आरक्षण के असली हकदार अब भी बने हुए हैं उपेक्षा के शिकार: मायावती
बसपा प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को देखते हुए मंगलवार को नौ मंडलो के नेताओं के साथ बैठक की। मायावती ने संगठन को और मजबूत करने के लिए हर मंडल की टीम बनाई है, साथ ही हर टीम में चार से पांच लोगों को रखा गया है।
लखनऊ: बसपा प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को देखते हुए मंगलवार को नौ मंडलो के नेताओं के साथ बैठक की। मायावती ने संगठन को और मजबूत करने के लिए हर मंडल की टीम बनाई है, साथ ही हर टीम में चार से पांच लोगों को रखा गया है।
इसके साथ ही विधान सभा उप चुनाव के लिए ज़िलाध्यक्ष व प्रभारियों से उम्मीदवारों के नाम भी मांगे गए है। मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे गांव-गांव में सर्वसमाज के बीच जाएं और उनका दुःख-दर्द बांटने की हर कोशिश करें।
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आरक्षण के असली हकदार अब भी उपेक्षा का शिकार
बसपा प्रमुख मायावती ने केन्द्र सरकार पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के खाली आरक्षित पदों को भरने में दिलचस्पी ना लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि आरक्षण के असली हकदार वर्ग पहले की ही तरह अब भी उपेक्षा का शिकार बने हुए हैं।
मायावती ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुन्देलखण्ड क्षेत्र के वरिष्ठ और ज़िम्मेदार पदाधिकारियों की बैठक में कहा कि केन्द्र की बीजेपी सरकार ने आर्थिक आधार पर आरक्षण दिये जाने के साथ-साथ महाराष्ट्र में मराठा समाज को अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण का लाभ दिये जाने को लेकर जिस तरह जबर्दस्त दिलचस्पी ली और आनन-फानन में त्वरित कार्रवाई की।
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बीजेपी की जातिवादी नीति और संकीर्ण सोच
अगर उसकी थोड़ी भी रुचि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लम्बित आरक्षित पदों को भरने में ली होती तो इन उपेक्षित वर्गों के लोगों का भी थोड़ा भला हो गया होता।
उन्होंने कहा, 'आरक्षण के असली हकदार इन शोषित और कमजोर वर्गों के लोग पहले की तरह ही अब भी उपेक्षा का शिकार बने हुये हैं। यह बीजेपी सरकार की जातिवादी नीति और संकीर्ण सोच को साबित करता है।'
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यूपी में अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों की और दुर्दशा होने वाली है
मायावती ने कहा कि ख़ासकर उत्तर प्रदेश में तो बीजेपी के शासन में अन्य पिछड़े वर्ग की उन 17 जातियों की और भी ज़्यादा दुर्दशा होने वाली है जिन्हें असंवैधानिक तौर पर अन्य पिछड़े वर्ग से निकाल कर अनुसूचित जातियों में शामिल करने का प्रयास किया गया है।
इस कदम से ये लोग किसी भी प्रकार के आरक्षण से वंचित हो जायेंगे। जैसा पहले भी उनके साथ सपा के शासन में राजनीतिक लाभ उठाने की गरज से किया गया था।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, जिस प्रकार से आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से विभिन्न राज्यों द्वारा बढ़ाया जा रहा है, उससे अब यह मांग हर तरफ ज़ोर पकड़ना स्वाभाविक और जायज भी है कि अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्गों का कोटा उनकी आबादी के अनुपात में बढ़ाया जाए।