Rajasthan Politics: राजस्थान में गहलोत और पायलट खेमे का घमासान तेज, वेणुगोपाल के जयपुर दौरे पर सबकी निगाहें
Rajasthan Politics: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे सियासी घमासान के बीच पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल का आज जयपुर का दौरा काफी अहम माना जा रहा है।
Rajasthan Politics: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Former Deputy CM Sachin Pilot) के बीच चल रहे सियासी घमासान के बीच पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) का आज जयपुर का दौरा काफी अहम माना जा रहा है। पार्टी नेतृत्व राजस्थान के संकट को टालने के मूड में नहीं है। इसी कारण वेणुगोपाल को गहलोत और पायलट के बीच सुलह कराने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि यह काम आसान नहीं माना जा रहा है।
जयपुर यात्रा के दौरान वेणुगोपाल राहुल गांधी की अगुवाई में निकली भारत जोड़ो यात्रा के स्वागत की तैयारियों पर भी चर्चा करेंगे। भारत जोड़ो यात्रा चार दिसंबर को मध्य प्रदेश से राजस्थान में दाखिल होने वाली है। ऐसे में गहलोत और पायलट खेमों के बीच सियासी घमासान पार्टी नेतृत्व के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गया है। सितंबर महीने के दौरान वेणुगोपाल ने राजस्थान का संकट एक-दो दिन में सुलझ जाने की बात कही थी मगर दो महीने बाद भी राजस्थान कांग्रेस में छिड़ा घमासान शांत नहीं हो सका है।
गहलोत के बयान पर पैदा हुआ विवाद
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) की ओर से पिछले दिनों सचिन पायलट को गद्दार बताए जाने के बाद राज्य में सियासी तूफान की स्थिति दिख रही है। गहलोत ने पायलट को गद्दार बताते हुए कहा था कि गद्दार कभी राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। उन्होंने पायलट पर भाजपा नेताओं के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया था।
गहलोत के इस बयान के बाद राजस्थान में सियासी माहौल गरमाया हुआ है। दोनों खेमों की ओर से की जा रही बयानबाजी के कारण पार्टी नेतृत्व की चिंताएं बढ़ गई हैं। इसी कारण वेणुगोपाल को आनन-फानन में जयपुर भेजने का फैसला किया गया है।
दोनों नेताओं में सुलह का काम आसान नहीं
राजस्थान में अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है। इससे पहले कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राजस्थान में बड़ा शक्ति प्रदर्शन करने की तैयारी में जुटी हुई है। अपनी जयपुर यात्रा के दौरान वेणुगोपाल भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ी कमेटियों के पदाधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे। इसके साथ ही उनका गहलोत और पायलट से मिलने का भी कार्यक्रम है। वे दोनों नेताओं के बीच पैदा हुई दूरियों को खत्म करने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं, यह देखने वाली बात होगी। वैसे यह काम आसान नहीं माना जा रहा है।
विवाद पर राहुल ने तोड़ी चुप्पी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को पहली बार गहलोत और पायलट को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी थी। उन्होंने दोनों नेताओं को कांग्रेस के लिए धरोहर बताया था। हालांकि अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी दोनों नेताओं के बीच पैदा हुए विवाद पर कोई भी टिप्पणी करने से बचते हुए दिखे। उन्होंने गहलोत की ओर से पायलट को गद्दार बताए जाने के बयान पर भी कोई टिप्पणी नहीं की।
हालांकि उन्होंने यह दावा जरूर किया कि पायलट और गहलोत के बीच विवाद का भारत जोड़ो यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने दावा किया कि भारत जोड़ो यात्रा को विभिन्न राज्यों में व्यापक समर्थन हासिल हो रहा है और राजस्थान में भी भारत जोड़ो यात्रा पूरी तरह कामयाब रहेगी।
दोनों खेमों के बीच बयानबाजी तेज
इस बीच पायलट खेमे से जुड़े हुए नेताओं ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग तेज कर दी है। पायलट खेमे से जुड़े हुए मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान पहुंचने से पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस को राजस्थान में फिर से अपनी सरकार बनानी है तो पार्टी का नेतृत्व सचिन पायलट को सौंपा जाना चाहिए। पायलट खेमे की ओर से मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग भी की जा रही है।
दूसरी और गहलोत खेमा भी पायलट खेमे को जवाब देने में जुटा हुआ है। गहलोत खेमे के मंत्री परसादी लाल मीणा का कहना है कि यदि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन किया गया तो यहां भी पंजाब जैसे हालात पैदा हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि पायलट को गहलोत के खिलाफ की गई बगावत के लिए माफी मांगनी चाहिए।