लखनऊ: ऐसा देश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार दिखा कि किसी राष्ट्रीय पार्टी के बड़े नेता ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से सीधी बात की और उनके सवालों के जवाब दिए। पार्टी थी कांग्रेस और नेता थे राहुल गांधी जो शुक्रवार को कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव का आगाज करने आए थे। ये पहले भी होता रहा है लेकिन बंद कमरे या पार्टी कार्यालय में लेकिन पहली बार सार्वजनिक मंच पर ये पहला मौेका था।
ये अलग बात है कि सवाल कुछ और जवाब कुछ और थे। लेकिन इससे दीगर ये सब कुछ एकदम नया था । किसी के लिए भी । यहां तक कि कांग्रेस के लिए भी। ऐसा एक्सपेरिमेंट तो आजतक किसी राजनीतिक दल ने नहीं किया था। ठीक अमरीका के प्रेसिडेंट चुनाव की तरह । जहां प्रत्याशी सीधे जनता के सामने आते हैं और लोगों के सवालों के जवाब देते हैं। सवालों के जवाब के आधार पर ही वहां राजनीतिक पार्टियां अपने प्रत्याशी तय करती हैं।
पीके ने तैयार किया राहुल का मंच
यूपी में कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार 2011 से तीन साल अमेरिका में रहे। उन्होंने वहां काम किया। इससे पहले वो टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सायंस से एमए की डिग्री ले चुके थे। साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने तो 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में नीतिश कुमार उनकी रणनीति की सेवा ले चुके थे। राहुल के लिए आज पूरा मंच पीके ने ही तैयार किया। रणनीति के अनुसार उन्होंने युवाओं को टारगेट किया।
कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं की अच्छी भीड़ भी जुटाई जो मंच पर मौजूद नेताओं का हौसला बढ़ाने के लिए काफी थी। पीके अच्छी तरह जानते हैं कि देश के 65 प्रतिशत से ज्यादा युवा जिस ओर मुडेंगे सरकार उसकी ही बनेगी। लोकसभा के लिए 2014 के चुनाव में ये साबित भी हो चुका है। जब नरेंद्र मोदी ,युवाओं को भा गए और उन्हें पीएम बनते देर नहीं लगी।
भाषण और वादों से बोर हो चुका है युवा
आज का युवा भी नेताओं के भाषण ओर वायदे सुन बोर हो चुका है। उसे सीधा संवाद पसंद आता है। वो अपने हर सवाल का जवाब चाहता है और उन जवाबों से संतुष्ट होना भी। पीके ने युवाओं की इसी नस पर हाथ रखा है। हालांकि प्रयोग के तौर पर इसमें सीधे मतदाताओं को नहीं बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रखा गया। पीके ये जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी में नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच मीलों का फासला है। इसीलिए उन्होंने पॉलिटिकल वॉक द टॉक कार्यक्रम रखा ताकि कार्यकर्ता खुद को नेताओं से जुड़ा हुआ महसूस करें।
बाकी पार्टियों को सोचने पर किया मजबूर
पीके ने शुक्रवार को ऐसा कार्यक्रम रख अन्य राजनीतिक दलों के लिए भी दरवाजे खोले हैं और उन्हें सोचने पर मजबूर किया है। ये एक संदेश भी है कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों के लिए भी कि वो अपने कार्यकर्ताओं के साथ सीधा संवाद करें ओर उनकी समस्या सुनकर उसका समाधान खोजें।