इस्तीफा देकर बुरे फंसे सिद्धू, हाईकमान बातचीत के लिए तैयार नहीं, सीएम चन्नी को भी मनाने से रोका

Navjot Singh Sidhu Ka Istifa: पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से सिद्धू के इस्तीफे के बाद कांग्रेस हाईकमान ने भी कड़ा रुख अपनाया है। इस्तीफे के दो दिन बाद अभी तक हाईकमान ने सिद्धू को मनाने की कोई पहल नहीं की है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update:2021-09-30 12:32 IST

राहुल व प्रियंका गांधी संग नवजोत सिंह सिद्धू (फोटो साभार- ट्विटर) 

Navjot Singh Sidhu Ka Istifa: पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद (Punjab Congress President) से नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के इस्तीफे के बाद कांग्रेस हाईकमान ने भी कड़ा रुख अपनाया है। सिद्धू के इस्तीफे के दो दिन बाद अभी तक हाईकमान (Congress High Command) की ओर से सिद्धू को मनाने की कोई पहल नहीं की गई है। दरअसल, सिद्धू ने जिस तरह अचानक प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस (Congress) का संकट बढ़ाया है, उसे लेकर पार्टी हाईकमान काफी नाराज है। कैप्टन के इस्तीफे (Amarinder Singh Ka Istifa) के बाद कांग्रेस को नए संकट में फंसाने के लिए सिद्धू को ही पूरी तरह जिम्मेदार माना जा रहा है।

हाईकमान के कड़े रुख के कारण इस्तीफा देने के बाद सिद्धू अपने ही बुने जाल में बुरी तरह फंस गए हैं। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Punjab CM Charanjit Singh Channi) को भी सिद्धू को मनाने के काम से रोक दिया गया है। हाईकमान सिद्धू के विकल्पों पर गहराई से मंथन कर रहा है। आशा जताई जा रही है कि जल्द ही किसी नाम पर मुहर लगाई जा सकती है। 

चरणजीत सिंह चन्नी (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

मुख्यमंत्री को पटियाला जाने से रोका

सिद्धू की ओर से बुधवार को वीडियो जारी करके इस्तीफे के कारणों का खुलासा किया गया था। सिद्धू को राज्य के नए डीजीपी और एडवोकेट जनरल के नामों पर विशेष रूप से आपत्ति है। मगर अभी तक इन दोनों नियुक्तियों को भी रद्द नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री चन्नी सिद्धू को मनाने के लिए बुधवार की रात पटियाला जाने वाले थे। मगर अचानक उनका पटियाला दौरा रद्द हो गया।

जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान के कहने पर ही चन्नी ने पटियाला का दौरा (Charanjit Singh Channi Ka Patiala Daura) रद्द किया है। पंजाब कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने सिद्धू के करीबी माने जाने वाले परगट सिंह (Pargat Singh) और अमरिंदर राजा वडिंग (Amarinder Singh Raja Warring) की कमेटी को सिद्धू को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। परगट सिंह ने सिद्धू के इस्तीफे के बाद से ही उन्हें मनाने की काफी कोशिश की है। मगर अभी तक इस काम में कामयाबी नहीं मिल सकी है। 

आगे की रणनीति बना रहा हाईकमान

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पंजाब में विधानसभा चुनाव (Punjab Vidhan Sabha Chunaav) सिर पर होने के कारण कांग्रेस हाईकमान अब आगे की रणनीति पर विचार कर रहा है। चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी की ओर से दलित सीएम का बड़ा सियासी संदेश दिया गया है। पंजाब में अनुसूचित जाति का 32 फ़ीसदी वोट है। अब पार्टी दलित सीएम के मुद्दे को भुनाने की कोशिश में जुट गई है।

चुनाव नजदीक होने के कारण मुख्यमंत्री चन्नी से सरकार के काम पर ज्यादा ध्यान देने को कहा गया है। इस कड़ी में बड़ी पहल करते हुए चन्नी ने बुधवार को बकाया बिजली बिल माफ करने की बड़ी घोषणा की थी। इससे राज्य के लाखों लोगों को फायदा होगा। चन्नी सरकार के इस बड़े कदम से आप की ओर से 300 यूनिट फ्री बिजली देने के वादे की भी हवा निकलती दिख रही है। 

सोनिया-राहुल गांधी (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

नहीं रद्द होंगी नई नियुक्तियां

सिद्धू ने अपने वीडियो संदेश में खास तौर पर डीजीपी और एडवोकेट जनरल की नियुक्ति का जिक्र किया था। मगर अभी तक सरकार की ओर से इन दोनों नियुक्तियों को रद्द करने का कोई आदेश नहीं दिया गया है। दरअसल, पार्टी हाईकमान का मानना है कि अगर इन नियुक्तियों को रद्द किया गया तो चन्नी सरकार की खूब किरकिरी होगी और सिद्धू को सुपर सीएम का तमगा मिल जाएगा।

इसी कारण हाईकमान इस मुद्दे पर झुकने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर सिद्धू भी वीडियो संदेश के बाद फंस गए हैं क्योंकि अगर इन नियुक्तियों को रद्द नहीं किया जाता है तो उनके इस्तीफा वापस लेने की राह नहीं खुल पाएगी। यही कारण है कि सिद्धू के इस्तीफे के बाद फंसा सियासी पेंच अभी तक नहीं सुलझ सका है। 

नवजोत सिंह सिद्धू (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

सिद्धू को लेकर उठने लगे सवाल

सिद्धू के अड़ियल रवैये को लेकर अब पार्टी में भी सवाल उठने लगे हैं। पार्टी के नेताओं का कहना है कि सिद्धू ने गलत समय इस्तीफा देकर पंजाब की नई सरकार को मुसीबत में फंसा दिया। इस्तीफा देने के बाद सिद्धू का समर्थन भी लगातार घटता जा रहा है। पहले उनके साथ विधायकों की फौज दिखा करती थी।

मगर अब धीरे-धीरे उनके साथी विधायक और मंत्री भी उनका साथ छोड़ने लगे हैं। परगट सिंह को सिद्धू का सबसे ज्यादा करीबी माना जाता है मगर सिद्धू के इस्तीफे के बाद परगट सिंह ने अभी तक पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा नहीं दिया है। इसे सिद्धू के कमजोर पड़ने का बड़ा संकेत माना जा रहा है। 

कुलजीत नागरा और रवनीत सिंह बिट्टू (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

नए अध्यक्ष की तलाश शुरू

पंजाब में नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के लिए भी गंभीरता से मंथन शुरू कर दिया गया है। हाईकमान के निर्देश पर चंडीगढ़ पहुंचे पार्टी पर्यवेक्षक हरीश चौधरी ने राज्य के कुछ नेताओं से इस बाबत चर्चा की है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि नए अध्यक्ष की दौड़ में अभी तक कुलजीत नागरा (Kuljit Nagra) और सांसद रवनीत सिंह बिट्टू (Ravneet Singh Bittu) के नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं।

वैसे सियासी हलकों में सुनील जाखड़ के भी नाम की चर्चा है। जाखड़ का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए भी चला था। मगर आखिरी क्षणों में वे मुख्यमंत्री पद से चूक गए थे। अंबिका सोनी ने सिख मुख्यमंत्री का मुद्दा उठाकर उनकी दावेदारी को कमजोर बना दिया था। उसके बाद से जाखड़ भी नाराज बताए जा रहे हैं। कुछ नेताओं का मानना है कि जाखड़ को पूर्व की भांति अध्यक्ष बनाकर उनकी नाराजगी दूर करने की भी कोशिश की जा सकती है।

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