पंजाब कांग्रेस का झगड़ा: सिद्धू के बाद कैप्टन पर नजर, समिति के समक्ष आज रखेंगे अपना पक्ष

Punjab Congress Fight : कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस की आंतरिक कलह सुलझाने के लिए समिति से शुक्रवार को बात रखेंगे।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shraddha
Update: 2021-06-04 05:31 GMT

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो सौ. से सोशल मीडिया)

Punjab Congress Fight : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Chief Minister Captain Amarinder Singh) राज्य कांग्रेस की आंतरिक कलह सुलझाने (resolving internal discord) के लिए बनी समिति के सामने शुक्रवार को अपनी बात रखेंगे। तीन सदस्यीय समिति से मुलाकात के लिए कैप्टन गुरुवार को ही दिल्ली पहुंच गए थे और दिन भर अपने करीबी मंत्रियों और नेताओं के साथ आगे की रणनीति बनाने में जुटे रहे। सूत्रों का कहना है कि कैप्टन पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी बातचीत कर सकते हैं।

समिति की ओर से सबसे आखिर में कैप्टन को अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया गया है। समिति के सदस्यों ने पंजाब कांग्रेस के नेताओं के साथ सोमवार को मुलाकात का सिलसिला शुरू किया था और अभी तक राज्य कांग्रेस के लगभग सभी प्रमुख नेता अपनी बात समिति के सामने रख चुके हैं। इनमें कैप्टन के खिलाफ बागी तेवर दिखाने वाले पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और विधायक परगट सिंह भी शामिल हैं।

समिति से मिल चुके हैं लगभग 100 नेता

पंजाब कांग्रेस का झगड़ा सुलझाने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से बनाई गई समिति में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल शामिल हैं। जानकारों का कहना है कि अभी तक समिति के सामने लगभग 100 नेता अपनी बात रख चुके हैं।

समिति से मुलाकात के बाद सिद्धू ने कैप्टन का नाम लिए बिना इशारों में हमला किया था। उनका कहना था कि सत्य प्रताड़ित हो सकता है मगर उसे हराया नहीं जा सकता। उनका यह भी कहना था कि मैंने समिति के सामने खुलकर अपनी बातें रखी हैं और पंजाब के लोगों का दर्द बयां किया है।

सिद्धू अपने रुख पर कायम

जानकारों के मुताबिक इस मुलाकात के दौरान सिद्धू अपने पुराने स्टैंड पर कायम रहे और साफ तौर पर कहा कि यदि अगले चुनाव में कैप्टन को ही चेहरा बनाया गया तो पार्टी के लिए चुनाव जीतना मुश्किल होगा।

सूत्रों के मुताबिक सिद्धू प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहते हैं ताकि वे अगले चुनावों के बाद मुख्यमंत्री के रूप में अपना दावा ठोकने में सक्षम हो सकें। हालांकि यह भी सच्चाई है कि सिद्धू को पार्टी अध्यक्ष के रूप में कैप्टन की मंजूरी मिलना काफी मुश्किल है।

पंजाब कांग्रेस पर कैप्टन की मजबूत पकड़ को देखते हुए हाईकमान भी उनके इच्छा के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाने के मूड में नहीं दिख रहा। हाईकमान पहले भी कैप्टन की इच्छा के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की तैनाती में विफल रहा है। ऐसे में सिद्धू की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी काफी मुश्किल दिख रही है।

दिनभर रणनीति बनाते रहे कैप्टन

अब हर किसी की नजर कैप्टन और समिति के सदस्यों की मुलाकात पर टिकी है। कैप्टन गुरुवार को ही दिल्ली पहुंच गए थे और दिन भर उन्होंने कपूरथला हाउस में अपने करीबी मंत्रियों के साथ बैठक करके अगली रणनीति पर चर्चा की। कैप्टन के करीबी मंत्री भी कई दिनों से दिल्ली में ही डेरा डाले हुए हैं। जानकारों का कहना है कि कैप्टन अपने साथ सरकारी कामकाज से जुड़ा पूरा विवरण लेकर दिल्ली पहुंचे हैं ताकि समिति के समक्ष पूरे तर्कों के साथ अपनी बात रख सकें।

सोनिया और राहुल से मिलने की योजना

 सोनिया और राहुल गांधी (फाइल फोटो सौ. से सोशल मीडिया

पहले गुरुवार को ही कैप्टन और समिति के बीच मुलाकात की बात सामने आई थी। समिति के सदस्य हरीश रावत ने भी इस बाबत इशारा किया था मगर कैप्टन गुरुवार को समिति के सदस्यों से नहीं मिले। कैप्टन के करीबियों के मुताबिक अपनी रणनीति बनाने के लिए वे एक दिन पहले ही दिल्ली पहुंच गए थे।

उनके करीबियों का यह भी कहना है कि कैप्टन की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी मुलाकात की योजना है मगर मौजूदा सियासी हालात में उनकी इन दोनों नेताओं से मुलाकात होती है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।

रिपोर्ट पर हाईकमान उठाएगा कदम

कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू दोनों को पंजाब में मजबूत जनाधार वाला नेता माना जाता है और यही कारण है कि दोनों का विवाद हाईकमान के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। वैसे पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत पूर्व में दो बार दोनों का विवाद हल करने की कोशिश कर चुके हैं। दोनों नेताओं की मुलाकात भी हुई मगर उनके गिले-शिकवे दूर नहीं हो सके।

सिद्धू के अलावा कुछ विधायक और सांसद भी कैप्टन की कार्यप्रणाली से नाराज बताए जा रहे हैं। इसी कारण अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हाईकमान की ओर से बड़ी पहल की गई है। समिति की रिपोर्ट पर हाईकमान की ओर से उठाया जाना वाला कदम पंजाब में कांग्रेस का भविष्य तय करेगा। इसी कारण समिति की रिपोर्ट का हर किसी को बेसब्री से इंतजार है।

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