दिलीप कुमार से मधुबाला को था बेइंतहा प्यार, इस शख्स की खातिर ठुकरा दिया था प्रस्ताव
जयपुर: उनकी मुस्कान ऐसी थी कि जो एक बार देख ले, उसे कई रातों तक नींद न आए। उनके चेहरे की मासूमियत किसी बच्चे की अताढ़ थी, चेहरे पर चांद सा नूर, पर फिर भी ना जाने क्यों उनसे हर कोई दूर सा था? हम बात कर रहे हैं अपने जमाने की बला की खूबसूरत एक्ट्रेस मधुबाला की। 14 फरवरी को उनका जन्मतिथि है। उनकी फ़िल्मी करियर के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन कुछ ऐसे फैक्ट्स हैं, जो शायद ही दुनिया वाले जानते होंगे। बॉलीवुड में 'नीलकमल', 'महल', 'फागुन', 'हावरा ब्रिज', 'काला पानी', 'चलती का नाम गाड़ी' और 'मुगल-ए-आजम' जैसी फिल्मों से छा जाने वाली मधुबाला के चार्मिंग और खूबसूरत चेहरे को तो सबने देखा, लेकिन असल जिंदगी में उनके दुःख को शायद ही किसी ने जाना होगा। मधुबाला के जन्मदिन पर उनकी लाइफ से जुड़े कुछ अनसुने फैक्ट्स।
मधुबाला और दिलीप कुमार की लव स्टोरी तो सभी जानते हैं। पर उसके पीछे की हकीकत शायद ही कोई जानता होगा। 1951 में दिलीप कुमार और मधुबाला ने दिलीप कुमार के साथ फिल्म 'तराना' में काम किया था। तभी मधुबाला को दिलीप कुमार से प्यार हो गया। शूटिंग के दौरान मधुबाला ने दिलीप कुमार को एक लेटर भेजा। उस ख़त में उन्होंने अपने दिल की बात बड़ी ही सादगी से लिखी थी। लेटर में गुलाब के साथ उन्होंने लिखा 'अगर अप मुझे चाहते हैं, तो इसे क़ुबूल फरमाइए नहीं तो वापस कर दीजिए।'अच्छी बात यह रही कि उस फूल को दिलीप कुमार ने ख़ुशी-ख़ुशी क़ुबूल कर लिया और उस दिन से मधुबाला की मोहब्बत की कहानी शुरू हुई।
मधुबाला की लव स्टोरी में कोई और नहीं बल्कि उनके पिता ही विलेन बनने लगे। दरअसल मधुबाला की कमाई से ही उनके पूरे घर का खर्चा चलता था। ऐसे में उनके पिता कतई नहीं चाहते थे कि मधुबाला किसी के प्यार में पड़ें। वह मधुबाला को लेकर शूटिंग सेट पर इतने ज्यादा स्ट्रिक्ट थे कि कोई उनसे मिलने नहीं जा पाता था। लेकिन बावजूद इसके यह दोनों मिलने का कोई न कोई तरीका ढूंढ ही लेते थे। फिल्म 'मुग़ल-ए-आजम' इनकी लव स्टोरी का इम्पोर्टेन्ट हिस्सा रही। इस फिल्म को बनने में 10 साल का लंबा टाइम लगा। शूटिंग के शुरू होने पर मधुबाला और दिलीप कुमार की लव स्टोरी शुरू हुई। तो शूटिंग ख़त्म होते-होते इनकी लव स्टोरी का सच में भी द एंड हुआ। कहा जाता है कि खुद दिलीप कुमार चाहते थे कि मधुबाला ही उनकी 'अनारकली' बनें।
प्यार इस कदर परवान चढ़ रहा था कि मद्रास में एक फिल्म की शूटिंग कर रहे दिलीप कुमार मधुबाला के साथ ईद मनाने के लिए खास तौर पर मुंबई आए। यह खबर जब मधुबाला के पिता को पता चली, तो जमकर हंगामा हुआ। उनके पिता किसी भी कीमत पर दोनों के प्यार के एक्सेप्ट करने को तैयार नहीं थे। मधुबाला के सामने कंडीशन आ गई कि पिता और प्यार में से उसे किसी को चुनना पड़े।
दिलीप कुमार को भी मधुबाला के पिता की दखलंदाजी पसंद नहीं थी। पर मधुबाला न तो पिता को छोड़ सकती थी और ना ही दिलीप कुमार को। 1956 में फिल्म 'धाके की मलमल' की शूटिंग के टाइम दिलीप कुमार ने मधुबाला के सामने जो शर्त रखी, उसने मधुबाला को अंदर से हिलाकर रख दिया शर्त यह थी कि 'अगर तुम्हें मुझसे प्यार है, तो अपने पिता से सारे रिश्ते हमेशा के लिए तोड़ने होंगे।' दिलीप कुमार ने यह भी कहा कि 'अगर आज मैं यहां से अकेले चला गया, तो कभी भी वापस नहीं आऊंगा।' लड़की चाहे कितनी ही मजबूत क्यों न हो, पर अपने पिता से हमेशा के लिए रिश्ता नहीं तोड़ सकती। ऐसा ही कुछ हुआ मधुबाला के साथ।
अपनी बात कहते हुए दिलीप कुमार उनके कमरे से बाहर चले कमरे से क्या? दिलीप उस दिन, उस पल से उनकी जिंदगी से ही चले गए। मधुबाला मजबूर थी वह आंखों में आंसू भरे दिलीप कुमार को जाते हुए देखती रही। उन्हें लग रहा था कि उनका सबकुछ उनसे दूर जा रहा था, पर वह कुछ नहीं कर पाई। इसके बाद जब फिल्म 'नया दौर' से मधुबाला को बाहर किया गया, तो मामला कोर्ट तक पहुंचा। दिलीप कुमार और मधुबाला का जब कोर्ट में आमना-सामना हुआ, तो दोनों के अंदर की मोहब्बत जाग उठी। मधुबाला तब और भी ज्यादा टूट गई, जब अदालती कार्रवाई के दौरान दिलीप कुमार ने मधुबाला को खरी-खोटी सुनाई।
इन सारी बातों के बावजूद दिलीप कुमार अपनी मोहब्बत को छिपा नहीं सके। आखिरी में उन्होंने कह ही दिया 'योर ऑनर, मैं इस औरत से प्यार करता हूं और अपनी लाइफ के आखिरी टाइम तक इससे प्यार करता रहूंगा।' उसके बाद दोनों में सालों तक मुलाक़ात नहीं हुई दिलीप कुमार ने अपनी एक किताब में भी लिखा है कि वह जीना चाहती थी। उन्हें दिल में छेड़ की बीमारी थी किस्मत को मंजूर नहीं था कि यह दोनों दोबारा मिलें।
मधुबाला की किस्मत इतनी ज्यादा खराब रही कि मात्र 33 साल की उम्र में जब उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा, उस टाइम दिलीप कुमार मुंबई में नहीं थे। शाम को जब वह वापिस आए, तब तक मधुबाला को सुपुर्द ए ख़ाक किया जा चुका था। दिलीप कुमार के पास रोने के अलावा कोई चारा नहीं था। उन्हें आज भी अफ़सोस है कि वह मधुबाला से नहीं मिल पाए। कब्रिस्तान जाकर वह घंटों उनकी कब्र के पास खड़े रहे और एकटक देखते रहे पर मधुबाला की मुस्कान आज भी लोगों के दिलों पर कायम है।