Rajasthan Politics: राजस्थान का विवाद जल्द सुलझाने पर अड़े सचिन, गहलोत को अब और मोहलत देने को तैयार नहीं
Rajasthan Politics: कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट और उनके समर्थक अब एक बार फिर खुलकर मैदान में आ गए हैं।
Rajasthan Politics: राजस्थान कांग्रेस का विवाद (Congress Crisis) सुलझाने के लिए पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने दिल्ली में डेरा डाल रखा है। उन्होंने हाईकमान पर राजस्थान कांग्रेस का झगड़ा जल्द से जल्द सुलझाने के लिए दबाव बढ़ा दिया है। जानकारों के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के प्रति सचिन ने अपना रवैया कड़ा कर लिया है और अब वे गहलोत को ज्यादा मोहलत देने को किसी भी सूरत में तैयार नहीं है।
दूसरी और जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) के कांग्रेस से इस्तीफे (Congress Se Istifa) के बाद अब पार्टी हाईकमान भी राजस्थान कांग्रेस के झगड़े को जल्द से जल्द सुलझाने में जुट गया है। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) खुद इस मसले को देख रही हैं और जानकारों का कहना है कि जल्द ही सचिन पायलट की इस मुद्दे पर प्रियंका गांधी से बातचीत हो सकती है। जानकारों के मुताबिक मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी इस मामले को सुलझाने में भूमिका निभा रहे हैं। आलाकमान ने इस विवाद को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी संपर्क बनाए रखा है।
जानबूझकर अनदेखी करने का आरोप
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट और उनके समर्थक अब एक बार फिर खुलकर मैदान में आ गए हैं। पायलट ने हाईकमान तक अपनी आवाज पहुंचाते हुए कहा है कि गहलोत जानबूझकर उनके समर्थकों की अनदेखी कर रहे हैं और उनकी राजनीति को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है।
उनका कहना है कि 10 महीने पहले उनसे किए गए वादों को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए क्योंकि अब समर्थक विधायकों के सब्र का बांध भी टूट रहा है। पायलट गुट की ओर से बनाए गए दबाव का ही नतीजा है कि कांग्रेस हाईकमान ने भी राजस्थान के झगड़े को जल्द से जल्द सुलझाने की कवायद तेज कर दी है।
चुनावी हार के बाद हाईकमान पर भी दबाव
हाल में हुए विधानसभा चुनावों में मिली हार और विभिन्न राज्यों में पार्टी में शुरू हुए झगड़े के कारण हाईकमान राजस्थान में पैदा हुए विवाद का जल्द से जल्द निपटारा करना चाहता है। हाल में उत्तर प्रदेश के नेता जितिन प्रसाद के इस्तीफे के बाद अब पार्टी हाईकमान के लिए राजस्थान का झगड़ा सुलझाना सबसे बड़ी प्राथमिकता बन गया है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि हाईकमान ने पायलट और उनके समर्थकों से संपर्क साध रखा है और उन्हें जल्द ही वादों को पूरा करने का भरोसा भी दिया गया है।
गहलोत को भी मनाने की कोशिश
दरअसल राजस्थान कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मजबूत पकड़ को देखते हुए हाईकमान उन्हें भी नाराज करने से हिचक रहा है। इसीलिए पायलट समर्थकों को सरकार और संगठन उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए गहलोत को तैयार करने की कोशिश भी की जा रही है। सियासी जानकारों का कहना है कि राजस्थान के अधिकांश विधायक अभी भी पूरी तरह गहलोत के साथ एकजुट हैं और ऐसे में हाईकमान उन्हें नाराज करने का कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहता।
राजस्थान के नेताओं से साधा संपर्क
जानकारों के मुताबिक पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और राज्य के प्रभारी महासचिव अजय माकन को पार्टी हाईकमान की ओर से राजस्थान का झगड़ा सुलझाने के लिए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये दोनों नेता राजस्थान कांग्रेस के विभिन्न नेताओं से संपर्क स्थापित करके विवाद सुलझाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी पायलट को समझाने में जुटे हैं ताकि पिछले साल जैसी बगावत की नौबत दोबारा न आ सके। प्रियंका गांधी की ओर से भी पायलट से संवाद किया जा रहा है। पार्टी हाईकमान की ओर से पायलट को समझाया गया है कि कोरोना महामारी के कारण वादों को पूरा करने में विलंब हुआ है मगर सभी को पार्टी में उचित सम्मान दिया जाएगा। पार्टी की ओर से सचिन पायलट को उनके सियासी कद के अनुरूप उचित भूमिका देने की बात भी कही गई है।
फोन टैपिंग के आरोप से सियासी भूचाल
इस बीच पायलट समर्थक विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने राजस्थान में फोन टैपिंग का मुद्दा उठाकर सियासी माहौल गरमा दिया है। उन्होंने कहा कि पायलट समर्थक विधायकों के फोन टैप किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे एक कई विधायकों ने इस बाबत जानकारी दी है कि उनकी सारी बातचीत रिकॉर्ड की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए ताकि सच्चाई उजागर हो सके। सोलंकी के इस आरोप के बाद राजस्थान की सियासत में भूचाल आ गया है। उन्होंने कहा कि सीआईडी के लोग पायलट समर्थक विधायकों के घरों के आसपास चक्कर काट रहे हैं और उनकी जासूसी कराई जा रही है।
विधायक ने कहा कि अफसरों की ओर से विधायकों को ट्रैप कराने की धमकी भी दी जा रही है। कई अफसरों ने विधायकों से मिलकर उन्हें एसीबी ट्रैप का डर दिखाया है। अफसरों ने धमकाया है कि रवैया न बदलने पर विधायकों को बाद में बदनाम कर दिया जाएगा। राजस्थान की सियासत में यह पहला मौका नहीं है जब फोन टैपिंग का मामला उछला है। पिछले साल भी सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की बगावत के समय फोन टैपिंग का आरोप लगाया गया था।