दुर्गेश पार्थसारथी
चंडीगढ़। गुरदासपुर उपचुनाव में मतदान से पहले शिरोमणि अकाली दल (बादल) के वरिष्ठ नेता व प्रकाश सिंह बादल की सरकार में मंत्री रहे सुच्चा सिंह लंगाह पर दुष्कर्म का आरोप लगते ही सूबे की सियासत गरमा गयी है। इस तूफान की चपेट में सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था एसीजीपीसी भी आ गई हैं क्योंकि लंगाह 32 साल से गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य भी हैं। यह आरोप किसी और ने नहीं बल्कि लंगाह की बेटी की सहेली ने लगाया है। आरोप लगने के बाद लंगाह भूमिगत हो गए हैं जबकि राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी तेज हो गयी है। गुरदासपुर की रहने वाली महिला ने गत 28 सितंबर को एसएसपी को दी शिकायत में कहा है कि 1997 से 2002 तक अकाली-भाजपा सरकार में मंत्री रहे एसजीपीसी सदस्य सुच्चा सिंह लंगाह ने उसे नौकरी का झांसा देकर कई बार अपनी हवस का शिकार बनाया। लंगाह पर केस दर्ज होते ही मुद्दाविहीन चुनाव लड़ रहीं पार्टियों को गुरदासपुर उपचुनाव में एक-दूसरे के चीरहरण का बड़ा मुद्दा मिला गया।
कांग्रेस ने सलारिया पर भी लगाया आरोप
मीडिया में खबरें आते ही अमृतसर से कांग्रेसी विधायक डॉक्टर राजकुमार वेरका ने बिना देरी किए भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे स्वर्ण सलारिया पर दुराचार का आरोप लगाते हुए उन्हें भी कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि सलारिया ने मुंबई में कई लड़कियों का शोषण किया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को चाहिए कि बिना देरी किए सलारिया और सुच्चा दोनों को जेल में डाल दें। वहीं भाजपा ने सलारिया पर लगे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया जबकि सुच्चा सिंह के सवाल पर चुप्पी साध गई। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी को बैठे बिठाए अकाली-भाजपा पर प्रहार करने का बड़ा मुद्दा मिलते ही वे इसे हाथ जाने देना नहीं चाहते। किसानों की कर्ज माफी व बेरोजगारों को रोजगार देने के मामले में अपनी किरकीरी करवा चुकी कांग्रेस अब पूरी तरह हमलावर हो गई है। कांग्रेस ने अब लंगाह को राजनीति का दाग बताते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर भी निशाना साधना शुरू कर दिया है।
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पूर्व कैबिनेट मंत्री पर यह है आरोप
लंगाह के काले कारनामों की सीडी पुलिस अधिकारियों को सौंपते हुए महिला ने कहा कि उसके पति की अप्रैल 2008 में मौत हो गई थी। उस समय उसे नौकरी की जरूरत थी। लंगाह की बेटी उसकी क्लासफेलो और सहेली है। उस समय कैबिनेट मंत्री रहे लंगाह से वह अपने परिवार के साथ पहली बार कृषि भवन चंडीगढ़ में मिली। कुछ दिन बाद लंगाह ने उसे फिर कृषि भवन बुलाया और उसके साथ अश्लील हरकतें शुरू कर दीं। इस दौरान उसने लंगाह को बताया कि उनकी बेटी उसके साथ पढ़ी है और वह उसकी सहेली भी है, लेकिन लंगाह पर कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। यही नहीं लंगाह गुरदासपुर स्थित उसके आवास पर भी आते रहे और उसे अपनी हवस का शिकार बनाते रहे।
महिला ने धोखाधड़ी का भी आरोप लगाते हुए कहा कि लंगाह ने उसकी जमीन बेचने से मिले 30 लाख रुपये में से 26 लाख हड़प लिये। यहीं नहीं उसने बैंक से 8 लाख रुपये का लोन लिया, लेकिन उसकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए लंगाह ने यहां भी उसके साथ धोखाधड़ी की और उसे सिर्फ एक लाख रुपये ही दिए। महिला ने कहा कि हर बार उसे नए-नए प्रलोभन देकर लंगाह ने उसका शारीरिक शोषण किया। यह पूछे जाने पर कि इतने सालों बाद शिकायत क्यों की तो महिला ने कहा कि उसके बेटे की दुर्घटना हो गयी थी। इस बारे में जब लंगाह से बात हुई तो उन्होंने कहा कि यह दुर्घटना हुई है या किसी ने करवाई है। यह सुनकर उसका माथा ठनका कि लंगाह उसके परिवार को खत्म करवा सकता है। सो हिम्मत करके उसने पुलिस में शिकायत करने का फैसला किया।
