Punjab Election 2022: मनीष तिवारी ने फिर खड़े किए नेतृत्व पर सवाल, पंजाब में ढिल्लों की बर्खास्तगी के फैसले पर घेरा
Punjab Election 2022 : पंजाब में मतदान की तारीख (punjab voting date) नजदीक आ गई है मगर मनीष तिवारी ने लगातार हमलावर रुख अपना रखा है
Punjab Election 2022 : पंजाब में विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) के मौके पर कांग्रेस में असंतुष्ट माने जाने वाले वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी (Senior leader Manish Tewari) भी खुलकर बैटिंग करते हुए दिख रहे हैं। वे लगातार पार्टी नेतृत्व को आईना दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। पार्टी की ओर से उन्हें पंजाब में स्टार प्रचारक (Star campaigner in punjab) भी नहीं बनाया गया है।
पंजाब में मतदान की तारीख (punjab voting date) नजदीक आ गई है मगर मनीष तिवारी ने लगातार हमलावर रुख अपना रखा है और वे लगातार सवाल खड़े करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। खुद को पार्टी में किराएदार नहीं, हिस्सेदार बताने वाले मनीष तिवारी ने पंजाब में पार्टी के नेता केवल सिंह ढिल्लों की बर्खास्तगी पर आश्चर्य जताया है। उन्होंने कहा कि बिना किसी नोटिस के ढिल्लों की बर्खास्तगी की खबर पढ़कर मैं स्तब्ध रह गया हूं। पूर्व विधायक ढिल्लों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया है।
बिना नोटिस के कार्रवाई पर हैरानी जताई
मनीष तिवारी आजकल पार्टी से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय मीडिया में रख रहे हैं। हाल में उन्होंने पूर्व मंत्री अश्विनी कुमार के प्रति से इस्तीफे पर गहरा दुख जताया था। उनका कहना था कि पार्टी नेताओं के लगातार इस्तीफे पर पार्टी को आत्ममंथन करना चाहिए। अब उन्होंने पंजाब में कांग्रेस के नेता केवल सिंह ढिल्लों की बर्खास्तगी पर हैरानी जताई है।
उन्होंने कहा कि ढिल्लों के खिलाफ बिना किसी नोटिस के यह कार्रवाई किया जाना आश्चर्यजनक है। कांग्रेस के लोगों को उनका योगदान नहीं भूलना चाहिए। आतंक के दिनों में कोई भी पंजाब में एक पैसा निवेश करने के लिए तैयार नहीं था मगर उन दिनों में भी ढिल्लों पंजाब में पेप्सिको को लेकर आए थे।
ढिल्लों को इस बार नहीं मिला है टिकट
पंजाब के कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी ने ढिल्लों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई की है। ढिल्लों ने 2007 और 2012 में बरनाला में चुनाव जीता था मगर 2017 के चुनाव में उन्हें आप के गुरमीत सिंह मीत हेयर के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे भगवंत मान के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे थे मगर इस चुनाव में भी उन्हें हार झेलनी पड़ी थी।
इस बार पार्टी की ओर से टिकट न दिए जाने के बाद ढिल्लों निष्क्रिय होकर घर बैठ गए थे। उन्होंने 15 फरवरी को बरनाला में आयोजित राहुल गांधी की रैली में भी हिस्सा नहीं लिया था। आखिरकार बरनाला में चुनाव प्रचार का काम देख रहे प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। ढिल्लों के कई करीबियों के खिलाफ भी पार्टी की ओर से कार्रवाई की गई है। कांग्रेस नेतृत्व की ओर से की गई इस कार्रवाई के खिलाफ ही मनीष तिवारी ने मोर्चा खोला है।
लगातार हमलावर हैं मनीष तिवारी
इससे पहले मनीष तिवारी ने यह बयान देकर सनसनी फैला दी थी कि मैं कांग्रेस में हिस्सेदार हूं, किराएदार नहीं। यह बयान उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफे की अटकलों पर दिया था। उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी की मजबूती के लिए 40 साल दिए हैं मगर यदि कोई पार्टी से धक्के देकर निकालना चाहे तो अलग बात होगी।
एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में मनीष तिवारी ने कहा कि वे कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ रहा हैं बल्कि उनकी मांग है कि पार्टी में लोकतांत्रिक सुधार किए जाने चाहिए। मनीष तिवारी कांग्रेस के असंतुष्ट माने जाने वाले खेमे जी-23 के सक्रिय सदस्य रहे हैं और यह ग्रुप लंबे समय से पार्टी में बदलाव की मांग करता रहा है। हालांकि पार्टी नेतृत्व की ओर से अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है।