Rajasthan Politics: राजस्थान में कांग्रेस का संकट गहराया, सचिन पायलट ने खोला गहलोत के खिलाफ मोर्चा, 11 को अनशन का ऐलान
Rajasthan Politics: सचिन पायलट ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने पूर्व की वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने मुख्यमंत्री पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ सांठगांठ का बड़ा आरोप लगाते हुएकहा कि पूर्व की सरकार के समय हुए भ्रष्टाचार के सारे मामले गहलोत ने दबा दिए।
Rajasthan Politics: राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का आंतरिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। कई दिनों की खामोशी के बाद राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने पूर्व की वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने मुख्यमंत्री पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ सांठगांठ का बड़ा आरोप लगाते हुएकहा कि पूर्व की सरकार के समय हुए भ्रष्टाचार के सारे मामले गहलोत ने दबा दिए।
पूर्व डिप्टी सीएम पायलट ने कहा कि मैंने इस बाबत गहलोत को पत्र भी लिखे थे मगर उन्होंने इन पत्रों का कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर 11 अप्रैल को शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करने का भी ऐलान किया है। जयपुर में आज आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सचिन पायलट के तीखे तेवर से साफ हो गया है कि कांग्रेस का आंतरिक संघर्ष से लगातार गहराता जा रहा है और इससे पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर भी बड़ा असर पड़ सकता है।
वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार की चर्चा
पायलट ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि 5 साल पूर्व जब प्रदेश में हमारी सरकार का गठन हुआ था तो हमने भ्रष्टाचार को लेकर कई बातें कही थीं मगर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद मुझे प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी और मैंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाने का प्रयास किया। 2013 से 2018 तक राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार सत्तारूढ़ थी और इस सरकार के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए।
गहलोत पर मामलों को दबाने का आरोप
भ्रष्टाचार के इन मामलों को लेकर हम जनता की अदालत में गए थे और 2018 में कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने में कामयाब रही। 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान हमने जनता से वादा किया था कि भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के मामलों की गहराई से जांच पड़ताल की जाएगी।
हमने निष्पक्ष जांच के बाद दोषियों को दंडित करने का वादा किया था मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भ्रष्टाचार के मामलों को पूरी तरह दबा दिया। उन्होंने 11 अप्रैल को शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करने का ऐलान करते हुए कहा कि यह अनशन उन वादों को पूरा करने के लिए किया जाएगा जो वादे अभी तक हमारी सरकार की ओर से पूरे नहीं किए गए।
चिट्ठी लिखने पर भी नहीं लिया कोई एक्शन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दो चिट्ठियां भेजी थीं मगर फिर भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि मैंने पहली चिट्ठी पिछले साल 28 मार्च को लिखी थी मगर मुख्यमंत्री ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। पिछले साल दो नवंबर को मैंने मुख्यमंत्री को फिर पत्र लिखा था और उनसे भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच कराने की मांग की थी।
उन्होंने कहा कि फिर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ सांठगांठ करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने दोनों नेताओं में मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां केंद्र में केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करके विपक्ष के नेताओं को परेशान किया जा रहा है,वहीं राजस्थान में अच्छे उद्देश्यों के लिए भी सरकारी एजेंसियों का उपयोग नहीं किया जा रहा है।
राजस्थान कांग्रेस में गहराया संकट
पायलट ने कहा कि हमें जनता को यह दिखाना होगा कि हमारी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है। विपक्ष में रहने के दौरान जो आरोप मैंने और गहलोत ने लगाए थे, वे सभी आरोप पब्लिक डोमेन में हैं मगर हमारी पार्टी की सरकार ने इन सभी मामलों पर चुप्पी साध रखी है। अब मैं अनशन के जरिए इन मामलों की जांच के लिए अपनी ही सरकार पर दबाव बनाऊंगा।
सियासी जानकारों का मानना है कि सचिन पायलट के हमलावर रुख से साफ हो गया है कि राजस्थान कांग्रेस में अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व राजस्थान कांग्रेस के इन दोनों दिग्गज नेताओं के बीच अभी तक सुलह कराने में नाकाम साबित हुआ है। सचिन पायलट समय-समय पर गहलोत सरकार को घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
जानकारों के मुताबिक दोनों दिग्गज नेताओं के बीच चल रही इस खींचतान का पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर बुरा असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। भाजपा दोनों नेताओं के बीच इस खींचतान का सियासी फायदा उठाने की कोशिश में जुटी हुई है।
पायलट को नई पार्टी बनाने का सुझाव
इस बीच आरएलपी संयोजक और सांसद हनुमान बेनीवाल ने पायलट को कांग्रेस से निकलकर नई पार्टी बनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों में फूट दिख रही है और पायलट पार्टी बनाकर इसका फायदा उठा सकते हैं। उन्होंने सचिन पायलट के पिता को बड़ा नेता बताते हुए कहा कि उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। सचिन पायलट भी राज्य में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि हम तो हमेशा विपक्षी की लड़ाई ही लड़ते रहे मगर पायलट के साथ मिलकर बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने सचिन पायलट के नई पार्टी बनाने पर उनके साथ चुनावी गठबंधन का भी वादा किया है।