क्या एमपी में इस बार 'सिंधिया' बनाम 'कमलनाथ' होगा उपचुनाव?

कोरोना संकट की घड़ी में भी मध्य प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है। जिन 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं, उनमें 22 वे क्षेत्र हैं, जहां से सिंधिया समर्थकों ने इस्तीफा दिया है।

Update: 2020-06-10 08:12 GMT

नई दिल्ली: कोरोना संकट की घड़ी में भी मध्य प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है। जिन 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं, उनमें 22 वे क्षेत्र हैं, जहां से सिंधिया समर्थकों ने इस्तीफा दिया है।

बीजेपी इन सभी 22 नेताओं को पार्टी का उम्मीदवार बनाने का लगभग मन बना चुकी है। यही कारण है कि अब उपचुनाव को सिंधिया बनाम कमलनाथ के नाम पर लड़ने की तैयारी है।

बीजेपी चुनाव में जीत का कोई भी मौका हाथ से छोड़ना नहीं चाहती है, इसलिए अभी से प्रदेश स्तरीय उपचुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान से लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने उपचुनाव में पार्टी को विजयी बनाने को लेकर रणनीति बनाना और फैसले लेने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन पार्टी के लिए परेशानी इस बात की होगी कि जिस चेहरे को लेकर भाजपा सत्ता में फिर से वापसी कर पाई है उस चेहरे के बिना उपचुनाव में पार्टी अपनी जीत की नैया कैसे पार लगाएगी।

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सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद से लगातार बदल रही सियासत

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद से एमपी की सियासत लगतार तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। सिंधिया के बाद उनके 22 समर्थक विधायकों ने भी कांग्रेस छोड़ दी थी जिससे कमलनाथ को सत्ता गंवानी पड़ गई और शिवराज सिंह चौहान की फिर से सत्ता में वापसी हो पाई। इस्तीफा देने के कारण उन तमाम विधायकों की सदस्यता चली गई। जिसकी वजह से राज्य में उपचुनाव कराने पड़ रहे हैं।

पहले से खाली दो सीटों सहित कुल 24 पर उपचुनाव आने वाले समय में होने हैं। इनमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में आती हैं। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था।

कांग्रेस ने 114 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी को 109 सीटों पर जीत हासिल हुई। अब ये उपचुनाव सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस दोनों के लिए काफी अहम है।

अगर हम पालिटिक्स एक्सपर्ट की बातों पर गौर करें तो मध्य प्रदेश में हाल के दिनों में जिस तरह नेताओं ने पुरानी पार्टी छोड़ नई पार्टी ज्वाइन की है, उससे बाकी नेताओं को अपनी ही पार्टी में बदले हुए परिदृश्य का सामना करना कठिन हो रहा है।

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कांग्रेस से टिकट पाने के लिए इन नेताओं ने लगाई आस

यहां गौर करने वाली बात ये कि इनमें विधानसभा में पूर्व उप नेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी का नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने 2013 में बीजेपी में शामिल होने के लिए कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया था। 2018 में उन्होंने दोबारा कांग्रेस में वापसी की और उपचुनाव के लिए टिकट पाने के इच्छुक हैं।

इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने रविवार को अपने टिकट का खुलकर विरोध कर चतुर्वेदी की समस्याओं को कई गुना बढ़ा दिया। इस बात से बौखलाए चतुर्वेदी ने सोमवार को पलटवार करते हुए पूछा कि दिग्विजय सिंह किस क्षमता से उनका विरोध कर रहे हैं।

जबकि शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट के पूर्व मंत्री दीपक जोशी भी मनोज चौधरी के खिलाफ टिकट की मांग कर रहे हैं, जिन्होंने उन्हें कांग्रेस के टिकट पर हराया था और हाल ही में बीजेपी में शामिल होने के लिए इस्तीफा दे दिया था।

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