Punjab Congress: पंजाब कांग्रेस में चल रही आंतरिक कलह को खत्म कराने के लिए आखिरकार पार्टी हाईकमान का फैसला सामने आ गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष (Punjab Congress Chief) के रूप में ताजपोशी की गई है। जातीय समीकरण साधने के लिए सिद्धू के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। संगत सिंह गिलजियां, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा को पार्टी की पंजाब इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। दलित सिख डैनी को राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की पसंद बताया जा रहा है। गोयल हिंदू, नागरा जाट सिख और संगत सिंह ओबीसी हैं। इस तरह ताजपोशी में जातीय संतुलन का भी पूरा ख्याल रखा गया है।
पार्टी हाईकमान की ओर से सिद्धू की ताजपोशी जरूर कर दी गई है मगर पंजाब कांग्रेस का विवाद खत्म होने के बजाय और बढ़ सकता है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का खेमा अभी खामोश है मगर उनके समर्थकों के तेवर को देखते हुए पलटवार की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। रविवार को कैप्टन के 11 समर्थक विधायकों ने उन्हें जनता का सबसे बड़ा नेता बताते हुए हाईकमान से अनुरोध किया था कि कैप्टन को निराश नहीं किया जाना चाहिए।
सिद्धू ने बढ़ाई सक्रियता
अध्यक्ष पद पर ताजपोशी से पहले ही सिद्धू ने अपनी सियासी सक्रियता बढ़ा दी थी। उन्होंने रविवार को जालंधर पटियाला और खन्ना में पार्टी के कई विधायकों से मुलाकात की और राज्य की सियासी स्थिति पर लंबी चर्चा की। सिद्धू के इस कदम को उनका बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक सिद्धू ज्यादा से ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल करने की कोशिश में जुटे हुए हैं और इसी कारण उन्होंने रविवार को पूरा दिन विधायकों के साथ बिताया।
पार्टी हाईकमान की ओर से सिद्धू की ताजपोशी की घोषणा के बाद उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। पटियाला और अमृतसर सहित राज्य में कई स्थानों पर सिद्धू समर्थकों ने जमकर जश्न मनाया। समर्थकों ने नाचने गाने के साथ मिठाइयां भी बांटीं। जश्न मनाने के लिए हाईकमान की ओर से घोषणा का इंतजार किया जा रहा था और घोषणा होते ही राज्य में जश्न का दौर शुरू हो गया।
हाईकमान ने पहले ही बना लिया था मन
सिद्धू की ताजपोशी के संबंध में राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी पत्र में उन्हें तत्काल प्रभाव से पंजाब प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपने की बात कही गई है। पत्र में पंजाब कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष सुनील जाखड़ की सेवाओं के लिए उनकी सराहना भी की गई है। इसके साथ ही कुलजीत सिंह नागरा को सिक्किम, नागालैंड और त्रिपुरा के कांग्रेस प्रभारी पद से मुक्त किए जाने की बात भी कही गई है।
पार्टी हाईकमान ने पहले ही सिद्धू को प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपने का मन बना लिया था। सिद्धू के पिछले दिल्ली दौरे के दौरान उन्हें इस बाबत सूचना दे दी गई थी। यही कारण था कि दिल्ली से लौटने के बाद सिद्धू ने सियासी सक्रियता बढ़ाते हुए कांग्रेस के कई नेताओं से मुलाकात की और उनसे राज्य में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए समर्थन मांगा है।
मत्था टेकने अमृतसर जाएंगे सिद्धू
पार्टी हाईकमान की ओर से आधिकारिक घोषणा होने के बाद नवजोत सिद्धू पटियाला के गुरुद्वारा श्री गुरु दुखनिवारण साहिब पहुंचे। गुरुद्वारे में मौजूद लोगों ने सिद्धू को ताजपोशी के लिए बधाई दी। सिद्धू के साथ काफी संख्या में उनके समर्थक भी थे। गुरुद्वारे के बाहर उनके समर्थन में नारेबाजी भी की गई। सिद्धू मंगलवार को अमृतसर जाएंगे और स्वर्ण मंदिर में मत्था टेक कर अपने अभियान की शुरुआत करेंगे।
कैप्टन के समर्थन में खुलकर उतरे विधायक
दूसरी ओर कैप्टन खेमा भी रविवार को दिनभर सक्रिय बना रहा। कैप्टन के समर्थक माने जाने वाले सुखपाल सिंह खैरा समेत 11 विधायक खुलकर कैप्टन के पक्ष में उतर आए और उन्होंने पंजाब में पार्टी को मजबूत बनाने में कैप्टन की उल्लेखनीय सेवाओं को न भुलाने का अनुरोध किया। विधायकों का कहना था कि पिछले कुछ समय से पार्टी में दोषारोपण और एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने का जो घटनाक्रम चल रहा है, उससे पार्टी कमजोर हुई है। इन विधायकों ने पार्टी हाईकमान से भी अनुरोध किया कि कोई भी फैसला लेते समय कैप्टन अमरिंदर सिंह की मजबूत स्थिति, योगदान और उनकी पृष्ठभूमि पर भी गौर फरमाना जरूरी है।
सिद्धू की ताजपोशी पर केप्टन खेमे की ओर से कोई प्रतिक्रिया तो नहीं जताई गई मगर माना जा रहा है कि कैप्टन का खेमा भी इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं है। जानकारों के मुताबिक कैप्टन सियासी अखाड़े के माहिर खिलाड़ी हैं और उनकी ओर से भी जवाबी दांव चला जा सकता है। सिद्धू को एक्सपोज करने के लिए उन्होंने अपने धुर विरोधी माने जाने वाले पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा से भी हाथ मिला लिया है।
बाजवा ने की सांसदों के साथ बैठक
उधर कैप्टन से मुलाकात के बाद बाजवा ने कांग्रेस सांसदों के साथ बैठक की। इस बैठक में पंजाब के कई कांग्रेस सांसद मौजूद थे। बैठक के बाद बाजवा ने पार्टी हाईकमान का फैसला मानने की बात कही मगर बताया जा रहा है कि बाजवा भी सिद्धू की ताजपोशी से खुश नहीं है। यही कारण है कि कैप्टन का विरोधी माने जाने के बावजूद उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ बैठक की थी। माना जा रहा है कि बाजवा भी कैप्टन के साथ मिलकर कोई साझा रणनीति बना सकते हैं।
अब सिद्धू के भावी कदमों पर नजर
पंजाब कांग्रेस का झगड़ा के समझाने के लिए पार्टी हाईकमान ने अपने पत्ते तो जरूर खोल दिए हैं मगर यह देखने वाली बात होगी कि सिद्धू सभी खेमों का समर्थन पाने में कामयाब हो पाते हैं कि नहीं। पार्टी में चल रही आंतरिक कलह के कारण अभी तक चुनावी तैयारियां नहीं शुरू हो सकी हैं। अगर आने वाले दिनों में दोनों पक्षों की कलह शांत नहीं हुई तो पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर बुरा असर पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता।
दूसरी ओर आप लगातार अपने संगठन को पंजाब में मजबूत बनाने में जुटी हुई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में भी मुफ्त बिजली का दांव चल दिया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस के आपसी विवाद से आप को सियासी फायदा मिल सकता है।