Punjab Election 2022: भाई को बगावत से नहीं रोक सके CM चन्नी, बस्सी पठाना सीट से निर्दलीय मैदान में उतरे
Punjab Election 2022: पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपने भाई की ही बगावत को नहीं रोक सके। पंजाब की बस्सी पठाना सीट से टिकट न मिलने के बाद चन्नी के भाई डॉ मनोहर सिंह ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।
Punjab Election 2022: पंजाब के विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) में बागियों को मनाना सभी राजनीतिक दलों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Punjab CM Charanjit Singh Channi) अपने भाई की ही बगावत को नहीं रोक सके। पंजाब की बस्सी पठाना सीट (Bassi Pathana seat of Punjab) से टिकट न मिलने के बाद चन्नी के भाई डॉ मनोहर सिंह ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।
भाई के इस ऐलान से असहज स्थिति में आए चन्नी ने भाई को मना लेने का दावा किया था मगर चन्नी अपने भाई को मनाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए। चन्नी के भाई ने शुक्रवार को बस्सी पठाना सीट (Bassi Pathana seat of Punjab) से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन कर दिया। इसके बाद कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से चन्नी पर तंज भी कसा जा रहा है।
कांग्रेस नेतृत्व ने टिकट का दावा नकारा
दरअसल, चन्नी (Punjab CM Charanjit Singh Channi) के भाई डॉ मनोहर सिंह टिकट वितरण की शुरुआत से पहले ही बस्सी पठाना सीट (Bassi Pathana seat of Punjab) पर दावेदारी जता रहे थे। दूसरी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Congress State Congress President Navjot Singh Sidhu) इस सीट से मौजूदा विधायक गुरप्रीत जीपी (MLA Gurpreet GP) को टिकट दिए जाने की वकालत कर रहे थे। कांग्रेस नेतृत्व ने आखिरकार सिद्धू की बात मानते हुए गुरप्रीत जीपी को ही टिकट देने की घोषणा कर दी। इसके बाद ही चन्नी के भाई ने बागी तेवर अपना लिए थे और ऐलान किया था कि वे किसी भी सूरत में इस सीट से चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे।
डॉक्टर मनोहर सिंह (Dr Manohar Singh) आखिरकार अपने स्टैंड पर कायम रहे और उन्होंने शुक्रवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल कर दिया। उनके इस कदम से मुख्यमंत्री चन्नी (Punjab CM Charanjit Singh Channi) को भी करारा झटका लगा है। कांग्रेस में ही कुछ नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री अपने भाई को भी मनाने में नाकाम रहे।
सरकारी नौकरी छोड़कर अखाड़े में कूदे
मुख्यमंत्री चन्नी (Punjab CM Charanjit Singh Channi) के भाई स्वास्थ्य विभाग में सेवारत रहे हैं और उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए ही अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। नौकरी छोड़ने के बाद वे लगातार बस्सी पठाना चुनाव क्षेत्र (Bassi Pathana Constituency) में सक्रिय थे और इसी से उनका चुनाव लड़ना तय माना जा रहा था। कोरोना काल में डॉक्टर मनोहर सिंह की तैनाती बस्सी पठाना क्षेत्र में ही थी मगर उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए सत्तारूढ़ विधायक गुरप्रीत जीपी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Former Chief Minister Captain Amarinder Singh) से कहकर उनका तबादला करवा दिया था।
कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने और चन्नी के मुख्यमंत्री बनने पर उनके भाई ने अपनी सियासी सक्रियता और बढ़ा दी। मुख्यमंत्री का भी मानना था कि कांग्रेस विधायक की ओर से ही उनका ट्रांसफर कराया गया था और इसी कारण नाराजगी में उनके भाई चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने अपने भाई को मनाने का दावा किया था मगर वे नाकाम साबित हुए।
दूसरे नेताओं के रिश्तेदारों को बांटे टिकट
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वन फैमिली वन टिकट पॉलिसी के आधार पर चन्नी के भाई का टिकट काट दिया गया है जबकि कांग्रेस के कई नेता अपने रिश्तेदारों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे। पार्टी की ओर से सिद्धू के भतीजे स्मित सिंह को भी टिकट दिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल (Former Chief Minister Rajinder Kaur Bhattal) के दामाद विक्रम बाजवा को भी पार्टी नेतृत्व की ओर से टिकट दिया गया है।
दो सांसदों चौधरी संतोख सिंह और अमर सिंह के बेटों को भी पार्टी की ओर से टिकट दिया गया मगर चन्नी के भाई की अनदेखी कर दी गई। इसे लेकर आम आदमी पार्टी की ओर से चन्नी पर तंज भी कसा गया था। आप का कहना था कि दूसरे नेता अपने रिश्तेदारों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं जबकि चन्नी अपने भाई तक को टिकट नहीं दिला सके।
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