Rajasthan Assembly Election 2023: गहलोत सरकार की आपसी कलह बनेगी चुनाव में हार की वजह!

Rajasthan Assembly Election 2023: चुनावी गणित में गहलोत का पलड़ा हमेशा भारी रहा है और जादू हर बार चला है. पर इस बार कांग्रेस ने जनता को अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया तो राजस्थान की सत्ता परिवर्तन वाली प्रथा बदल पाना कांग्रेस के लिए नामुमकिन हो जाएगा. गहलोत – पायलट विवाद कांग्रेस की आलाकमान के लिए भी गले की फांस बनता नज़र आ रहा है

Written By :  Bodhayan Sharma
Update:2022-12-19 17:03 IST

Rajasthan Politics news

Rajasthan Politics News: राजस्थान में चुनाव का बिगुल बज गया है. भारत जोड़ो यात्रा में शामिल कांग्रेस अपने चुनावी चने सेकने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. राहुल गांधी के राजस्थान में आने के बाद से कांग्रेसी नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि कोई भी नेता किसी भी तरह की बयानबाजी नहीं करेगा. ऐसा करता कोई भी नेता पाया गया तो उनके खिलाफ कार्यवाही होगी. अब इस निर्देश का सभी पालन करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं. इस नियम का पालन होगा कब तक ये कहना मुश्किल है, पर अगर राजनैतिक विद्वानों की मानें तो ये नियम कांग्रेस को चुनाव तक निभाना चाहिए. जिससे कांग्रेस की आपसी कलह वाली छवि थोड़ी साफ हो सके.

जान लीजिए सर्वे का ग्राउंड क्या है

जनता जनार्दन फिर भी चौकन्नी नज़र आ रही है. राजस्थान में एक सर्वे हुआ. ये सर्वे राज्यस्तरीय था, जिसमें राजस्थान के सभी 33 जिलों को शामिल किया गया. गहलोत सरकार के चार साल का लेखाजोखा और राज्य में होने वाली घटनाओं के आधार पर जनता ने इस सर्वे में अपने पक्ष रखे और बतया कि कांग्रेस-गहलोत सरकार ने बीते सालों में क्या किया और आने वाले चुनावों में जनता की मनसा का भी आभास हो गया.

सरकार के काम की पूरी गणित

एक सवाल जनता के सामने रखा गया. सवाल था, "बीते चार सालों में सरकार ने जो भी काम किया उससे आप कितना खुश हैं?" इस सवाल का सभी ने अपने अपने तरीके से जवाब दिए. पर जब सर्वे का प्रतिशत निकला गया तब सामने आया कि 49.2 प्रतिशत लोगों ने सरकार के काम की सराहना की और उन लोगों को काम भी याद थे जो गहलोत सरकार के राज में हुए. पर इसमें एक गणना उन लोगों की भी थी जो मौजूदा सरकार के काम से खुश नहीं पाए गए.इन लोगों की गणना 44.2 फीसदी रही. अब बचे हुए लोगों ने कोई तार्किक जवाब नहीं देते हुए पता नहीं कह कर सवाल टाल दिया. इन लोगों की संख्या प्रतिशत का आंकड़ा पूरा कर देती है. मतलब इन लोगों का प्रतिशत 6.6 था.

चिरंजीवी योजना से लोग ज्यादा खुश

चिरंजीवी योजना का जिक्र आते ही लोगों के चहरे पर ख़ुशी दिखाई दी या यूँ कहें कि इस योजना से आम जनता को लाभ होता नज़र आया. चिरंजीवी योजना से खुश होने वाले लोगों का प्रतिशत सबसे ज्यादा था 80.6 प्रतिशत लोगों को ये योजना जन सहयोगी लगी, इससे सीधा आर्थिक लाभ लोगों के दिलों तक अपनी जगह बना गया. राजस्थान की जनता के लिए ये योजना सच में जीवनदायनी योजना बन कर आई है. ये गहलोत सरकार को मेरिट लिस्ट में सबसे ऊपर रखने का काम भी करती है.

गहलोत सरकार कहाँ विफल रही?

गहलोत सरकार की नाकामियों के चार्ट में सबसे ऊपर बेरोजगारी का नाम आता है. जिसमें परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों के लीक हो जाना सबसे चर्चित रहा. लीक प्रश्नपत्रों की गिनती बहुत ज्यादा है और रोजगार देने का आंकड़ा उसके मुकाबले धुंधला पड़ता दिखाई दिया. 42.3 प्रतिशत लोगों का मानना है कि रोजगार कि गहलोत के दावों पर कानून व्यवस्था हर बार प्रहार करती रही. लगभग हर भर्ती परीक्षा में धांधली पायी गयी. आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया पर उसके बाद क्या हुआ उसका कोई जिक्र सरकार ने नहीं किया. कानून व्यवस्था लागू नहीं कर पाने का प्रतिशत भी 29 रहा. जिसमें हत्याएं और महिलाओं के खिलाफ अपराध को जोड़ कर देखा जा सकता है. कुछ वो अपराध भी इसमें शामिल हैं जो राष्ट्रीय पटल पर छाए रहे. इस सब में सबसे कम 28.7 फीसदी लोगों का मानना है कि सरकार की कोई विफलता नहीं है. सरकार ने राजस्थान की जनता के लिए सही ढंग से काम किया है.

