Punjab Election 2022: भाजपा को मिला सिख पंथ नेताओं का मजबूत साथ
Punjab Election 2022: पिछले हफ्ते, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीकी तारीफ एक ऐसे सिख पंथिक नेता ने कर दी जिसकी कतई उम्मीद नहीं थी।
Punjab Election 2022: पंजाब में कुछ महीने पहले तक अपने खेमे के लिए मजबूत सिख चेहरों को खोजने के लिए संघर्ष कर रही भाजपा को अब काफी मजबूत सपोर्ट मिल गया है। भाजपा के साथ न सिर्फ असंतुष्ट अकाली और कांग्रेस (Congress) नेता आ गए हैं बल्कि मजबूत पंथिक साख वाले नए सदस्य भी मिल गए हैं।
पिछले हफ्ते, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की तारीफ एक ऐसे सिख पंथिक नेता ने कर दी जिसकी कतई उम्मीद नहीं थी। हुआ ये कि जब 26 दिसम्बर को प्रधानमंत्री मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह के दो छोटे बेटों को सम्मानित करने के लिए वीर बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की तो एसजीपीसी समेत कई हल्कों से उनकी आलोचना की गई। लेकिन अप्रत्याशित रूप से दमदमी टकसाल के प्रमुख हरनाम सिंह धूम्मा ने मोदी की सराहना की।
दमदमी टकसाल सिखों का महत्वपूर्ण संस्थान है और ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए चरमपंथी संत जरनैल सिंह भिंडरावाले इसका प्रमुख हुआ करता था। भिंडरावाले के बाद धूम्मा टकसाल के सबसे मुखर प्रमुख हैं। धूम्मा ने कहा, "बहुत कम लोग हैं जो अपना कर्तव्य पूरा करते हैं और पीएम ने ऐसा किया है। उसका धन्यवाद किया जाना चाहिए। उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह के दो छोटे बेटों और मां की शहादत के बारे में पूरी दुनिया को बताया है।
धूम्मा की टिप्पणी आने के तुरंत बाद, उनके प्रवक्ता, सरचंद सिंह भाजपा में शामिल हो गए। सरचन्द सिंह कभी सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन के अध्यक्ष हुआ करते थे। ये फेडरेशन 1980 के दशक के दौरान भिंडरावाले द्वारा संचालित एक संगठन था। सरचन्द सिंह पंजाबी के प्रोफेसर थे। उनके बाद स्वर्गीय गुरचरण सिंह टोहरा के पोते कंवरवीर सिंह तोहरा भी भाजपा में शामिल हो गए। तोहरा 27 वर्षों तक शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष रहे और लोकप्रिय रूप से सिखों के पोप कहे जाते थे। अब पंजाब में भाजपा के पास कई मजबूत नेता हो गए हैं। जिनमें असंतुष्ट अकाली और कांग्रेस नेताओं के अलावा मजबूत पंथिक साख वाले नए सदस्य हैं।
दमदमी टकसाल
दमदमी टकसाल दरअसल सिख धर्मग्रंथों को पढ़ाता है और धर्म के सिद्धांतों को उनके शुद्धतम रूप में संरक्षित करने पर गर्व करता है।
बहरहाल, भाजपा - टकसल दोस्ती दोनों पक्षों के लिए एक परीक्षण की चीज है। एक तरफ किसान आंदोलन में भाजपा ने खालिस्तानी हाथ होने के बातें की थीं। ऐसी ही बात पंजाब में प्रधानमंत्री के काफिले के साथ हुई घटना के बारे में भी कही गई है। भाजपा के सहयोगी अमरिंदर सिंह पंजाब में खालिस्तानी तत्वों द्वारा उत्पन्न खतरे की बात नियमित रूप से करते हैं।
खालिस्तानी आरोपों का दमदमी टकसाल से ताल्लुक ये है कि टकसाल, पंजाब में उग्रवाद के वर्षों से निकटता से जुड़ा हुआ है। 1980 के दशक में भिंडरावाले के नेतृत्व में चरमपंथियों ने अमृतसर से 40 किलोमीटर दूर चौक मेहता स्थित टकसाल के मुख्यालय में अपना अड्डा बना लिया था। हाल ही में 2016 तक ऐसे आरोप लगते रहे थे कि टकसाल पटियाला के एक उपदेशक रंजीत सिंह धाद्रियांवाले को मारने के प्रयास में शामिल था।
भाजपा में शामिल होने पर सरचंद सिंह का कहना है कि जब क्षेत्रीय दल पंथ से संबंधित मुद्दों को हल करने में विफल होते हैं, तो फिर लोगों को विकल्प तलाशने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य नेतृत्व केंद्र द्वारा अपनी मांगों को पूरा करने में विफल रहा है। केंद्र में भाजपा सिख राजनीतिक कैदियों की रिहाई और राज्य के बाहर गुरुद्वारों से संबंधित अन्य लंबे समय से लंबित मुद्दों को हल कर सकती है।
सरचंद ने यह भी कहा कि पीएम ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने की कोशिश करके और तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोलकर अपनी ईमानदारी का प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमारे धर्म और हमारे सबसे पवित्र तीर्थ पर हमला किया। बीजेपी हमारे साथ खड़ी रही, पीएम ने गुरपर्व मनाया, हमें इसका समर्थन क्यों नहीं करना चाहिए?"
दूसरी तरफ कंवरवीर सिंह तोहरा ने कहा कि भाजपा में शामिल होने के बाद उसके नेताओं ने उनसे पूछा कि वह सिखों की भलाई के लिए क्या करेंगे। तोहरा ने कहा कि ये सवाल तो अकाली भी अब नहीं पूछते हैं। तोहरा के पिता बादल सीनियर के नेतृत्व वाले अकाली दल मंत्रिमंडल में मंत्री रहे थे।
एक इंजीनियर से किसान बने तोहरा की अभिनेता पत्नी महरीन कालेका किसान आंदोलन की पुरजोर समर्थक हैं। तोहरा ने इस आंदोलन के बारे में कहा कि "क्या कांग्रेस के किसी पीएम ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए कभी माफी मांगी है? लेकिन पीएम मोदी ने तो तीन कृषि कानूनों के लिए माफी मांगी।