Rajasthan Congress: राजस्थान कांग्रेस में विवाद गहराया, गहलोत को पायलट की चुनौती, गुप्त मतदान से हो CM का फैसला

Rajasthan Congress: सचिन पायलट भी अब गहलोत को जवाब देने में जुट गए हैं। उन्होंने कांग्रेस हाईकमान से गुप्त मतदान के जरिए राजस्थान के मुख्यमंत्री का फैसला करने की मांग की है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-11-25 11:02 IST

sachin Pilot ashok Gehlot (photo: social media ) 

Rajasthan Congress: राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर विवाद काफी गहरा गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को गद्दार बताए जाने के बाद दोनों खेमों की ओर से आरोप-प्रत्यारोप काफी तेज हो गया है। गहलोत ने साफ तौर पर कहा है कि यदि पार्टी को लगता है कि उन्हें हटाने से अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत की संभावना बढ़ सकती है तो पायलट के अलावा 102 विधायकों में से किसी को भी मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

दूसरी ओर सचिन पायलट भी अब गहलोत को जवाब देने में जुट गए हैं। उन्होंने कांग्रेस हाईकमान से गुप्त मतदान के जरिए राजस्थान के मुख्यमंत्री का फैसला करने की मांग की है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि गहलोत की ओर से कभी मुझे 10 तो कभी 20 विधायकों का समर्थन हासिल होने की बात कही जाती है। इसलिए हाईकमान को विधायकों की गुप्त राय लेनी चाहिए। पायलट ने गुप्त मतदान के जरिए निकलने वाले फैसले को मंजूर करने की बात कही है।

पायलट पर इसलिए हमलावर हुए गहलोत

काफी दिनों की चुप्पी के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को पायलट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जानकारों का मानना है कि मध्यप्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ सचिन पायलट की तस्वीर सामने आने के बाद गहलोत ने पायलट पर सीधा हमला करते हुए उन्हें पार्टी के लिए गद्दार बता दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ऐसे गद्दार को मुख्यमंत्री कैसे बनाया जा सकता है जिसने अपनी ही सरकार को गिराने की साजिश रची। गहलोत यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने यहां तक कहा कि पायलट ने कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ बैठक तक की थी।

उन्होंने कहा कि पार्टी के साथ गद्दारी करने वाला कभी राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। गहलोत ने यहां तक दावा किया कि पायलट के पास 10 विधायकों का भी समर्थन नहीं है। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि मुझे पायलट मंजूर नहीं हैं। अगर पार्टी हाईकमान चुनाव जीतने के लिए मुख्यमंत्री बदलना चाहता है तो वह पायलट के अलावा 102 विधायकों में से किसी को भी सीएम बना सकता है।

गहलोत को जवाब देने में जुटे पायलट

गहलोत की ओर से बड़ा सियासी की हमला किए जाने के बाद अब पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी जवाब देने में जुट गए हैं। पायलट का कहना है कि गहलोत जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता से ऐसा बयान अपेक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि यह समय एक-दूसरे पर हमला करने का नहीं बल्कि भाजपा को हराने के लिए एकजुट होने का है।

गहलोत और पायलट ने अभी हाल में राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों से जुड़ी एक बैठक में हिस्सा लिया था। इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच बातचीत तो दूर दुआ सलाम तक नहीं हुआ था। दोनों नेताओं के इस तेवर से साफ हो गया कि वह अब वे एक-दूसरे को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं।

गुप्त मतदान से हो सीएम पद का फैसला

गहलोत के बड़े हमले के बाद अब सचिन पायलट भी गहलोत को चुनौती देते हुए दिख रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पायलट ने पार्टी नेतृत्व से मांग की है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री पद का फैसला गुप्त मतदान के जरिए किया जाए। पायलट का कहना है कि गोपनीय मतदान के जरिए राजस्थान की वास्तविक स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि विधायकों की गुप्त राय ली जाए तो निश्चित रूप से विधायकों का समर्थन गहलोत को हासिल नहीं होगा।

पायलट का कहना है कि गहलोत ने विधायकों पर दबाव बना रखा है। उनके दबाव की वजह से ही पार्टी के विधायक खुलकर सामने नहीं आ पा रहे हैं। राजस्थान के पार्टी विधायक भी अगले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए नया मुख्यमंत्री चाहते हैं इसलिए गोपनीय तरीके से उनकी राय ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में चुनाव हो चुका है और अब गुजरात के विधानसभा चुनाव के बाद यह काम जरूर किया जाना चाहिए।

भारी पड़ सकती है टालमटोल की नीति

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट ने यहां तक कहा है कि गोपनीय मतदान के बाद जो भी नतीजा निकलेगा, वह उन्हें मंजूर होगा। यदि उन्हें विधायकों का समर्थन हासिल नहीं हुआ तो वे राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के लिए दबाव नहीं डालेंगे मगर शर्त यह भी है कि फैसला खुली बैठक में नहीं बल्कि गुप्त मतदान के जरिए ही होना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि अगर गहलोत को विधायकों का समर्थन मिला तो वे गहलोत की अगुवाई में ही अगले चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को जिताने की पूरी कोशिश करेंगे।

जानकारों का मानना है कि राजस्थान का विवाद अब ऐसे मोड़ पर पहुंच चुका है जहां कांग्रेस नेतृत्व की टालमटोल की नीति के पार्टी के लिए भारी साबित हो सकती है। ऐसे में माना जा रहा है कि गुजरात में मतदान समाप्त होने के बाद पार्टी नेतृत्व की ओर से राजस्थान को लेकर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।

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