पंजाब में कांग्रेस के लिए चुनौतियां बरकरार, कैप्टन और सिद्धू के बीच दूरियां नहीं हुईं खत्म
Captain Amarinder Singh vs Navjot Singh Sidhu: शुक्रवार को कैप्टन की चाय पार्टी और फिर सिद्धू की ताजपोशी के कार्यक्रम से साफ हो गया कि अभी पार्टी हाईकमान के लिए पंजाब में चुनौतियां खत्म नहीं हुई है।
Captain Amarinder Singh vs Navjot Singh Sidhu: मशहूर शायर और गीतकार निदा फ़ाज़ली की चर्चित पंक्ति दिल मिले या ना मिले हाथ मिलाए रहिए, पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) और प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) पर बिल्कुल सटीक बैठती दिख रही हैं। शुक्रवार को कैप्टन की चाय पार्टी और फिर सिद्धू की ताजपोशी के कार्यक्रम से साफ हो गया कि अभी पार्टी हाईकमान के लिए पंजाब में चुनौतियां खत्म नहीं हुई है। दोनों नेताओं ने एक साथ कार्यक्रम में हिस्सा तो लिया मगर दोनों के बीच साफ दूरियां भी दिखीं।
सिद्धू कैप्टन की चाय पार्टी से बिना मिले ही निकल लिए थे। हालांकि बाद में पार्टी के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के कहने पर वह लौटे तो जरूर मगर दोनों के बीच पैदा हुई दरार खत्म होती नहीं दिखी। बाद में ताजपोशी के कार्यक्रम में भी सिद्धू ने कई ऐसे सवाल खड़े किए जो कैप्टन को असहज करने वाले थे।
हालांकि कैप्टन ने अपने भाषण के दौरान सिद्धू के परिवार से पुराना रिश्ता होने की याद दिलाई मगर इन दोनों आयोजनों से साफ हो गया है कि कैप्टन और सिद्धू के रिश्तों में अभी भी सहजता नहीं आई है। बाद में विभिन्न कमेटियों के गठन और अन्य फैसलों में यह दूरी हाईकमान के लिए और बड़ी मुसीबत बन सकती है।
चाय पार्टी में सहज नहीं दिखे दोनों नेता
पंजाब कांग्रेस के लिए शुक्रवार का दिन काफी अहम था क्योंकि एक-दूसरे के विरोधी माने जाने वाले कैप्टन और सिद्धू का दो जगह आमना-सामना होना था। प्रियंका गांधी के कहने पर कैप्टन सिद्धू के ताजपोशी के कार्यक्रम में आने के लिए तो जरूर तैयार हो गए मगर इन दोनों आयोजनों से साफ हो गया कि आने वाले दिनों में दोनों नेताओं के असहज रिश्ते पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकते हैं।
कैप्टन की ओर से आयोजित टी पार्टी में चाय की चुस्की दोनों नेताओं के रिश्ते के बीच जमी बर्फ को पिघलाने में सफल नहीं हो सकी। सिद्धू इस आयोजन में कैप्टन से पहले ही पहुंच गए थे और कुछ देर रुकने के बाद कैप्टन से मिले बिना बाहर निकल गए। सिद्धू की ओर से उठाया गया यह कदम हर किसी को हैरान करने वाला था। कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने सिद्धू से लौटने का अनुरोध किया तो वे टालमटोल करने लगे। इस पर रावत ने प्रियंका से बातचीत की और प्रियंका के समझाने पर सिद्धू लौटे जरूर मगर कैप्टन से खिंचे-खिंचे दिखे।
सिद्धू ने अपनी ही सरकार को घेरा
बाद में ताजपोशी के कार्यक्रम के दौरान भी सिद्धू ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले कई सवाल उठा दिए। उन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और नौकरियों के लिए प्रदर्शन कर रहे अध्यापकों का मुद्दा उठाया। उन्होंने डॉक्टरों की हड़ताल के साथ ही ड्रग्स बेचने वालों पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई न किए जाने का सवाल भी उठाया। सिद्धू के इस आक्रामक रवैये से ताजपोशी कार्यक्रम में मौजूद कांग्रेसी नेता भी हैरान रह गए। भाषण देने के लिए उठने के दौरान भी सिद्धू ने बगल में बैठे कैप्टन और हरीश रावत को तो इग्नोर किया मगर पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल और लाल सिंह का पैर छूना नहीं भूले।
अपने संबोधन के दौरान कैप्टन ने पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ की तारीफों के पुल बांधे। इसके बाद उन्होंने सिद्धू के परिवार से अपने पुराने रिश्ते पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मैं सिद्धू को उस समय से जानता हूं जब वे पैदा हुए थे। उस समय मैं चीन के बॉर्डर पर तैनात था। कैप्टन ने कहा कि मेरी मां और सिद्धू के पिता ने साथ काम किया है। उन्होंने सिद्धू के पिता भगवंत मान के साथ हुई अपनी कई बैठकों का भी जिक्र किया।
नहीं खत्म हुईं हाईकमान के लिए चुनौतियां
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भले ही पार्टी हाईकमान कैप्टन और सिद्धू को एक मंच पर लाने में कामयाब हो गया हो मगर अभी हाईकमान की चुनौतियां खत्म नहीं हुई है। आने वाले दिनों में चुनाव से जुड़ी कई महत्वपूर्ण समितियों के साथ प्रदेश में नए प्रभारियों की नियुक्तियां की जानी है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि कैप्टन और सिद्धू के बीच एक बार फिर टकराव हो सकता है।
पंजाब के साथ ही उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यह स्पष्ट है कि रावत को पंजाब के प्रभारी की जिम्मेदारी से जल्द ही मुक्त कर दिया जाएगा। पंजाब के नए प्रभारी की नियुक्ति में भी कैप्टन और सिद्धू की सहमति बनना कठिन माना जा रहा है। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए विभिन्न समितियों का गठन भी कांग्रेस के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं होगा।
प्रदेश कांग्रेस से जुड़े नेताओं का कहना है कि मौजूदा स्थितियों में अब फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा। ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
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