13 साल के वनवास से बौरा गए हैं इनेलो के नेता, ठोक रहे ताबूत में आखिरी कील !

Update: 2017-07-09 12:23 GMT

चंडीगढ़ : हरियाणा में 13 साल से इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) राजनीतिक बियाबान में भटक रहा है। पार्टी ने सत्ता में वापस आने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन लगातार तीन चुनावों में उसे बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी; दो बार कांग्रेस के हाथों और एक बार भाजपा से।

अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने के लिए इनेलो नेतृत्व ने ऐसी रणनीतियां अपनानी शुरू कर दी हैं जिनसे पार्टी को नई जिंदगी मिलने के बजाए लोगों को असुविधा अधिक हो रही है।

पार्टी का ऐसा ही एक राजनीतिक फैसला सतलुज-यमुना संपर्क नहर के मुद्दे पर 10 जुलाई को पंजाब से आने वाले वाहनों को रोकने का आह्वान है।

छह महीने में यह दूसरी बार है जब इनेलो नेतृत्व ने नहर के मुद्दे पर आंदोलन का फैसला लिया है जिससे लोगों को ही अधिक परेशानी हुई है।

पार्टी की रणनीति हरियाणा के पांच प्रमुख जगहों पर पंजाब से आने वाले वाहनों को रोकने की है। इसका अर्थ यह हुआ कि केवल पंजाब नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर और चंडीगढ़ से आने वाले वाहनों को भी रोका जाएगा।

मौजूदा उमस भरी गर्मी में यह फैसला मुसाफिरों के लिए मुसीबत की वजह बनेगा। एक ऐसे समय में जब कालेजों और विश्वविद्यालयों में दाखिले अपने चरम पर हैं, हफ्ते के पहले ही दिन यह फैसला हजारों अभिभावकों और छात्रों के लिए परेशानी का सबब बनेगा।

पंजाब के पटियाला जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता विजय गुप्ता ने कहा, "हरियाणा में अपने कार्यकर्ताओं से कुछ तारीफें बटोरने और समाचार चैनलों में थोड़ा-बहुत आने के अलावा इनेलो के इस प्रदर्शन में कोई बहुत सार नहीं है। यह समझदारी के भी खिलाफ है। आखिर, वे साबित क्या करना चाह रहे हैं?"

यह प्रदर्शन तब भी हो रहा है जब सर्वोच्च न्यायालय का सतलुज-यमुना संपर्क नहर पर आदेश आ चुका है। शीर्ष अदालत ने बीते साल नवंबर में नहर के जरिए पंजाब के साथ जल बंटवारे के लिए हरियाणा के पक्ष में आदेश सुनाया था।

इनेलो की मांग है कि केंद्र सरकार और हरियाणा व पंजाब की सरकारें सर्वोच्च न्यायालय के नहर को बनाए जाने के आदेश पर अमल करें।

पंजाब ने एक विधेयक की मदद से शीर्ष अदालत के आदेश पर अमल नहीं करने का फैसला किया है। इस मुद्दे को भी सर्वोच्च न्यायालय देख रहा है और इस मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होने वाली है, इनेलो की नाकेबंदी के एक ही दिन बाद।

इससे पहले 23 फरवरी को भी इनेलो ने पंजाब से 'पानी युद्ध' का मुद्दा उठाते हुए नहर की खुदाई का आह्वान किया था। उसका आंदोलन फ्लाप रहा था। यह जरूर है कि इनेलो समर्थकों की भीड़ से लोगों को परेशानी हुई थी।

हरियाणा के मंत्री राम बिलास शर्मा ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय मुद्दे (नहर के) पर आदेश दे चुका है। हरियाणा सरकार अदालत में केस लड़ रही है। इनेलो को इस मुद्दे पर प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।"

10 जुलाई को इनेलो के प्रदर्शन के मद्देनजर हरियाणा और पंजाब में हजारों पुलिसकर्मियों को लगाया गया है। कुछ जगहों पर ट्रैफिक रूट बदला जाएगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि 2004 के बाद (जब इनेलो ने सत्ता गंवाई थी) से समय काफी बदल चुका है। इनेलो को अगर अपना अस्तित्व बचाना है तो उसे अधिक सकारात्मक और नए तरह के विचारों के साथ सामने आना होगा।

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