अब भागते फिर रहे लंगाह
अभी तक महिला के आरोपों को झूठ का पुलिंदा व राजनीति से प्रेरित बता रहे लंगाह केस दर्ज होने के बाद से ही भागते फिर रहे हैं। पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह छापेमारी कर रही है। इस बीच लंगाह ने इलाका मजिस्ट्रेट से आत्मसमर्पण के लिए 72 घंटे का समय मांगते हुए इसे राजनीतिक रंजिश बताया। लंगाह ने कहा कि गुरदासपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के कारण विपक्ष के नेताओं ने महिला को मोहरा बनाकर उन्हें फंसाया है। लिहाजा उन्हें अग्रिम जमानत दी जाए। इससे पहले लगंाह चंडीगढ़ में ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने आत्मसमर्पण के लिए पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इस बीच आलोचना झेल रही गुरदासपुर की जिला पुलिस ने लंगाह की गिरफ्तारी के लिए प्रदेश के 22 जिलों के एसएसपी को पत्र लिखने के साथ ही देश के नौ राज्यों की पुलिस को ईमेल कर मदद मांगी है।
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लंगाह मामले में हो रही राजनीति
लंगाह की गिरफ्तारी आखिर क्यों नहीं हो पा रही है, इसका जवाब न तो पुलिस के पास है और ना ही कांग्रेस व अकाली नेताओं के पास। कांग्रेस जानती है कि यदि लंगाह की गिरफ्तारी हो गई तो चुनाव से पहले ही मुद्दा खत्म हो जाएगा। शायद इसीलिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार पुलिस पर दबाव नहीं बना रही है। यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लोगों को भरोसा दिया था कि अपराधी चाहे कितना ही रसूख वाला क्यों न हो, उसे 48 घंटे के भीतर सलाखों के पीछे भेज दिया जाएगा, लेकिन लंगाह के मामले में सरकार कुछ नहीं कर पाई। वह भी तब जब लंगाह चंडीगढ़ की जिला अदालत में सपमर्पण के लिए भी पहुंचे थे। ऐसे में यह साफ है कि लंगाह के मामले में कार्रवाई कम और राजनीति ज्यादा हो रही है।
अकाली दल ने दी सफाई
शिरोमणि अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि पार्टी का लंगाह से कोई संबंध नहीं है। उन्हें पार्टी से निकाला जा चुका है। जो भी हुआ है वह गलत है। सुखबीर सिंह बादल की पत्नी व केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री हरसीमरत कौर बादल ने कहा कि लंगाह पर लगा आरोप अति निंदनीय है। लंगाह को पार्टी से निकाला जा चुका है। ऐसे में कोर्ट व पुलिस अपना काम करेगी। जो गलत है उसे गलत कहने में कोई हर्ज नहीं है। लेकिन गुरदासपुर उपचुनाव के समय ही इस तरह के मामले का सामने आना कई तरह के सवाल खड़े करता है।
यदि लंगाह लंबे समय से किसी महिला का शोषण कर रहा था तो उसकी शिकायत पहले ही दर्ज करवाई जानी चाहिए थी। वैसे इस मामले पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का कोई बयान नहीं आया है। वहीं आप के प्रदेश अध्यक्ष ने इसे कांग्रेस व अकालियों की नौटंकी करार देते हुए कहा कि इतने समय में भी पुलिस उन्हें नहीं पकड़ सकी। उन्होंने कहा कि अब कैप्टन की सरकार बनाकर प्रदेश की जनता पछता रही है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी सुनील जाखड़ ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दुष्कर्म के वीडियो पर रोक लगाने की मांग की है।
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सूबे की सियासत गरमाई
