पार्टी बदल गई पर वेबसाइट पर अब भी कांग्रेसी हैं सिंधिया, जानें पूरा मामला
सिंधिया को भाजपा में शामिल हुए 33 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अब भी उनकी वेबसाइट (https://jmscindia.in/) कांग्रेसमय बनी हुई है। सिंधिया के वेबसाइट पर उनको अब भी गुना का सांसद बताया जा रहा है।
भोपाल: कांग्रेस को भोपाल से लेकर दिल्ली तक हिलाकर रख देने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी से नाता जोड़ लिया है। बुधवार दोपहर उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में भगवा पार्टी का दामन था।
सिंधिया को भाजपा में शामिल हुए 33 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अब भी उनकी वेबसाइट (https://jmscindia.in/) कांग्रेसमय बनी हुई है। सिंधिया के वेबसाइट पर उनको अब भी गुना का सांसद बताया जा रहा है।
वेबसाइट पर दिखाई दे रही तस्वीरें भी पुरानी हैं। इन तस्वीरों में से अधिकतर में सिंधिया कांग्रेसमय नजर आ रहे हैं। सिंधिया के नजदीकी सूत्रों के अनुसार, उनकी यह वेबसाइट बहुत समय से अपडेट नहीं की गई है। माना जा रहा है कि सिंधिया जल्द ही अपनी वेबसाइट में जरुरी परिवर्तन करवा सकते हैं।
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मंगलवार को सिंधिया ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा
मंगलवार सुबह जब पूरा देश होली का जश्न मना रहा था, तभी सिंधिया ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर मुलाकात की।
इसके बाद सिंधिया ने अपने इस्तीफे को सार्वजनिक किया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को नौ मार्च को लिखे इस्तीफे में सिंधिया ने कहा कि उनके लिए आगे बढ़ने का समय आ गया है, क्योंकि इस पार्टी में रहते हुए अब वह देश के लोगों की सेवा करने में अक्षम हैं।
कांग्रेस के महासचिव एवं पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस कदम से बौखलाई कांग्रेस ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण पार्टी से निकाल दिया था।
कमलनाथ से थी सिंधिया की खींचतान
मध्य प्रदेश कांग्रेस के कभी चमकते सितारे रहे सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही थी। दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया।
हालांकि, समस्या हाल में शुरू हुई, जब सरकार में सिंधिया समर्थकों को दरकिनार किया गया और ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने की उनकी महत्वाकांक्षा भी विफल कर दी गई।
यह भी बताया जाता है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनकी शिकायतें सुनने को तैयार नहीं था। इस सप्ताह के अंत में, सिंधिया और कमलनाथ मंत्रिमंडल के छह मंत्री बेंगलुरु गए और उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा था। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी में बगावत हो गई है।
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मंगलवार को सिंधिया ने कांग्रेस से दिया था इस्तीफा
कांग्रेस के युवा नेता सिंधिया ने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इसके साथ ही उनके समर्थक 22 विधायकों ने भी कांग्रेस छोड़ दी थी। इससे कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
उन्हें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। अहम बात यह रही कि भाजपा में शामिल होते ही सिंधिया को महज छह मिनट में ही राज्यसभा का टिकट दे दिया गया।
चार बार सांसद रहे और समर्थकों में महाराज के नाम से मशहूर सिंधिया दोपहर 2:30 बजे भाजपा मुख्यालय पहुंचे। उनके साथ भाजपा नेता जफर इस्लाम थे, जो उनके भाजपा में शामिल होने के मुख्य सूत्रधार रहे हैं।
2:53 बजे सिंधिया भाजपा में शामिल हुए और 2:59 बजे पार्टी ने उन्हें राज्यसभा की उम्मीदवारी थमा दी। सिंधिया ने शुक्रवार को राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया।