महागठबंधन पर सस्पेंस बरकरार, मायावती के तेवर से सकते में विपक्ष

Update: 2018-09-28 16:18 GMT

लखनऊ: आगामी लोकसभा चुनाव के पहले ही महागठबंधन की नींवे हिलती दिख रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती पहले ही छत्तीसगढ और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन को नकार चुकी हैं। हालांकि इसके तुरंत बाद कांग्रेस के शीर्षस्थ नेता हरकत में आए। उधर शिवपाल यादव के सेकुलर मोर्चा के गठन के बाद प्रदेश की 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा ने विपक्षी दलों के माथे पर शिकन ला दिया है। चुनाव के पहले बन रहे ऐसे सियासी माहौल की वजह से महागठबंधन पर सस्पेंस बना हुआ है।

महागठबंधन को लग रहे झटके

लोकसभा चुनाव 2019 के लिए प्रस्तावित महागठबंधन को झटके पर झटके लग रहे हैं। संभावित महागठबंधन के प्रमुख घटक दल बसपा मुखिया मायावती गठबंधन से दूरी बनाती नज़र आ रही हैं। हाथी की सवारी से छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में नैया पार लगाने उम्मीद पाले काँग्रेस के लिए यह बड़ा झटका है। छत्तीसगढ़ में मायावती काँग्रेस के बागी नेता अजीत जोगी के साथ हाथ मिला चुकी हैं। जबकि मध्य प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी हैं। दरअसल मायावती ने पेट्रोल डीज़ल की बढ़ती कीमतों का ज़िम्मेदार नरेंद्र मोदी सरकार के साथ पूर्व की यूपीए सरकार को भी बताया था।

मायावती का रूख अचानक बदला

कर्नाटक में कांग्रेस-जदएस गठबंधन से एच डी कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और बसपा मुखिया मायावती की गले मिलती तस्वीर सामने आई थी। जिससे दोनों नेताओं के बीच अच्छे रिश्ते की झलक साफ दिख रही थी। मगर हाल के दिनों में मायावती का रुख अचानक बदल गया है। दरअसल मायावती के सबसे भरोसेमंद नेताओं नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी अब कांग्रेस का हिस्सा बन चुके हैं। बसपा से निकाले जाने के बाद नसीमुद्दीन ने मायावती पर टिकट बेचने के आरोप लगाए थे। और मायावती से बातचीत का कथित ऑडियो भी सार्वजनिक कर दिया था। मायावती इस बात से बेहद नाराज़ बताई जाती हैं। यही वजह है, कि काँग्रेस से बदला लेने के लिए छत्तीसगढ़ में अजित जोगी से समझौता कर लिया है।

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