Punjab News: रिश्वत के बिना नेता कैसा ?

Punjab News: पंजाब सीएम भगवंत मान ने स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. विजय सिंगला के खिलाफ सख्त कदम उठाया है।

Written By :  Dr. Ved Pratap Vaidik
Update: 2022-05-26 05:10 GMT

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Social media)

Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने वह काम कर दिखाया है, जो आज तक देश का कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री नहीं कर सका। क्या आपने सुना है कि किसी मंत्री को उसके अपने मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त ही नहीं किया बल्कि गिरफ्तार करवा दिया मुख्यमंत्री मान ने अपने स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. विजय सिंगला के खिलाफ यह ऐसी सख्त कार्रवाई की है, जिसका अनुकरण देश के हर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को करना चाहिए।

सिंगला और उसके ओएसडी प्रदीपकुमार को इसलिए गिरफ्तार किया गया कि उन दोनों ने किसी ठेकेदार से 2 प्रतिशत रिश्वत मांगी। 58 करोड़ रु. के काम में यह रिश्वत बनती है, 1 करोड़ 16 लाख रु.! ठेकेदार ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर दी। यह शिकायत 21 अप्रैल को की गई थी। मुख्यमंत्री ने इस मंत्री पर निगरानी बिठा दी। जब कल सिंगला को बुलाकर पूछताछ की गई तो उसने भगवंत मान के सामने रिश्वत की बात कबूल कर ली।

प्रायः रिश्वतखोर नेता ऐसी बातों को कबूल करने से मना करते हैं और उन्हें किसी बहाने के आधार पर मंत्रिपद से हटा दिया जाता है। मुझे कई मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्रियों ने कई बार अपने ऐसे मंत्रियों के गोपनीय किस्से बताए हैं लेकिन असली सवाल यह है कि देश में कौनसा ऐसा नेता है, जो यह दावा कर सके कि सत्ता में रहते हुए उसने कभी रिश्वत नहीं ली है? ये बात अलग है कि कई बार लोग कुछ काम करवाने के लिए रिश्वत देने को मजबूर होते हैं और कई बार लोग रिश्वत को नजराने के तौर पर देते रहते हैं ताकि काम पड़ने पर उस रिश्वतखोर की मदद ली जा सके।

भारत की ही नहीं, सारी दुनिया की राजनीति का चरित्र ही ऐसा बन गया है कि रिश्वत के बिना उसका काम चल ही नहीं सकता। किस-किस देश के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों पर भ्रष्टाचार के मुकदमे नहीं चले हैं और कौन-कौन हैं, जिन्होंने जेल नहीं भुगती है? वे भाग्यशाली हैं, जो जेल जाने से बच गए हैं। लगभग डेढ़-दो हजार साल पहले 'नीतिशतक' में महाराजा भर्तृहरि ने लिखा था कि ''राजनीति वेश्या की तरह है। वह बहुरुपधरा है। वह जमकर खर्च करती है और उसमें नित्य धन बरसता रहता है।'' इसीलिए सिंगला की पकड़ाई पर मुझे आश्चर्य नहीं हुआ।

आश्चर्य तो इस बात पर है कि इसी तरह के आरोपों पर अन्य राज्यों और केंद्र में क्या हो रहा है? क्या हमारे सारे मंत्री और अफसर दूध के धुले हैं? नेता लोग जो रिश्वत लेते हैं, उसका बड़ा हिस्सा प्रायः उनकी पार्टी के काम आ जाता है लेकिन उनकी देखादेखी जो अफसर रिश्वत खाते हैं, वे उसे पूरी तरह हजम कर जाते हैं। वे डकार भी नहीं लेते। झारखंड में अभी ऐसा ही एक मामला पकड़ा गया है।

अफसरों की रिश्वतखोरी के कई मामले अभी भी सामने आ रहे हैं लेकिन ये तो फूल-पत्ते भर हैं। भ्रष्टाचार की असली जड़ तो नेताओं में निहित है। यदि नेता ईमानदार हों तो किसी अफसर की क्या हिम्मत कि वह रिश्वत लेने की इच्छा भी करे। जिस नौजवान को राजनीति में आगे बढ़ना है, उसे दो हथियार धारण करने जरुरी हैं। एक तो खुशामद और दूसरा रिश्वतखोरी! ये दोनों ही अत्यंत उच्च कोटि की कलाएं हैं।

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