Punjab congress: पंजाब में सोनिया के फैसले का इंतजार, सिद्धू को मनाना हाईकमान के लिए बड़ी चुनौती
समिति की रिपोर्ट में पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू को भी नजरअंदाज न करने की बात कही गई है।
नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस का झगड़ा सुलझाने के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि समिति की रिपोर्ट में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व पर विश्वास जताया गया है। इससे साफ हो गया है कि कैप्टन अमरिंदर ही अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे।
समिति की रिपोर्ट में पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू को भी नजरअंदाज न करने की बात कही गई है। इसे सिद्धू को कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाने का संकेत माना जा रहा है। अब हर किसी को समिति की रिपोर्ट पर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के फैसले का इंतजार है। सूत्रों का कहना है कि कैप्टन के नाम पर सिद्धू को रजामंद करना भी हाईकमान के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।
विस्तृत चर्चा के बाद समिति ने सौंपी रिपोर्ट
पंजाब कांग्रेस में पिछले कुछ दिनों से आंतरिक कलह काफी तेज हो चुकी है और वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। दोनों पक्षों के बीच चल रही खींचतान में राज्य के कई अन्य नेता भी कूद पड़े हैं। पंजाब कांग्रेस का झगड़ा सुलझाने के लिए भारतीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन सदस्यीय समिति बनाई थी जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे हरीश रावत और जयप्रकाश अग्रवाल शामिल हैं।
समिति के तीनों सदस्यों ने कई दिनों तक पंजाब के विधायकों, मंत्रियों और सांसदों से बातचीत कर उनका पक्ष जाना। समिति ने अपना पक्ष रखने के लिए सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी तलब किया था। कैप्टन अमरिंदर ने सबसे अंत में पूरे तर्कों के साथ अपनी बात रखी है और समिति को संतुष्ट करने की कोशिश की। सभी नेताओं से मुलाकात करने के बाद समिति की ओर से तैयार रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपी जा चुकी है।
कैप्टन के नेतृत्व पर ही जताया भरोसा
जानकारों का कहना है कि समिति की रिपोर्ट में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व पर ही भरोसा जताया गया है। इससे साफ हो गया है कि कैप्टन ही पंजाब कांग्रेस का चेहरा होंगे। कैप्टन के खिलाफ किसी प्रकार की गुटबाजी न होने और सिद्धू के समर्थन में विधायकों के एकजुट न होने की बात भी समिति की रिपोर्ट में कही गई है। समिति ने पंजाब में खाली पड़े पदों को भरने की भी सिफारिश की है ताकि ऐसे नेताओं को संतुष्ट किया जा सके जो अभी नाराज चल रहे हैं।
सिद्धू को नजरअंदाज न करने पर जोर
सूत्रों के मुताबिक समिति की रिपोर्ट में सबसे खास बात यह कही गई है कि नवजोत सिंह सिद्धू को नजरअंदाज करना भी पार्टी के लिए उचित नहीं होगा। समिति की इस टिप्पणी के बाद माना जा रहा है कि सिद्धू को भी पंजाब में कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। उन्हें डिप्टी सीएम बनाए जाने की भी चर्चाएं हैं। हालांकि इसके लिए कैप्टन को तैयार करना आसान नहीं होगा। कैप्टन पहले भी सिद्धू को कैबिनेट मंत्री से ज्यादा ऊंचा ओहदा देने को तैयार नहीं थे। सिद्धू को राज्य में कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं।
सियासी जानकारों का भी मानना है कि पंजाब कांग्रेस में कैप्टन की मजबूत पकड़ को देखते हुए हाईकमान उन्हें नाराज करके कोई फैसला लेने का जोखिम नहीं उठाएगा। हाल में कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी पंजाब में वैसे भी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। यही कारण है कि पार्टी हाईकमान काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
असंतुष्टों को मनाना बड़ी चुनौती
पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू के अलावा प्रताप सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा और परगट सिंह जैसे नेता भी कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इन नेताओं ने समिति के समक्ष खुलकर कैप्टन के खिलाफ अपना पक्ष रखा है। ऐसे में हाईकमान के लिए सिद्धू व अन्य असंतुष्ट नेताओं को मनाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा।
हालांकि कैप्टन की स्वीकार्यता को देखते हुए माना जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी उनकी इच्छा के खिलाफ शायद कोई फैसला नहीं लेंगी। ऐसे में पार्टी सिद्धू को कौन सा पद ऑफर करके संतुष्ट करेगी, अब हर किसी की नजर इसी पर टिकी हुई है।