Kota: कोटा में तीन छात्रों की आत्महत्या का मामला, राष्ट्रीय मानवाधिकार एक्शन में, प्रशासन ने लगाए 6 नए, कड़े नियम
Kota: कोटा में 3 छात्रों ने एक ही दिन में आत्महत्या की, पुलिसिया जांच जारी है वही राष्ट्रीय मानवाधिकार ने स्वतः संज्ञान से सरकार को लिखित नोटिस भेजा है
Kota:"थोडा अजीब लग रहा है, ऐसा लग नहीं रहा था कि ऐसा कुछ करेंगे. हाँ कुछ दिनों से स्ट्रेस में थे, बोल भी रहे थे कि कोटा में मन नहीं लग रहा है, पढाई नहीं हो रही है, कुछ कर नहीं पा रहे हैं." ये वो गंभीर संवाद हैं जो कोटा के हॉस्टल में आत्महत्या करने वाले 3 बच्चों के एक साथी ने मीडिया को कहे. इस संवाद से भी गंभीर थी उस बच्चे की आवाज़. परीक्षाओं का डर, भविष्य का डर, अच्छे अंकों का डर, सहपाठियों से पिछड़ जाने का डर, परिवार की उम्मीदों का डर, 3 सहपाठियों की आत्महत्या का दुःख. न जाने इस संवाद और आवाज़ के पीछे और क्या – क्या छुपा हुआ है.
मध्यप्रदेश और बिहार के रहने वाले 3 छात्रों ने एक ही दिन में आत्महत्या कर ली. जिसकी वजह से अचानक मीडिया के साथ साथ सरकार का भी ध्यान कोटा में चला गया. तीन में से 2 छात्रों ने कमरे में खुद को फांसी लगा ली थी और एक मध्यप्रदेश निवासी छात्र प्रणव वर्मा ने कीटनाशक पी कर खुद को मौत के हवाले कर दिया था. पुलिस मामले की हर एंगल से जांच करने में जुटी हुई है. इस जांच में अभी तक बहुत कुछ सामने नहीं आया है पर प्रशासन अपनी मुस्तैदी दिखाते हुए नियमों में भी संशोधन कर रही है.
अब प्रशासन कड़े कदम उठाने पर मजबूर है. हालांकि इससे पहले ऐसी ख़बरों को खोजा जाए तो कोटा को एजुकेशन हब के अलावा एक और नाम दिया जा सकता है वो होगा "स्टूडेंट सुसाइड सिटी". बच्चों के भविष्य बनाने के लिए कोटा भेजने वाले परिजनों को हमेशा ये डर सताता रहता है कि कहीं बच्चा डिप्रेशन में न आ जाए, कहीं कोई ऐसा कदम न उठा ले, जिसकी वजह से बच्चे को ही खोना पड़े. पर अब प्रशासन कुछ नए नियम ले कर आ रहे हैं. प्रशासन के अधिकारीयों ने कोटा में संचालित हॉस्टल और कोचिंग सेंटर के लोगों के साथ एक सामूहिक मीटिंग में अपने नए 6 नियम सांझा किए और उन नियमों को तुरंत प्रभाव से लागू करने को कहा है.
क्या है कोटा कोचिंग और होस्टल से सम्बन्धित नए नियम
कुल 6 नियमों को जोड़ा गया है. इसमें कुछ नियम व्यवस्था सम्बन्धित है और कुछ नियम बच्चों की आर्थिक स्थिति से सम्बन्धित हैं.
1. हेल्प डेस्क – बच्चे की किसी भी स्थिति में कोचिंग में नहीं आ पाने में बच्चे अपने कोर्स को ले कर काफी चिंता में आ जाते हैं. ऐसी स्थिति में हर कोचिंग सेंटर को चाहिए की वो बच्चों को इसमें मदद करे. जिसका आसान तरीका है कि कोचिंग सेंटर में एक ऐसी हेल्प डेस्क को जिसमें बच्चों को उनसे छूटा हुआ या सम्बन्धित स्टडी मेटेरियल उपलब्ध करवाया जाए. उन्हें स्टडी से सम्बन्धित अन्य भी कोई समस्या हो तो वो भी सुने और उसका जल्द जल्द से हल कर बच्चों को सूचित करे.
