Rajasthan: रंधावा के जिम्मे राजस्थान, राजस्थान में बिखरी कांग्रेस को एकजुट करना चुनौती

Rajasthan News Today: राजस्थान कांग्रेस के नये प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के हाथ में बागडोर आ गयी है। रंधावा अभी सिर्फ राजस्थान कांग्रेस की नब्ज़ टटोलने आ रहे है।

Newstrack :  Network
Update: 2022-12-25 14:52 GMT

सुखजिंदर सिंह रंधावा (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Rajasthan: राजस्थान सांस्कृतिक तौर पर जितने रंगों को समेटे है उतने ही रंग राजस्थान की राजनीति के देखने को मिलते हैं। अभी पूरे देश का आकर्षण केंद्र राजस्थान बना हुआ था, जिसकी वजह थी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा. जब तक यात्रा राजस्थान में थी तब तक कांग्रेस के सूबे में शांति थी. यात्रा जैसे ही राजस्थान की सीमा लांघ कर गयी वैसे ही कांग्रेस की आपसी लड़ाई फिर शुरू हो गयी. अब राजस्थान कांग्रेस के नये प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के हाथ में बागडोर आ गयी है।

राजस्थान में कांग्रेस खेमों की लड़ाई नयी नहीं है और चर्चित भी इतनी है कि पूरा देश इस बारे में जानता है। हालाँकि जब भी कांग्रेस आलाकमान या किसी राजस्थान कांग्रेस के नेता से अब बात करेंगे तो वो इसे नकारते हुए भी दिखाई देंगे. कांग्रेस आलाकमान ने अब इस आपसी लड़ाई को रोकने के लिए एक और कदम उठाया है, सुखजिंदर सिंह रंधावा को प्रभारी बना कर. वो इस आपसी लड़ाई को लेकर अभी तक कुछ बोले तो नहीं हैं, पर राजस्थान की जनता ने इस आपसी लड़ाई से नुकसान भी भुगता है वो सब जानती है. राजस्थान की जनता जानती है कि, मानेसर, जैसलमेर और जयपुर के होटलों में कांग्रेस सरकार के नेता क्यों जा कर बैठ जाते थे.

रंधावा जोड़ पाएंगे गहलोत – पायलट खेमों को?

राजस्थान कांग्रस प्रभारी बनने के बाद 27 दिसम्बर को रंधावा का पहला जयपुर दौरा है। 2 दिन के इस दौरे में रंधावा कई मीटिंग्स में हिस्सा लेंगे। कई नेताओं – मंत्रीयों से मुलाकात के कई दौर चलेंगे. माना जा रहा है कि रंधावा अभी सिर्फ राजस्थान कांग्रेस की नब्ज़ टटोलने आ रहे हैं। इसके बाद प्लान तैयार होगा कि किसको कैसे जोड़ा जाए. पर इन सब में एक बड़ा सवाल ये आता है कि दो धडों में बंटी कांग्रेस को रंधावा फिर से संगठित कर पाएँगे. गहलोत – पायलट के खेमों के नेता तो हमेशा से ही एक दुसरे के विरोध में बयान देते दिखाई दे जाते हैं। अभी पिछले ही दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया के एक इंटरव्यू में ही सचिन पायलट को नाकारा, निकम्मा और गद्दार कहा था. बीजेपी से मिले होने के पुख्ता सुबूत दिखने का दावा किया था. इतनी अन्दर तक भरी नफरत को क्या रंधावा मिटाने में कामयाब होंगे?

कार्यकर्ताओं से ले कर नेताओं को संगठित करना है: रंधावा

रंधावा दो दिन के जयपुर दौरे के दौरान बैक टू बैक मीटिंग्स करेंगे. सुखजिंदर सिंह रंधावा के अनुसार, "सबसे पहले कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में करना होगा, वो हमारी पार्टी की रीढ़ की हड्डी है, उसके बाद हर स्तर के नेता को जोड़ना होगा. अभी राजस्थान में संगठन के रूप में कांग्रेस की जो स्थिति है उसे मजबूत करने पर काम करना होगा. मेरी कई नेताओं – परिचितों से बात होती है, मैं संगठन को फिर से बनाने का काम करूँगा।

रंधावा सुलझाएंगे राजस्थान कांग्रेस के आलाकमान से विवाद?

राजस्थान में आलाकमान के एक लाइन के प्रस्ताव को लाने वाले अजय माकन, रंधावा से पहले इस ज़िम्मेदारी को संभल रहे थे. अजय माकन ने 25 सितम्बर को राजस्थान में गहलोत पक्ष के नेताओं के इस्तीफे वाले काण्ड के बाद अपना इस्तीफा दे दिया था. अब सबसे पहले तो रंधावा के सामने यही एक समस्या दिखाई दे रही है कि वो तीन नेताओं के अनुशासनहीनता वाले मामले को कैसे निपटाएंग. क्योंकि ये मामला सीधा आलाकमान के विरोध का मामला है।

इसके बाद दूसरी समस्या 90 से ज्यादा विधायकों के इस्तीफे पर कोई फैसला ला पाएँगे? तीसरी समस्या गहलोत और पायलट की आपसी लड़ाई है. इन दोनों को सत्ता के लिए लड़ते पूरे देश की जनता ने देखा है. ये विवाद कैसे सुलझाएंगे कि आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा बिना विवाद के कौन होगा? चौथी चुनौती विधानसभा चुनाव के लिए जनता के दिल में कांग्रेस का संगठित चेहरा फिर बनाना और ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज कर फिर से कांग्रेस को सत्ता में लाना।

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