गहलोत-पायलट विवाद से पीछा नहीं छूटा अभी तक

57.6 प्रतिशत लोगों ने सरकार की बड़ी विफलता इस नाम पर गिनाई कि विवादों की गिनती सरकार के कामों की गिनती से ज्यादा है. पिछले कुछ सालों में सरकार के लगभग हर नेता ने ऐसे बयान दिया हैं जिससे जनता में सरकार की साख कम हुई है. विवाद के मुख्य बिंदु में हमेशा गहलोत और पायलट रहे हैं. आपसी विवाद इतना जगजाहिर हुआ कि अलाकमान के दखल के बाद भी इसका निपटारा नहीं हुआ. विवाद का बड़ा नुक्सान ये हुआ कि कांग्रेस में ही नेताओं और विधायकों के दो दल बन गए. जिनके बयान लगातार मीडिया में आते रहे हैं. राजस्थान की राजनीति हमेशा इन बयानों से गर्म रही है.

2023 चुनाव में कांग्रेस का नुकसान और चुनौतियाँ

अविश्वास और आंतरिक लड़ाई का दाग कांग्रेस अगर धोने में सफल नहीं होती है तो ये कांग्रेस के लिए लगभग हार की तियारी करने जैसा साबित हो जाएगा. आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे को होने वाले विवाद वोटों को तोड़ने का काम करेंगे. अगर मुख्यमंत्री के पद पर वापिस अशोक गहलोत को चुना गया तो गुर्जर – मीणा बाहुल्य इलाके जहाँ सचिन पायलट का प्रभाव अधिक माना जाता है वो वोट आसानी से बीजेपी अपने पक्ष में मोड़ सकती है. इसके विपरीत ये संभावनाएं कम नज़र आ रही हैं कि अगर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया गया तो बहुत ज्यादा वोट टूटेंगे. दो खेमों की लड़ाई में बीजेपी को फायदा होता साफ़ नज़र आ रहा है. पर कांग्रेस भी बीजेपी में मुख्यमंत्री के दावेदारी के चेहरों में असमंजस का फायदा उठाएगी ही.

भारत जोड़ो यात्रा वोटों की गिनती बढ़ाएगी

राजनीतिज्ञों का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस के पाले में वोटों की गिनती में वृद्धि करने में कामयाम होगी. इस बात के लिए कितना भी नकारा जाए कि यात्रा राजनैतिक पक्ष को साधने के लिए नहीं है पर सभी इस यात्रा के लाभ को बहुत अच्छे से जानते हैं. दो बड़े लाभ सभी को समझ में आ रहे हैं. पहला जिसमें राहुल गांधी की छवि को सुधारने का प्रयास सफल भी हो रहा है और दूसरा राहुल गांधी के साथ साथ पूरे देश भर में कांग्रेस की मिटती साख को फिर से जीवित करने का.

अब कांग्रेस किन भीतरी मुद्दों पर लड़ाई जीत गयी तो चुनाव भी जीत सकती है?

कांग्रेस में अभी जो स्थिति चल रही है उसका आकलन किया जाए तो सीधे सीधे तौर पर कुछ बड़े मुद्दे दिखाई देते है. जिनमें आलाकमान की अवमानना वाला विवाद, जिससे प्रदेश कांग्रेस के साथ साथ नेशनल कांग्रेस की साख पर भी सवाल उठे थे.बाकी मुद्दों को इन बिन्दुओं से समझिए...

1. हर बगावत के बाद सभी विधायकों-नेताओं को ले कर होटलों में जमा हो जाना अखरेगा

2. आपसी बयान जो एक दुसरे को नीचा दिखाने के लिए दिए गए थे वो लोगों के ज़हन से कैसे निकलेंगे

3. खेमों में बंटी कांग्रेस टिकेट बंटवारे में कैसे एक हो पाएगी?

4. राजस्थान में अभी भी 92 विधायकों ने इस्तीफे दे रखे हैं, उस पर क्या फैंसला आएगा

5. गहलोत – पायलट विवाद के दौरान जनता जिन परेशानियों से जूझ रही थी उसका क्या जवाब देंगे

6. पायलट विधायकों के साथ बागी हुए, उसके बाद गद्दार करार दिए गए उन आरोपों का क्या?

7. कांग्रेस विधायकों का बीजेपी के साथ सांठ – गाँठ होना गहलोत ने सबुतु के साथ होने का जिक्र किया उसका क्या?

8. मुख्यमंत्री के चेहरे पर पहले की ही तरह असमंजस से नहीं लड़ पाए तो जनता पहले की तरह धोखा महसूस करेगी

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