BJP के लिए खतरे की घंटी है उद्धव का अयोध्या दौरा, शिवसेना की नजर काशी-मथुरा पर!
लखनऊ। शिवसेना प्रमुख उद्द्व ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार आयोध्या नगरी में रामलला के दर्शन को आ सकते हैं। सुत्रों की माने तो ये दौरा कुछ दिनों के भीतर हो सकती है जिसे लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। वहीं उद्दव का ये दौरा भाजपा के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। क्योंकि शिवसेना की छवि एक कट्टर हिंदुत्व पार्टी की रही है जिसे ये दौरा भाजपा के नेताओं की बेचैनी बढ़ा सकती है।
कांग्रेस और एनसीपी है सहयोगी
आप को बता दें की शिवसेना प्रमुख उद्दव ठाकरे महाराष्ट्र में एक धर्मनिरेपक्ष सरकार के मुखिय़ा हैं जो दो सेक्यूलर पार्टी कांग्रेस व एनसीपी के सहयोग से चल रही है। हालांकी शिवसेना के नेता इसे एक महज दौरा के तौर पर देख रहे हैं। लेकिन मीडिया में इस दौरा को लेकर काफी चर्चा हो रही है। वहीं भाजपा इस दौरे को लेकर कोई हड़बड़ी नही दिखा रही है औऱ ना ही वो ऐसा कोई बात बोल रह है जिससे ये प्रतित हो की वे इस दौरे को लेकर चिंतित है। वो बार-बार शिवसेना को एक सेक्यूलर पार्टी घोषित करती आ रही है, और अपने आप को हिन्दू का एकमात्र दल कहने से भी नही हिचकती।
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भाजपा नेता ने शिवसेना पर लगाये थे आरोप
भाजपा के कई फायरब्रांड नेता ने अनेकों बार महाराष्ट्र में गठबंधन पर शिवसेना पर तंज किए और पार्टी के संस्थापक बाला साहब ठाकरे के एक वाक्य को कोट करते हुए कहा था कि 'हिजड़े कांग्रेस के शरण में जाते हैं'। जिससे शिवसेना की कट्टर हिंदुत्व की छवी को धुमिल करने का प्रयास तमाम भाजपा के नेताओं के द्वारा किया गया था। उसी के काट को लेकर शिवसेना प्रमुख उद्दव ठाकरे रामलला के नगरी आयोध्या में जाने वाले है जिसे ये स्पष्ट संदेश जाए की हमने अपने विचाधारा से कोई समझौता नही किया है।
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उद्धव के दौरा को लेकर चर्चा
इस संभावित दौरा को लेकर तमाम मीडिया में इसकी चर्चा हो रही है वहीं राजनीतिक गलियारों में भी इसकी अंदर ही अंदर चर्चा हो रही है। वहीं भाजपा को इस बात को लेकर ड़र हो सकती है की कहीं अयोध्या को बहाने काशी और मथुरा पर भी शिवसेना प्रमुख कुछ बातें न कर दें। और उनके हिंदूत्व वाले एजेंडों को कही हथिया न ले। इस बात को लेकर भाजपा नेतृत्व संशय में पड़ सकती है। क्यों की ये दोनों जगहों पर भी मस्जिदों के अवैध निर्माण को लेकर झगड़ा है।
काशी और मथुरा पर भी चर्चा
काशी में ज्ञानवापी मस्जिद जो काशी विश्वनाथ के समीप है जहां पर कोर्ट के आज्ञा के अनुसार मुस्लिम लोगों को वहा नमाज अदा करने या फिर कोई भी घर्म से संबंधित कार्य करने को लेकर रोक लगी हुई है। वही मथुरा में भी मस्जिद और मंदिर को लेकर झगड़ा है। अतः ऐसा कयास लगाया जा रहा है की शिवसेना ऐसा कुछ घोषणा कर सकती है जिससे उसके उपर भाजपा नेताओं के द्वार फैलाये गए सेक्यूलर छवि के दुष्प्रचार को रोका जा सके और भाजपा के हिंदुत्व के ऐजेंडे को बैकफुट पर लाया जा सके। लेकिन अभी देखना होगा की शिवसेना प्रमुख का किस प्रकार का दौरा रहता है। अगर वे धार्मिक मुद्दे को तुल देंगे को भाजपा के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।