Ramashish Rai: जयंत चौधरी ने बीजेपी के पूर्व नेता को बनाया प्रदेश अध्यक्ष, कौन हैं रामाशीष राय ?
Meerut: राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान पूर्व विधायक रामाशीष राय को सौंप दी है।
Meerut Ramashish Rai: राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं। उन्होंने शुक्रवार को नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही दो कार्यकारी अध्यक्ष और प्रदेश संयोजक के नाम की घोषणा की है। जयंत ने आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी रामाशीष राय को सौंपी है। जिन दो लोगों को कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया है। उसमें मंजीत सिंह कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष प्रभारी सेक्टर संगठन और कंवर हसन कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष प्रभारी फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन बनाए गए हैं। इसके अलावा ऐश्वर्यराज सिंह को पार्टी का प्रदेश संयोजक नियुक्त किया है।
नए प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय बीजेपी के बड़े नेता में शुमार रहे हैं। वह बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे चुके हैं। पूर्व एमएलसी रामाशीष राय 6 जुलाई 2021 को आरएलडी में शामिल हुए थे। अब उन्हें जयंत ने यूपी का प्रभार सौंपा है। पूर्वांचल के देवरिया जिले के रहने वाले रामाशीष का बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से गहरा रिश्ता रहा है। जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र जैसे दिग्गज शामिल हैं। बीजेपी में अपनी उपेक्षा और टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर उन्होंने अलविदा कह दिया था।
पार्टी को खड़ा करने की चुनौती
जयंत चौधरी ने रामाशीष को बड़ी जिम्मेदारी तो सौंप दी है, लेकिन अब उन्हें इसे साबित भी करना होगा। क्योंकि राष्ट्रीय लोकदल का पश्चिम उत्तर प्रदेश में ही असर दिखाई देता है। 2014, 2017, 2019 के चुनाव में आरएलडी का सूपड़ा साफ होने से उसके अस्तित्व पर सवाल खड़े होने लगे थे। लेकिन 2022 के चुनाव में जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव ने हाथ मिलाया और पश्चिम में उनके 9 विधायक जीते। अब जयंत चौधरी अखिलेश यादव की मदद से राज्यसभा जाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने प्रदेश की जिम्मेदारी पूर्वांचल के नेता को सौंपी है। प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष के कंधों पर अब आरएलडी संगठन को मजबूत कर पार्टी को पूरे प्रदेश में मजबूती के साथ खड़ी करने की बड़ी चुनौती है।
कौन हैं रामाशीष राय?
रामाशीष राय के पास बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी थी। हालांकि मायावती सरकार में मंत्री रहे बाबूसिंह कुशवाहा को बीजेपी में शामिल किए जाने का उन्होंने पुरजोर तरीके से विरोध किया था। साथ बड़े नेताओं पर आरोप लगाए थे कि वह पैसे लेकर उन्हें शामिल किए हैं। जिसके बाद उन्हें बीजेपी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामाशीष राय अटल-आडवाणी काल के कद्दावर नेताओं में गिने जाते रहे हैं। जेपी आंदोलन से निकले राय भाजपा के स्थापना काल से पदाधिकारी रहे। 1980 में युवा मोर्चा के ब्लॉक अध्यक्ष रहने के वह भाजयुमो के जिलाध्यक्ष रहे। इसके बाद राजनाथ सिंह, उमा भारती, कल्याण सिंह के साथ पार्टी के विभिन्न पदों पर रहते हुए 1991 में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हुए। 1993 में भाजपा युवा मोर्चा के तत्कालीन अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ राष्ट्रीय मंत्री बने। फिर 1996 में उमा भारती के साथ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे। रामाशीष राय कलकत्ता से कटक तक एक महीना की पदयात्रा और द्वारिका से नागालैंड तक सीमा सुरक्षा अभियान की वजह से भी जाने जाते रहे हैं। 1998 में पार्टी ने उनको युवा मोर्चा की कमान सौंपी। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के पहले 1997 में ही पार्टी ने उनको एमएलसी बना दिया। भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में धमक रखने वाले रामाशीष राय देवरिया लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं।
वर्ष 2012 में कांग्रेस में हुए थे शामिल
बीजेपी से वगावत करने के बाद रामाशीष राय 24 जनवरी 2012 को कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। उन्हें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। 2004 में वह कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव देवरिया संसदीय क्षेत्र से लडे़ थे। इसमें पौने दो लाख वोट भी पाए थे। 2008 में उनकी मुलाकात एक बार फिर राजनाथ सिंह से हो गई। उनके कहने पर रामाशीष फिर से बीजेपी में आ गए। लेकिन उनकी उपेक्षा जारी रही, बीजेपी में कोई पद या चुनाव नहीं लड़ाने से नाराज होकर रामाशीष ने 2021 में राष्ट्रीय लोकदल में आ गए थे।