लोकसभा चुनाव से पहले गरमा रहा पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा, 19 संगठन लामबंद

Update: 2018-08-06 13:03 GMT

सुल्तानपुर: लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन बहाली का ज्वलंत मुद्दा कहीं बीजेपी और प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए गले की हड्डी न बन जाए। सरकारी कर्मचारी अपनी इस डिमांड के लिए अब युद्ध स्तर पर लामबंद हो रहे हैं। कर्मचारी शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन मंच के तत्वाधान में आगामी 9 अगस्त को यहां तिकोनिया पार्क में ऐतहासिक धरने का आयोजन किया गया है। जिसमें पहली बार शासन द्वारा मान्यता प्राप्त समस्त संघो ने एक साथ कर्मचारी शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच का गठन कर कंधे से कंधा मिला लिया है। जो बात सरकार के माथे पर पसीना लाएगी वो ये के इन सभी केंद्रीय कर्मियों के संगठनों का समर्थन भी मिल गया है।

9 अगस्त को धरने से होगी शुरुआत

शिक्षक संघ के प्रवक्ता निज़ाम खान ने बताया कि आंदोलन आर पार का होगा इसके लिये क्रमबद्ध खाका बन गया है।पहले चरण में 9 अगस्त को जनपद मुख्यालयों पर सामूहिक अवकाश लेकर धरना प्रदर्शन करते हुए, मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से दिया जाएगा। दूसरे चरण में प्रदेश के समस्त वेतनभोगी 29, 30 व 31 अगस्त को कार्य बहिष्कार करते हुए कार्यालयों पर तीन दिवसीय धरना प्रदर्शन करेंगे। इस पर भी बात आगे न बढ़ने पर 8 अक्टूबर को राजधानी लखनऊ में कर्मचारी शिक्षक अधिकारी मिलकर एक विशाल रैली करेंगे। संघर्ष कार्यक्रम का अगला चरण 25, 26 व 27 अक्टूबर को सामूहिक हड़ताल करते हुए सरकार को जगाने का कार्य करेंगे इसके साथ ही 27 को पेंशन बहाली न होने पर 27 से ही प्रदेश के समस्त घटक अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले जायेंगे। कुलमिलाकर संघर्ष अंजाम तक पहुंचने तक जारी रहेगा।

आंदोलन में शामिल होंगे ये संगठन

उन्होंने बताया कि इस ऐतिहासिक आंदोलन में प्रदेश के समस्त शासन द्वारा मान्यता संघ प्रमुखों ने मिलकर संयुक्त मंच के बैनर के तले संघर्ष का निर्णय लिया है। जिनमें उ.प्र. लेखपाल संघ, उ.प्र. राजस्व (प्रशासनिक) अधिकारी संघ, उ.प्र. पीसीएस संघ, उ.प्र.जूनियर शिक्षक संघ, उ.प्र.लोकनिर्माण विभाग कर्मचारी संघ, उ.प्र.राजकीय वाहन चालक संघ, उ.प्र. महाविद्यालय शिक्षक संघ, उ.प्र.सफ़ाई कर्मचारी संघ समेत 19 संगठन शामिल हैं।

इन केंद्रीय कर्मचारियों के संगठनों ने किया समर्थन का ऐलान

निजाम खान ने बताया कि इस बार के पेंशन आन्दोलन में जहाँ राज्य कर्मचारी अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए कटिबद्ध हैं, वही दूसरी तरफ केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने भी अपने समर्थन पत्र जारी करते हुए इस मंच के साथ आंदोलन में हम कदम बनने का फैसला किया है।जिसमें प्रमुख रूप से आयकर विभाग, बीएसएनएल के समर्थन के साथ रेलवे ट्रेड यूनियनों के आंदोलन में कूदने का निर्णय लेकर केंद्र तथा राज्य सरकार के माथे पर पसीना ला दिया है।

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