Sachin Pilot: अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में सचिन, गहलोत से टकराव चरम पर, अगले सियासी कदम पर निगाहें

Sachin Pilot: पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर वसुंधरा राजे के कार्यकाल के भ्रष्टाचार के मामलों को दबाने और वसुंधरा से सांठगांठ का बड़ा आरोप तक लगा डाला।

Update:2023-04-10 20:25 IST

Sachin Pilot: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट का तीखा तेवर कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। रविवार को सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया। पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर वसुंधरा राजे के कार्यकाल के भ्रष्टाचार के मामलों को दबाने और वसुंधरा से सांठगांठ का बड़ा आरोप तक लगा डाला। उन्होंने इस मुद्दे पर 11 अप्रैल को शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करने का भी ऐलान किया है। सचिन पायलट के इस ऐलान से माना जा रहा है कि वे आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रहे हैं।

पायलट के इस कदम के बाद कांग्रेस का नेतृत्व सतर्क होकर डैमेज कंट्रोल में जुट गया है। पार्टी के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा सचिन पायलट के इस तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस करने और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घेरने से सख्त नाराज बताए जा रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पायलट को इस तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस में बयानबाजी करने की जगह पहले इस मुद्दे पर मुझसे बात करनी चाहिए थी। सियासी जानकारों का मानना है कि राजस्थान में अब कांग्रेस के दोनों दिग्गजों के बीच टकराव चरम पर पहुंच चुका है और आने वाले दिनों में बड़ी सियासी उठापटक दिख सकती है।

पायलट ने दिखाए तीखे तेवर

पायलट ने रविवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान तीखे तेवर दिखाते हुए गहलोत पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने मीडिया के लोगों को वह वीडियो भी दिखाया जिसमें अशोक गहलोत वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराने की बात कह रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि विपक्ष में रहने के दौरान हम लोगों ने जनता से भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराने का वादा किया था मगर गहलोत के कार्यकाल के दौरान इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।

उन्होंने गहलोत पर वसुंधरा से सांठगांठ का बड़ा आरोप तक लगा डाला। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में महज 6-7 महीने बचे हैं और इसलिए सरकार को तेजी से एक्शन लेना होगा ताकि हम जनता के बीच साबित कर सकें कि हमारी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है।

11 अप्रैल को अनशन के पीछे की रणनीति

पायलट की ओर से 11 अप्रैल को अनशन किए जाने की घोषणा सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पायलट ने खुद कहा कि 11 अप्रैल को महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती है और इसलिए मैं उस दिन अनशन पर बैठूंगा। खास बात यह है कि फुले भी सैनी समुदाय से जुड़े हुए थे जिस समुदाय से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी ताल्लुक है। माना जा रहा है कि इसी कारण पायलट ने सोची-समझी रणनीति के तहत 11 अप्रैल को अनशन पर बैठने का ऐलान किया है।

वरिष्ठ मंत्री ने किया पायलट का समर्थन

इस बीच राज्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पायलट की मांगों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि वे पायलट की ओर से उठाए गए मुद्दों से पूरी तरह सहमत हैं। पार्टी ने विपक्ष में रहने के दौरान जो वादे किए थे, उन पर अमल करने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।

पार्टी ने वसुंधरा राज के भ्रष्टाचार का मामला उठाया था तो इस मामले में कार्रवाई करना भी जरूरी है। उन्होंने सचिन पायलट को पार्टी की धरोहर बताते हुए कहा कि राहुल गांधी ने खुद इस बात को स्वीकार किया है। राज्य के वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि वे पायलट की ओर से उठाए गए मुद्दों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बातचीत करेंगे।

बैठकों में नहीं उठाया भ्रष्टाचार का मुद्दा

दूसरी ओर राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा पायलट की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घेरने के इस कदम से काफी नाराज हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पायलट को इस तरह से अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनने के बाद उनकी पायलट के साथ करीब 20 बैठकें हो चुकी हैं और इस दौरान पायलट ने कभी भ्रष्टाचार के उन मुद्दों को नहीं उठाया जिनकी बात आज वे कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कार्रवाई की गई है जिसे लेकर शेखावत ने सीएम के खिलाफ मानहानि का मामला भी दायर किया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में बिजली बिलों पर छूट, सिलेंडर पर सब्सिडी, किसानों की कर्ज माफी, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने और नए जिलों के सृजन जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं मगर पायलट ने इन मुद्दों की कोई चर्चा नहीं की। उन्हें मीडिया के बीच सरकार के सकारात्मक कामों की चर्चा करनी चाहिए थी।

पार्टी नेतृत्व को सख्त संदेश देने की कोशिश

पायलट की ओर से उठाए गए इस कदम के पीछे माना जा रहा है कि उन्होंने एक बार फिर राजस्थान में नेतृत्व का मुद्दा हल करने का दबाव बढ़ा दिया है। पार्टी नेतृत्व ने अभी तक इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल रखा है मगर पायलट इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। इससे पूर्व भी पायलट गहलोत के खिलाफ बगावती तेवर दिखा चुके हैं और अब उन्होंने एक बार फिर पार्टी नेतृत्व को सख्त संदेश देने की कोशिश की है।

वैसे कांग्रेस के दोनों दिग्गजों के बीच चल रही इस खींचतान से पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर ग्रहण लगने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। भाजपा कांग्रेस के दोनों दिग्गजों के बीच पैदा हुए इस टकराव का सियासी फायदा उठाने की कोशिश में जुट गई है।

क्या गुल खिलाएगा बेनीवाल का ऑफर

आरएलपी के संयोजक और सांसद हनुमान बेनीवाल ने अभी दो दिन पूर्व पायलट को कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाने की सलाह दी थी। उनका कहना था कि अगर पायलट कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाते हैं तो हम उनके साथ गठबंधन करने के लिए तैयार हैं।

बेनीवाल के मुताबिक इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए राह आसान नहीं है। ऐसे में हम पायलट के साथ मिलकर भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। पायलट ने बेनीवाल के इस ऑफर पर अभी खुलकर कोई बयान नहीं दिया है और इस कारण उनके अगले सियासी कदम पर सबकी निगाहें लगी हुई है।

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