गुलाब देवी ने अपना सियासी सफर बीजेपी से सफर शुरू किया। 1991 में राम लहर के दौरान पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाली गुलाब देवी लगातार सियासत में सफलता का पायदान चढ़ती रहीं। 1991 में पहली जीत हासिल करने के बाद वो फिर 1996 में जीतीं। इसके बाद दो बार 2002 और 2007 में जीत नहीं मिलने के बाद वो विचलित नहीं हुईं और संगठन के लिए काम किया। इस दौरान वो अपनी सियासी कर्मभूमि संभल जिले के चंदौसी विधानसभा क्षेत्र (Chandausi Assembly Area) से जुड़ी रहीं। जिसका परिणाम ये हुआ कि 2017 में एकबार फिर उन्हें वहां से सफलता मिली। 2022 में भी उनके सीट पर कई दावेदार सामने आए, उनको दोबारा टिकट मिलने पर विरोध भी हुआ। लेकिन चुनाव परिणाम ने एकबार उनके सियासी विरोधियों का मुंह चुप करा दिया। सपा का गढ़ माने जाने वाले संभल में उन्होंने बीजेपी का सूफड़ा साफ होने से बचा लिया।


उत्तराखंड की ऋतु खंडूरी

2012 का उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election 2022) के नतीजे बेहद दिलचस्प रहे थे। उस दौरान सत्ताधारी बीजेपी को 31 सीटें जबकि सत्ता की दावेदार माने जाने वाली विपक्षी कांग्रेस को 32 सीटें हासिल हुई थीं। सत्ता विरोधी लहर के बावजूद शानदार टक्कर देने वाली बीजेपी के प्रदर्शन की काफी तारीफ हो रही थी, लेकिन एक हार ने बीजेपी के सारे समीकरण बिगाड़ दिए थे। दरअसल उस चुनाव में बीजेपी के सीटिंग सीएम रिटायर्ड मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी कोट्टद्वार से चुनाव हार गए थे। इस हार ने राज्य में बीजेपी का मनोबल तो तोड़ा ही, साथ ही उनके सियासी भविष्य पर भी हमेशा के लिए ताला लटका लिया।


दरअसल हम आपको आज ये कहानी इसलिए बता रहे हैं क्योंकि उन्हीं भुवन चंद्र खंडूरी (Ritu Khanduri) की बेटी ऋतु खंडूरी आज उत्तराखंड की पहली महिला स्पीकर बनी हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में यमकेश्वर सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनीं ऋतु खंडूरी (Ritu Khanduri) ने इस बार अपने लिए मुश्किल सीट का चुनाव करते हुए अपने पिता की सीट कोट्टद्वार को चुना औऱ वो जीत गईं। उन्होंने उसी सुरेंद्र सिंह नेगी को पटखनी दी, जिन्होंने उनके पिता को 2012 में हराकर उनके सियासी भविष्य को हमेशा के लिए गर्त में पहुंचा दिया था।

इस बार ऋतु खंडूरी (Ritu Khanduri) कोटद्वार से जीत हासिल कर अपने पिता की हार के अपमान का बदला ले लिया। नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी में फैकल्टी रह चुकी ऋतु के पति राजेश भूषण बेंजवाल बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। जबकि उनके भाई मनीष खंडूरी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।

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