Rajasthan: बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने थामा शिवसेना का दामन, महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे ने ज्वाइन कराई पार्टी

Rajasthan: गहलोत मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किए जाने के बाद राजेंद्र गुढ़ा लगातार मुख्यमंत्री से लेकर सरकार के अन्य मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगा रहे थे।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2023-09-09 08:16 GMT

Rajendra Gudha joins Shiv Sena  (photo: social media ) 

Rajasthan: विधानसभा में लाल डायरी उछाल कर राजस्थान की सियासत में भूचाल ला देने वाले बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने अपना नया सियासी आशियाना तलाश लिया है। गुढ़ा आज यानी शनिवार 9 सितंबर को अपने पैतृक गांव गुढ़ा (नीमकाथाना) में आयोजित एक कार्यक्रम में शिवसेना का भगवा दुपट्टा ओढ़ लिया। उन्होंने पार्टी में शामिल कराने के लिए महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे खुद राजस्थान आए।

गहलोत मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किए जाने के बाद राजेंद्र गुढ़ा लगातार मुख्यमंत्री से लेकर सरकार के अन्य मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगा रहे थे। हालांकि, उन्हें अब तक कांग्रेस पार्टी से निकाला नहीं गया था। गुढ़ा को लेकर बीएसपी ने शुरू में ही अपने दरवाजे बंद कर दिए थे। ऐसे में उनके नए सियासी ठिकाने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था। बीच में एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी से उनकी मुलाकात के एक तस्वीर भी सामने आई थी। ऐसे में उनके ओवैसी के साथ जाने की चर्चा जोरों पर थीं।

महाराष्ट्र सीएम शिंदे ने गहलोत पर साधा निशाना

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने इस मौके पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि एक साल पहले गहलोत ने यहीं पर कहा था कि मैं गुढ़ा के कारण मुख्यमंत्री हूं, फिर उन्हें बर्खास्त कर दिया। अशोक गहलोत ने जो किया जनता उसका जवाब देगी। गुढ़ा ने राजस्थान में कानून व्यवस्था, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की आवाज ही तो उठाई थी। उन्होंने आगे कहा कि गुढ़ा ने मंत्री पद छोड़ा लेकिन सच्चाई नहीं छोड़ी।

गुढ़ा की लाल डायरी बन गई बीजेपी का हथियार

राजेंद्र गुढ़ा कांग्रेस में हमेशा से सीएम अशोक गहलोत के आदमी माने जाते रहे हैं। बीएसपी से जीतने के बाद उन्होंने पार्टी तोड़कर गहलोत को मुख्यमंत्री बनने में कई बार सपोर्ट किया है। लेकिन अबकी बार उनके रिश्ते राजस्थान सीएम से बिगड़ गए। विधानसभा में अपने ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर उन्होंने कांग्रेस को असहज स्थिति में डाल दिया था। सदन में उनके द्वारा लहराई गई लाल डायरी आज राजस्थान की सियासत में विपक्षी बीजेपी के लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ बड़ा हथियार बन चुकी है।

गुढ़ा ने लाल डायरी को लेकर लगातार गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। पिछले दिनों उन्होंने मीडिया में आकर तीन पन्ने रिलीज किए थे, जिसमें आरसीए चुनावों में लेनदेन का जिक्र था। आरसीए के अध्यक्ष सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत हैं। बीजेपी की रैलियों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर जेपी नड्डा तक गुढ़ा की लाल डायरी को कांग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा बना रहे हैं।

कौन हैं राजेंद्र गुढ़ा ?

दलित समुदाय से आने वाले राजेंद्र गुढ़ा दो बार के विधायक हैं। 2008 में चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले गुढ़ा ने तीन बार विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें दो बार उन्हें सफलता मिली। वर्तमान में वे झुंझुनूं जिले की उदयपुरवाटी विधानसभा सीट से विधायक हैं। साल 2008 और 2018 में जब कांग्रेस राजस्थान में विधानसभा चुनाव के नतीजों में स्पष्ट बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई, तब गुढ़ा ही अशोक गहलोत की मदद को आगे आए। गुढ़ा ने इसके लिए बीएसपी सुप्रीमो मायावती को भी धोखा देने से परेहज नहीं किया। राजस्थान में पूरी की पूरी बीएसपी के साथ वे सरकार में शामिल हो गए। 2008 में राजस्थान में उनके अलावा पांच और विधायक बीएसपी के जीते थे। सभी बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।

अशोक गहलोत ने इसके लिए गुढ़ा को पुरस्कृत भी किया और मंत्री बना दिया। 2013 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन अपनी सीट बचा नहीं पाए। जिसके बाद उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया और एकबार फिर बसपा में चले गए। 2018 में राजेंद्र गुढ़ा फिर से बीएसपी के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए। उनके अलावा चार अन्य उम्मीदवार बीएसपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे। दस साल बाद गुढ़ा ने एक फिर मायावती को दगा देते हुए सभी बीएसपी विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए। सीएम अशोक गहलोत ने इसबार फिर पुरस्कृत करते हुए उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी थी।

बता दें कि राजस्थान भी देश के उन पांच राज्यों में शुमार है, जहां इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं।

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