Punjab Politics: डीजीपी बदलने पर घिरे सीएम चन्नी, भाजपा ने बताया रबड़ स्टैंप, सिद्धू चला रहे प्रदेश की हुकूमत
Punjab Politics: यह सारा विवाद भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को डीजीपी के पद से हटाने के बाद पैदा हुआ है। सहोता को हटाकर उनके स्थान पर सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को कार्यवाहक पुलिस निदेशक बना दिया गया है
Punjab Politics: पंजाब में डीजीपी को बदलने के बाद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi News) पर बड़े सियासी हमले शुरू हो गए हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और बहुजन समाज पार्टी ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सिर्फ रबड़ स्टैंप बनकर रह गए हैं और पर्दे के पीछे से नवजोत सिंह सिद्धू का ही पूरा शो चल रहा है। दोनों दलों का कहना है कि असली ताकत मुख्यमंत्री के हाथ में नहीं बल्कि सिद्धू के ही हाथों में है। हालत यह हो गई है कि मुख्यमंत्री राज्य में अपने मन से नियुक्तियां तक नहीं कर पा रहे हैं।
यह सारा विवाद भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को डीजीपी के पद से हटाने के बाद पैदा हुआ है। सहोता को हटाकर उनके स्थान पर सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को कार्यवाहक पुलिस निदेशक बना दिया गया है। सहोता की नियुक्ति सिद्धू को रास नहीं आई थी और उन्होंने मुख्यमंत्री चन्नी से डीजीपी बदलने को कहा था। यही कारण है कि सहोता को पद से हटाने के बाद मुख्यमंत्री चन्नी पर हमने शुरू हो गए हैं।
मुख्यमंत्री के पास कोई अधिकार नहीं
चट्टोपाध्याय 1986 बैच के आईपीएस अफसर हैं और वे यूपीएससी की ओर से शॉर्टलिस्ट किए जाने वाले तीन अफसरों में से नियमित नियुक्ति होने तक कार्यवाहक डीजीपी के रूप में कार्यभार संभालेंगे। पंजाब सरकार की ओर से सौंपी गई 10 अफसरों की सूची में से यूपीएससी की ओर से किसी एक अफसर का नाम फाइनल किया जाएगा। इसके लिए 21 दिसंबर को बैठक बुलाई गई है। तब तक चट्टोपाध्याय सतर्कता ब्यूरो के प्रमुख के साथ ही कार्यवाहक डीजीपी की जिम्मेदारी भी संभालेंगे।
चन्नी सरकार की ओर से डीजीपी बदलने के कदम पर भाजपा और बसपा का कहना है कि पूरे घटनाक्रम से साफ हो गया है कि राज्य में मुख्यमंत्री चन्नी के पास कोई अधिकार ही नहीं है और वे सिर्फ दिखावे के मुख्यमंत्री हैं। सच्चाई तो यह है कि उनके पास कोई अधिकार ही नहीं है।
सिद्धू ने जताई थी आपत्ति
दरअसल डीजीपी पद पर नियुक्ति के मामले को लेकर मुख्यमंत्री चन्नी की मुसीबतें बढ़ गई हैं। राज्य का मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद चन्नी ने 1988 बैच के अफसर सहोता को डीजीपी के पद पर नियुक्त किया था। वे मुख्यमंत्री चन्नी की पसंद थे मगर इस नियुक्ति पर सिद्धू ने सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जताई थी। उनका कहना था कि बेअदबी के मामले की जांच के लिए गठित दल की अगुवाई सहोता ने ही की थी। इसलिए उन्हें इस पद पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होंने डीजीपी को हटाने की मांग को लेकर लगातार मुख्यमंत्री पर दबाव बनाए रखा और आखिरकार मुख्यमंत्री डीजीपी को बदलने के लिए मजबूर हो गए।
अफसरों की नियुक्ति में भी अक्षम
भाजपा ने डीजीपी प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री चन्नी पर बड़ा निशाना साधा है। पंजाब भाजपा के महासचिव सुभाष शर्मा का कहना है कि यदि समूचे घटनाक्रम पर नजर डाली जाए तो साफ हो जाता है कि चन्नी सिर्फ कहने के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हुए हैं। उनके पास कोई अधिकार ही नहीं है। यहां तक कि वे वरिष्ठ पदों पर अफसरों की नियुक्ति में भी खुद को अक्षम पा रहे हैं।
शर्मा ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस के मुखिया नवजोत सिंह सिद्धू दबाव बनाकर अपने मनमाफिक फैसले करवा रहे हैं। दलित होने के कारण उन्हें सिर्फ मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया गया है जबकि पर्दे के पीछे से सिद्ध ही सरकार को चला रहे हैं। डीजीपी प्रकरण से साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री सिद्धू के सामने घुटने टेकने पर मजबूर हैं।