37 पर मेरा लाल लड़ेगा, बाकी पर शिवपाल लड़ेगा हो गया 'वायरल'
सपा-बसपा के सीट बंटवारे के बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में अंदर खाने उपजी नाराजगी के बीच महीनोंं पहले से चल रहा वायरल मैसेज और तेज हो गया है। गाजीपुर, जौनपुर, मछलीशहर, घोसी आदि लोकसभा की सीटें बसपा को दिए जाने के फैसले को समाजवादी पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं को गले नहीं उतर पा रहा है।
लखनऊ : सपा-बसपा के सीट बंटवारे के बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में अंदर खाने उपजी नाराजगी के बीच महीनोंं पहले से चल रहा वायरल मैसेज और तेज हो गया है। गाजीपुर, जौनपुर, मछलीशहर, घोसी आदि लोकसभा की सीटें बसपा को दिए जाने के फैसले को समाजवादी पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं को गले नहीं उतर पा रहा है। स्थिति यह हो गई है कि सपा के परंपरागत मतदाता व तमाम नेता और मुखर होकर इस गठबंधन का विरोध करने लगे हैं। इसके साथ ही सपा के संस्थापक व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बयानों को कुछ अलग ही ढंग से पेश करते हुए '37 पर मेरा लाल लड़ेगा, बाकी पर शिवपाल लड़ेंगा' का मैसेज वायरल करने लगे हैं। कहने में संकोच नहीं होगा यही स्थिति रही तो गठबंधन से नाराज मतदाता शिवपाल की पार्टी को लाभ पहुंचा सकते हैं।
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पार्टी के नाराज कार्यकर्ताओं का कहना है कि वैसे भी सपा के संरक्षक, संस्थापक, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव गठबंधन का विरोध करते हुए तमाम बयान पूर्व में ही दे चुके हैं। जिन्हें पार्टी कार्यकर्ता एक संदेश के रूप में देखता है।
गौरतलब हो कि सीटों के बंटवारे में पूरी तरह से बसपा की चली है। बसपा लोकसभा में शून्य है जबकि विधानसभा में भी सपा के तुलना में उसकी सीटें आधी है। इसके बाद भी लोकसभा चुनावों में बसपा सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी के गढ़ में अपनी पैठ किस तरह से मजबूत की है। इससे यह साफ हो जाता है कि आने वाले समय में सपा की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। महागठबंधन के नाम पर जो सीटे उनके खाते से जा रही है और जिन सीटों पर दूसरे नंबर पर भी सपा थी वह भी बसपा ने हथिया ली है। यही नहीं सपा का मजबूत आधार ग्रामीण क्षेत्र में माना जाता है लेकिन बंटवारे में उसे शहरी सीटे थमा दी गयी हैं, जहाँ बीजेपी पहले से ही मजबूत है।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जहां जीत की उम्मीद न के बरााबर रहेगी, इसके अलावा इलाहाबाद, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, गाजियाबाद से लेकर झांसी जैसी सीटें सपा के खाते में डाल दी गयी हैं। कांग्रेस से गठबंधन न होने की स्थिती में प्रियंका गांधी के यूपी खास कर पूर्वांचल में सक्रिय होने से सपा की स्थिति और खराब हो सकती है। दूसरी तरफ बसपा ने एक तरफ से कस्बाई और ग्रामीण सीटों को अपने पास बरकरार रखा है जहाँ अगर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता उसके साथ खड़े हुए तो वह बीजेपी को कड़ी टक्कर देने में कामयाब हो सकती है।
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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस फैसले का विरोध सोशल मीडिया पर अब खुल कर शुरू हो गया है। मुलायम सिंह यादव सपा, बसपा गठबंधन से खफा होकर बता चुके हैं कि अखिलेश चुनाव पूर्व ही अपनी आधी सीट हार चुके हैं और इस गठबंधन से भाजपा को मजबूती मिलेगी और वह चुनाव में बढ़त बनाएगी। सीट बंटवारे के फार्मूले से सपा कार्यकर्ता खासे नाराज हैं। अंदर खाने में चल रही उठापटक तो इस कदर है कि बहुत से स्थापित नेता इन दिनों शिवपाल यादव के संपर्क में हैं। वैसे भी पहले से समाजवादी पार्टी के सियासी गलियारों में व सोशल मीडिया पर लगभग महीनों पूर्व से नारा चल रहा है कि '37 पर लाल लड़ेगा बाकी पर शिवपाल लड़ेगा।'
गौरतलब हो कि पिछले लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा में मोदी लहर के बावजूद सपा दूसरे नंबर पर रही थी। यहां से समाजवादी पार्टी विधानसभा में भी पहुंची है, इसके बाद भी इसे बसपा को दे दिया गया है। इसके साथ ही चंदौली में भी सपा दूसरे नंबर पर थी और यहाँ दोनों पार्टियों (सपा-बसपा) के वोट से अधिक भाजपा को मिले थे, लिहाजा इसे सपा को थमा दिया गया है। जबकि जौनपुर की दोनों सीटें बसपा को दिया जाना चर्चा का विषय बना हुआ है।
जौनपुर के सपा के कार्यकर्ता लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। ऐसे में बीजेपी के कार्यकर्ता अंदरखाने में अपनी मुस्कुराहट और बढ़ा दिए हैं। क्योंकि माना जा रहा कि अगर यही स्थिति रही तो बहुत से समाजवादी पार्टी के नेता या तो शिवपाल के समर्थन में रहेंगे या फिर अंदरखाने में रह कर बीजेपी की मदद भी कर सकते हैं।