2. अब क्लास में नहीं होंगे 100 से अधिक बच्चे – पहले क्लास में 150 से भी ज्यादा बच्चे बैठा कर पढाए जाते रहे हैं. कहीं कहीं तो ये संख्या और भी ज्यादा है. इस पर मीटिंग में जिला कलेक्टर ओपी बुनकर और रेंज आईजी प्रसन्न कुमार खमेसरा ने कोचिंग प्रमुखों को कहा है कि एक क्लास में जब इतने बच्चे एक साथ पढ़ेंगे तो फोकस कैसे करेंगे. पढाई में व्यवधान आएँगे तो पढाने वाले से सीधा संवाद भी नहीं कर पाएंगे, न उनकी समस्याओं को सुना जाएगा और ना ही हल मिलेगा. इसलिए एक क्लास में अब से 100 से अधिक बच्चे नहीं पढाए जाएं.
3. स्ट्रेस फ्री कोचिंग सेंटर – अधिकारीयों ने कोचिंग संचालकों को कहा कि बच्चों के लिए ऐसा प्लान जल्दी बना कर प्रस्तुत करे कि वो अपने सेंटर में बच्चों को कैसे स्ट्रेसफ्री रखेंगे. बच्चों पर मानसिक दबाव नहीं बढे उसके लिए उनके पास क्या प्लान है? बच्चों पर तनाव और मानसिक दबाव होने से बच्चे इस तरह का कदम ज्यादा उठाते हैं. सिर्फ कोचिंग ही नहीं, बच्चों के लिए स्ट्रेसफ्री माहौल स्कूल, कॉलेज और होस्टल में भी बनाना होगा.
4. रेस्ट और छुट्टी भी जरुर – लगातार पढाई और टेस्ट, परीक्षाओं के बीच बच्चों को मानसिक और शारीरिक आराम की भी जरूरत पड़ती है, जो वो इस भागदौड़ में नहीं कर पाते हैं. उसके लिए कोचिंग संचालकों और होस्टल, पेइंग गेस्ट संचालकों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को स्ट्रेस फ्री रखा जाए. उन्हें शनिवार को रेस्ट डे और रविवार को छुट्टी दी जाए और इसका सख्ती से पालन किया जाए.
5. फीस रिफंड प्रक्रिया को आसान बनाया जाए – जिला कलेक्टर ने कहा कि कई बार देखा गया है कि बच्चा फ़ीस स्ट्रक्चर और उनके नियमों में फंस कर भी तनाव झेलता है. बच्चों को फ़ीस रिफंड सिस्टम अच्छे से समझाया जाए और इस प्रक्रिया को आसान बनाया जाए. अगर किसी भी केस में ये पाया गया कि बच्चा फ़ीस सम्बन्धी किसी समस्या से परेशान था तो उस संस्था के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी और प्रशासन सख्त कार्यवाही करेगा.
6. कोचिंग और होस्टल में गार्ड जरुरी – होस्टल संचालकों को निर्देश में कहा कि होस्टल वार्डन के साथ-साथ गार्ड भी रखा जाए जो बच्चों की गतिविधयों पर नज़र रखे. ऐसा कोचिंग संचालकों को भी करना चाहिए. जैसे ही कोई बच्चा तनाव में दिखे या उसकी गतिविधियों से वो व्यवहारिक ना लगे उसकी सूचना परिजनों अध्यापकों या प्रशासन को दी जाए.
अब लगान लगेगी ऑटो के बढ़ते किराए पर भी –
ऑटो में मनमर्जी किराया वसूलने वालों पर भी अब सरकार का सख्त रवैया देखने को मिलेगा. अधिकारीयों ने कहा कि ये शिकायतें कई बार आई हैं जिसमें ऑटो वाले तय सीमा से ज्यादा किराया वसूलते हैं जिससे बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सभी ऑटो चालकों को पाबन्द किया जाएगा कि स्टूडेंट आईडी के साथ तय सीमा पर ही किराया लिया जाए निर्धारित मूल्य से अधिक किराया वसूलने पर उन पर भी कार्यवाही होगी.
राष्ट्रीय मानवाधिकार का सख्त एक्शन
तीन छात्रों के आत्महत्या के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार ने स्वतः संज्ञान लेते हुए, राजस्थान में तीन कार्यालयों को लिखित में नोटिस भेजा है. जिसमें चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष, राजस्थान सरकार और केन्द्रीय उच्च शिक्षा सचिव शामिल है. लिखित नोटिस में मानवाधिकार की बात ही की गयी और लिखा गया है कि मानवाधिकार ने जब मिडिया में कोटा के तीन छात्रों की आत्महत्या की खबर देखी तो स्वतः संज्ञान लेते हुए ये नोटिस भेजा है और लिखा है कि निजी कोचिंग संस्थाओं के नियमन की आवश्यकता है.