पंजाब चुनाव: ब्रिटिश नागरिक का मकान और वहां का रात्रि प्रवास

पंजाब विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने एक बम धमाके के आरोपी गुरिंदर सिंह के वहां रात्रि विश्राम किया। जिसके बाद से सभी विपक्षी दल अरविंद केजरीवाल पर लगातार हमलावर हैं।

Published By :  Bishwajeet Kumar
Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-02-19 18:28 IST

अरविन्द केजरीवाल (तस्वीर साभार - सोशल मीडिया)

नई दिल्ली। पंजाब चुनाव अभियान के अंतिम चरण में कांग्रेस (Congress) ने आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के नेता अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के खिलाफ 'आतंकवादी' कार्ड खेला है। इस मामले में अब भाजपा भी कूद पड़ी है। दरअसल, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि 2017 में एक रात मोगा में अरविन्द केजरीवाल, गुरिंदर सिंह (Gurinder Singh) नामक व्यक्ति के घर पर रुके थे। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा है कि आप नेताओं को 'आतंकवादी घरों' में देखा जा सकता है। अब भाजपा (BJP) और सहयोगी अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) भी 'अलगाववादी तत्वों की वापसी'' की बात कर रहे हैं। अकाली दल (Akali Dal) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने आप पर "कट्टरपंथियों को गले लगाने" का आरोप लगाया है।

कौन है गुरिंदर सिंह

गुरिंदर सिंह इंग्लैंड का नागरिक है। उसका पैतृक गांव घाल कलां है जहाँ आज भी उसका एक घर है। बताया जाता है कि 2017 में केजरीवाल उस घर में रुके जरूर थे लेकिन उस समय गुरिंदर वहां नहीं थे। गुरिंदर का नाम 1997 में मोगा जिले के बाघापुराना में एक मंदिर के पास बम हमले को लेकर आया था। गुरिंदर पर खालिस्तान कमांडो फोर्स के एक मॉड्यूल का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया था। हालांकि कोर्ट ने गुरिंदर को आरोपों से बरी कर दिया था।

2008 में उन पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला दर्ज किया गया लेकिन अदालत ने फिर उन्हें बरी कर दिया। गुरिंदर पर दिसंबर 2011 में भी एक बम ब्लास्ट में शामिल होने के आरोप में केस दर्ज हुआ था, लेकिन इस मामले से भी वह बरी हो गया था। गुरिंदर पर बाघापुराना, मोगा, अमृतसर में हत्याओं और आर्म्स एक्ट के कई केस दर्ज हुए थे, लेकिन वह सब में बरी हो गया था।

2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान जब आप ने पंजाब में अपनी शुरुआत की थी तब केजरीवाल राज्य भर में अपनी यात्रा के दौरान कई जगह रुके थे। 2017 में 29 जनवरी को चुनाव होने वाले थे। इसके दो दिन बाद बठिंडा जिले के मौर मंडी में दोहरे विस्फोट हुए, जिसमें सात लोग मारे गए। शुरू में जैसे ही पुलिस ने खालिस्तानी हाथ होने की बात कही, कांग्रेस और अकाली दल ने तुरंत विस्फोट को केजरीवाल के गुरिंदर के घर जाने और गुरिंदर के आतंकी आरोपों की बात करने से जोड़ दिया।

इस विवाद का आप की चुनावी संभावनाओं पर असर भी पड़ा, क्योंकि आप ने बम विस्फोट के दोषियों की गिरफ्तारी की मांग पर ज्यादा मुखर रवैया नहीं अपनाया। इसका सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को हुआ। हालाँकि पुलिस की जांच में बाद में पता चला कि मौर विस्फोट से खालिस्तानियों का कोई संबंध नहीं था। इस मामले में डेरा सच्चा सौदा की भूमिका की जांच अभी जारी है।

आप का बचाव

2017 में आप के पंजाब मामलों के प्रभारी संजय सिंह (Sanjay Singh) ने कहा था कि- प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, दिल्ली के सीएम केजरीवाल का उनका रात्रि प्रवास सहित कार्यक्रम पंजाब पुलिस और खुफिया विभाग को पहले ही भेज दिया गया था, और यह पुलिस का कर्तव्य था कि अगर कुछ भी आपत्तिजनक हो तो हमें सूचित करें। संजय सिंह ने यह भी दावा किया था कि एक स्थानीय थाना प्रभारी और संयुक्त आयुक्त स्तर का अधिकारी गुरिंदर सिंह के मकान में किराये पर रह रहा था। पुलिस ने उस समय स्पष्ट किया था कि गुरिंदर को अदालतों ने बरी कर दिया है।

पंजाब लगभग एक दशक तक आतंकवाद से झुलसता रहा है। चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक दल खालिस्तान, 1984 दंगे जैसे मुद्दे उछालकर वोट हासिल करने की कोशिश करते हैं। धार्मिक कट्टरपंथियों को अपनी ओर करने के लिए हर चुनाव से पहले खालिस्तान का मुद्दा उछाला जाता है।

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