Congress Politics: पंजाब के बाद राजस्थान की बारी, अशोक गहलोत बने रहेंगे मुख्यमंत्री, पायलट महासचिव!

राजस्थान के मुख्यमंत्री में फलहाल कोई बदलाव के आसार नजर नहीं आ रहे। गहलोत मुख्यमंत्री बने रहेंगे। जानकारी के मुताबिक, एआईसीसी संगठन में बदलाव होना है और उसी प्रक्रिया के तहत सचिन पायलट को राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा सकता है।

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Published By :  Satyabha
Update: 2021-07-20 16:22 GMT

गहलोत और पायलट फोटो- सोशल मीडिया

Congress Politics: पंजाब में सियासी उठापटक के बीच कैप्टन वर्सेज सिद्धू (Captain Vs Siddhu) के विवाद को कांग्रेस के आलाकमान ने सुलझा लिया है। सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी के बाद माना जा रहा है कि अब कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव की तैयारी करेगी। वहीं, कांग्रेस अब इस सियासी विवाद का भी जल्द हल कराने के मूड में है।

पार्टी सूत्रों से पता चला है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री में फिलहाल कोई बदलाव के आसार नजर नहीं आ रहे। गहलोत मुख्यमंत्री बने रहेंगे। जानकारी के मुताबिक, एआईसीसी संगठन में बदलाव होना है और उसी प्रक्रिया के तहत सचिन पायलट को राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा सकता है और उन्हें राजस्थान का प्रभार भी दिया जा सकता है। वहीं राजस्तान में मंत्रिमंडल विस्तार भी जल्द होगा। मंत्रिमंडल विसितार में उन्हें जगह मिलेगी जिन्हें सचिन मंत्री बनाना चाहते हैं।

राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों, जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों में सचिन के समर्थकों को उचित प्र​तिनिधित्व दिया जाएगा। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बोर्ड और निगमों में पायलट या गहलोत गुट को महत्व देने के बजाए पार्टी के आस्थावान कार्यकर्ताओं को इसमें जगह दी जाएगी। इसी बदलाव के साथ पार्टी को एकजुट करने के प्रयास किए जा सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पंजाब के कैप्टन और सिद्धू मसले को ​सुलझाने में कांग्रेस आलाकमान की काफी मदद की है। पीके पहले से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह के सलाहकार के रूप में काम कर ही रहे हैं। अब गहलोत और पायलट विवाद में भी वे अपनी ओर से कोई हल सुझा सकते हैं, जिससे इस विवाद का पटाक्षेप हो सके। पार्टी अब इस विवाद को और लंबा नहीं खींचना चाहती।

राजस्थान में एक साल से ज्यादा समय से गहलोत वर्सेज पायलट का विवाद चल रहा है। इसके चलते पिछले साल जबर्दस्त सियासी संकट के आसार नजर आए। लेकिन गहलोत ने ऐसी बाजी मारी कि सचिन पायलट और उनके समर्थकों के हिस्से कुछ भी नहीं आया। त​भी से राजस्तान में राजनीतिक नियुक्तियां और मंत्रिमंडल विस्तार भी अटका ही हुआ है। वहीं, कांग्रेस का ध्यान अब राजस्तान की सियासत पर टिका हुआ है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि पार्टी पंजाब के विवाद को हल करने के बाद राजस्थान की ओर रूख करेगी।

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