Rajasthan CM conflict: घमासान में उलझा कांग्रेस नेतृत्व, विवाद सुलझाने का नहीं सूझ रहा उपाय
Rajasthan CM conflict: सोनिया गांधी से अशोक गहलोत और सचिन पायलट की मुलाकात को चार दिन बीत चुके हैं मगर अभी तक कांग्रेस नेतृत्व इस सवाल को लेकर उलझा हुआ है।
Rajasthan CM conflict: राजस्थान में विधायकों के बागी तेवर दिखाने के बाद शुरू हुए सियासी घमासान का विवाद अभी तक नहीं सुलझ सका है। विधायकों के बागी तेवर दिखाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की नाराजगी की बात सामने आई थी मगर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है। इस कारण राज्य में सियासी अनिश्चितता का माहौल दिख रहा है।
सोनिया गांधी से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की मुलाकात को चार दिन बीत चुके हैं मगर अभी तक कांग्रेस नेतृत्व इस सवाल को लेकर उलझा हुआ है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन किया जाए या नहीं। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का फैसला लेने पर कांग्रेस हाईकमान को गहलोत की सियासी जादूगरी का डर भी सता रहा है। राज्य के कांग्रेस विधायकों पर गहलोत की मजबूत पकड़ भी नेतृत्व परिवर्तन के फैसले में बड़ी बाधा बनकर खड़ी है।
सोनिया के लिए फैसला क्यों आसान नहीं
सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर होने के बाद अब अशोक गहलोत को राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए तैयार करना आसान काम नहीं है। पहले वे दोनों पदों पर बने रहने की कोशिश कर रहे थे मगर राहुल गांधी की ओर से एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत की वकालत किए जाने के बाद उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने का संकेत दिया था। अब सियासी हालात काफी बदल चुके हैं और गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो चुके हैं। ऐसे में राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की कांग्रेस हाईकमान की मंशा पूरी होना काफी कठिन माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने रविवार को सचिन पायलट पर एक बार फिर हमलावर रुख अपनाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। उन्होंने इशारों में यह साफ करने की कोशिश की है कि अपने उत्तराधिकारी के रूप में उन्हें सचिन पायलट मंजूर नहीं होंगे। उन्होंने बागी विधायकों पर भाजपा नेताओं के साथ मिलकर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिराने की साजिश का बड़ा आरोप तक लगाया। उन्होंने राज्य में मुख्यमंत्री बदलने की सुगबुगाहट के बाद विधायकों की नाराजगी का भी जिक्र किया। गहलोत का कहना था कि बड़ा सवाल यह है कि राज्य के अधिकांश विधायकों की नाराजगी का क्या कारण है।
विधायकों के तेवर से सता रहा है डर
गहलोत के तेवर को हाईकमान पर दबाव बनाने की कोशिश का ही हिस्सा माना जा रहा है। दूसरी ओर सचिन पायलट अभी तक अपने सियासी पत्ते नहीं खोल रहे हैं। उन्होंने सिर्फ यही कहा है कि हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार किस तरह रिपीट हो सके।
राजस्थान प्रकरण को लेकर सोनिया गांधी नाराज तो जरूर हैं मगर कांग्रेस हाईकमान को राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का कदम किसी बड़े जोखिम से कम नहीं लग रहा है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी हाईकमान सचिन पायलट को राजस्थान की कमान तो जरूर सौंपना चाहता है मगर विधायकों के तेवर से उसे डर भी सता रहा है।
गहलोत की मजबूत पकड़ बन रही बाधा
राजस्थान कांग्रेस पर गहलोत की मजबूत पकड़ है और पार्टी के अधिकांश विधायक अभी भी गहलोत के साथ ही खड़े हैं। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व गहलोत की सियासी जादूगरी से भी डर रहा है। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और गहलोत इससे पहले मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में सोनिया राज्य में कांग्रेस नेतृत्व को लेकर कोई फैसला नहीं ले पा रही हैं। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दो दिनों के भीतर राजस्थान को लेकर फैसला होने की बात कही थी मगर चार दिन बाद भी कांग्रेस नेतृत्व राजस्थान को लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका है। गहलोत के खिलाफ फैसला लेने की स्थिति में पार्टी के रणनीतिकारों को राज्य में सरकार गिरने का भय भी सता रहा है। दोनों खेमों के बीच खींचतान बढ़ने पर कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं पर भी बुरा असर पड़ेगा। इसी कारण राज्य के सियासी हालात का गहराई से मूल्यांकन किया जा रहा है। माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव तक इस मामले को ठंडे बस्ते में भी डाला जा सकता है।