Rajasthan: गहलोत खेमे में सेंधमारी में जुटे पायलट, सबसे मुखर विरोधी के घर जाकर सियासी समीकरण साधने की कोशिश

Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही सियासी उठापटक के बीच पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने खाचरियावास के साथ पायलट ने करीब डेढ़ घंटे तक गुफ्तगू की है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2022-10-05 11:19 IST

Congress Political Crisis: राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही सियासी उठापटक के बीच पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Former Deputy CM Sachin Pilot) सियासी समीकरण साधने की कोशिश में जुट गए हैं। उन्होंने मंगलवार को गहलोत (CM Ashok Gehlot) खेमे के सबसे मुखर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के घर पहुंचकर सियासी पंडितों को भी हैरान कर दिया। खाचरियावास के साथ पायलट ने करीब डेढ़ घंटे तक गुफ्तगू की है। इस मुलाकात को गहलोत खेमे में सचिन पायलट की सेंधमारी की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। अभी तक खुलकर सचिन पायलट का विरोध कर रहे खाचरियावास के सुर भी इस मुलाकात के बाद नरम पड़ते दिख रहे हैं। 

हालांकि इस मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने अभी तक कोई बयान नहीं दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर होने के बाद भी अभी तक राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर पैदा हुआ विवाद ठंडा नहीं पड़ा है। हालांकि गहलोत ने राज्य में कांग्रेस विधायकों की बगावत को लेकर का पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांग ली है मगर जानकारों का मानना है कि कांग्रेस हाईकमान की नाराजगी अभी तक पूरी तरह दूर नहीं हो सकी है। सुना जा रहा है कि राजस्थान में पार्टी नेतृत्व को लेकर हाईकमान जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकता है।

मुखर विरोधी को साधने की कोशिश 

कांग्रेस हाईकमान की ओर से भेजे गए दो पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन की जयपुर में मौजूदगी के दौरान गहलोत के समर्थक विधायकों की समानांतर बैठक में खाचरियावास की बड़ी भूमिका थी। उन्होंने साफ तौर पर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार न करने की चेतावनी दी थी। राजस्थान में सचिन पायलट के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले कांग्रेसी विधायकों में खाचरियावास अभी तक सबसे प्रमुख भूमिका निभाते रहे हैं। इसी कारण सचिन का उनके आवास पर पहुंचना हैरानी पैदा करने वाला कदम माना जा रहा है।

अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई है। सचिन ने जहां इस मुलाकात पर चुप्पी साध रखी है वही खाचरियावास का कहना है कि पायलट के साथ बातचीत कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में हम एक ही बेंच पर बैठते हैं। इसलिए बातचीत होती रहती है। हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि इस बार बातचीत लंबे अंतराल के बाद हुई है।

खाचरियावास का मतभेद से इनकार 

इस महत्वपूर्ण सियासी मुलाकात के बाद इन दिनों गहलोत के सबसे करीबी माने जाने वाले खाचरियावास ने कहा कि जब सचिन पायलट मेरे घर पर आए तो जाहिर सी बात है हम कोई भजन-कीर्तन नहीं करेंगे। हमने विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की है। हालांकि उन्होंने बातचीत का ब्योरा बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने सचिन पायलट के साथ मतभेद होने की बात से भी इनकार किया। उन्होंने कहा कि हम पार्टी में एक ही साथ काम करते हैं। इसलिए बातचीत कोई नई बात नहीं है। 

खाचरियावास ने सचिन पायलट से मुलाकात के साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी मुलाकात की है। राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक में इन दिनों खाचरियावास की प्रमुख भूमिका रही है। इसलिए उनकी सचिन पायलट से मुलाकात को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है।

कभी सचिन के करीबी थे खाचरियावास

खाचरियावास के बारे में एक बार और महत्वपूर्ण है कि किसी जमाने में वे सचिन पायलट के काफी करीबी माने जाते थे। कभी उन्हें सचिन पायलट का दाहिना हाथ माना जाता था। वे गहलोत खेमे से जुड़े हुए मंत्रियों मुकाबला करने के लिए जाने जाते थे। 2020 में सचिन पायलट की अगुवाई में विधायकों की बगावत के बाद सारे समीकरण बदल गए और खाचरियावास सचिन पायलट के सबसे बड़े विरोधी बनकर उभरे।

मौजूदा समय में उन्हें अशोक गहलोत का सबसे मुखर समर्थक माना जाता है और विधायकों की बगावत में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। खाचरियावास का कहना था कि 2020 में गहलोत के खिलाफ बागी तेवर दिखाने वाले किसी भी विधायक को राजस्थान में कांग्रेस का नेतृत्व नहीं सौंपा जाना चाहिए।

राज्य में हो सकता है बड़ा सियासी बदलाव 

सियासी जानकारों का मानना है कि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने सधी हुई सियासी चालें चलनी शुरू कर दी हैं। इसी कड़ी में उन्होंने खाचरियावास के घर जाकर उन्हें मनाने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि यदि सचिन गहलोत खेमे के कुछ खास मुखर नेताओं को मनाने में कामयाब रहे तो आने वाले दिनों में कांग्रेस हाईकमान के आशीर्वाद से राज्य की सियासी तस्वीर बदल सकती है। सचिन ने गहलोत खेमे में सेंधमारी की कोशिशें शुरू कर दी हैं। आने वाले दिनों में वे अपने कुछ और मुखर विरोधियों से मुलाकात कर सकते हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि सचिन पायलट अपनी सियासी कोशिशों में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।

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