उधर उपचुनाव धीरे-धीरे रंग दिखाने लगा है। लंगाह मामले से सूबे की सियासत गरमा गई है। अकाली-भाजपा,कांग्रेस व आप नेताओं ने एक-दूसरे की पोल खोलनी शुरू कर दी है। हालांकि इस मामले के सामने आते ही लंगाह ने पार्टी के सभी पदों व एसजीपीसी से इस्तीफा दे दिया, लेकिन शिअद के दामन पर दाग तो लग ही गए हैं। लंगाह के बचाव में आए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय सांपला ने दुष्कर्म के आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया तो पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि केंद्रीय मंत्री जिस आरोपी का बचाव कर रहे हैं उसकी करतूतों का वीडियो देंखे जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। उन्होंने कहा कि सुच्चा सिंह का दामन शुरू से ही दागदार रहा है।
यह कोई इकलौता मामला नहीं है। थाने में उसके खिलाफ दर्ज करवाई गई शिकायतों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन सूबे में अकालियों की सरकार बनते ही सुच्चा और उसके सारे बुरे कर्म धुल गए। सांपला सहित भाजपा के उन सभी नेताओं को सुच्चा का इतिहास देखना चाहिए जो उसका बचाव कर रहे हैं। वहीं आप की विधायक प्रो.बलजिंदर कौर ने लंगाह व एसएसपी सलविंदर सिंह पर आतंकियों को संरक्षण देने के आरोप लगाए। वहीं स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि लंगाह ने अपनी बेटी की सहेली तक को नहीं छोड़ा तो ऐसे में समझ लें कि अकालियों ने प्रदेश में कैसा शासन किया।
एसजीपीसी में भी खिंची तलवार
लंगाह का मामला सामने आते ही पंथक मोर्चे पर भी लंगाह की तीखी आलोचना होने लगी है। एसजीपीसी सदस्यों का कहना है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एक धार्मिक संस्था है। दुष्कर्म जैसा निंदनीय कार्य करने वाला व्यक्ति किसी भी सूरत में इस संस्था का सदस्य नहीं रह सकता। तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार भाई बलजीत सिंह दादूवाल ने कहा कि जल्द ही पांच सिंह साहिबानों की अकाल तख्त साहिब पर बैठक बुलाकर ऐसे घृणित कार्य करने वाले व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। एक सर्वोच्च धार्मिक संस्था व अकाली दल से जुड़े इस व्यक्ति के कारण सिख कौम का सिर शर्म से झुक गया है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि लंगाह ने सभी को शर्मसार कर दिया है। वहीं एसजीपीसी अध्यक्ष प्रो.किरपाल सिंह बडंूगर ने कहा कि लंगाह ने पद से इस्तीफा दे दिया है। बडंूगर ने कहा कि लंगाह के कृत्य की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है।
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लंगाह का आपराधिक रिकॉर्ड
पूर्व अकाली मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह कभी गुरदासपुर थाने में दस नंबरी हुआ करते थे, लेकिन शिरोमणि अकाली दल से एमएलए व एसजीपीसी का सदस्य चुने जाने के बाद तीन एकड़ जमीन का मालिक आज 100 करोड से भी अधिक का मालिक बन चुका है। थानों के रिकॉर्डों के अनुसार लंगाह को भ्रष्टाचार के मामले में 2015 में मोहाली की अदालत ने तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी। इसके साथ उसकी 80 करोड़ से अधिक की संपत्ति को जब्त कर लिया था, लेकिन सुप्रीमकोर्ट से राहत मिलने के बाद वे विधानसभा चुनाव लड़ पाए।
इसके अलावा भी लंगाह पर कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे जिसमें पुलिस ने उन्हें दस नंबरी घोषित किया था, लेकिन सरकार बनते ही उन्हें क्लीनचिट दे दी गई और वे अकाली सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री बने। 1980 में राजनीति में कदम रखने से पहले लंगाह दूध बेचने से लेकर घोड़ा गाड़ी तक हांक चुके हैं। लंगाह पर मारपीट करने व धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले भी दर्ज हो चुके हैं। दुष्कर्म के आरोपों का सामना कर रहे तथा पुलिस से बचने के लिए भाग रहे लंगाह 32 सालों से सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था एसजीपीसी के सदस्य हैं।