सवाई जयसिंह वो प्रतापी महाराजा, जिन्होंने कराया था 3 करोड़ लोगों को भोज...
अपनी स्थापत्य कला और खूबसूरती के लिए विश्वभर में ‘गुलाबी नगरी’ के नाम से विख्यात राजस्थान की राजधानी जयपुर को दुनिया के सबसे सुन्दर शहरों में शुमार किया जाता है।
Sawai Jai Singh: अपनी स्थापत्य कला और खूबसूरती के लिए विश्वभर में 'गुलाबी नगरी' के नाम से विख्यात राजस्थान की राजधानी जयपुर को दुनिया के सबसे सुन्दर शहरों में शुमार किया जाता है। जयपुर अपने विशालकाय महलों और गढ़ के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। इस सुन्दर शहर का निर्माण काफी वर्षों पहले जयपुर के राजा सवाई जयसिंह ने करवाया था। सवाई जयसिंह को सबसे प्रतापी शासक भी माना जाता है। सवाई जयसिंह ने 18 नवंबर 1727 को जयपुर शहर की नींव रखी थी। पूरा शहर शतरंज के आकार में बसाया गया। जयपुर की सीमा 9 मील की थी, जिसे ब्रह्मांड में नौ ग्रहों के नवनिधि सिद्धांत पर वास्तुकला के आधार पर नौ चौकड़ियों में बसाया गया।
आखिर हम आपको आज ये सब क्यों बता रहे हैं। पहले आप वो जान लीजिए। जयपुर शहर को बसाने वाले सवाई जयसिंह के अपमान का मामला सामने आया है। उज्बेकिस्तान के फेमस शहर समरकंद की वेधशाला के बाहर लिखे गए शिलालेख में जयसिंह पर इस आपत्तिजनक टिप्पणी से लोगों में नाराजगी है। वेधशाला के शिलालेख में जयसिंह को बाबर के वंशज मुहम्मद शाह का नौकर लिखा गया है। इसको लेकर अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बेटी और पूर्व टीआरएस सांसद के कलवाकुन्तल कविता ने कड़ी आपत्ति जताते हुए विदेश मंत्री काे विरोध दर्ज कराते हुए ट्वीट किया और लेटर भी लिखा है। जयपुर के पूर्व राजघराने ने भी इस पर विरोध जताया है।
वो राजा जिसने कराया था 3 करोड़ लोगों को भोज:
इतिहासकारों के अनुसार जयपुर जैसे खूबसूरत शहर की स्थापना पर राजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस अश्वमेध यज्ञ के लिए जयपुर के राजा ने देश के अन्य राज्यों से विशेष पंडितों को आमंत्रित किया था। जहां ये पंडित ठहरे थे उस जगह को बाद में ब्रह्मपुरी के रूप में पहचान मिली थी। बताया जाता है कि यह अश्वमेध यज्ञ एक साल से भी अधिक समय तक चला था। उस अश्वमेध यज्ञ में जयपुर के राजा सवाई जयसिंह और रानी ने 3 करोड़ लोगों को भोजन करवाने का संकल्प किया था। कहा जाता है जब तक यह अश्वमेध यज्ञ चला तब तक राजा के द्वारा लोगों को जिमाने का काम भी चलता रहा।
12 साल की उम्र में ही राजगद्दी पर बैठ गए थे सवाई जयसिंह:
1700 में आमेर नरेश विष्णु सिंह की काबुल में मृत्यु होने के बाद उनके पुत्र जयसिंह को 12 साल की उम्र में राजगद्दी पर बैठा दिया गया। खगोल विद्या और वास्तुकला में उन्हें महारथ हासिल थी। जयपुर में उनके द्वारा बनाया गया जंतर-मंतर इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण देखने को मिलता है। कहा जाता है कि नेहरू जी ने जयपुर शहर की बनावट देख सवाई जयसिंह की प्रशंसा करते हुए लिखा था कि 'जयपुर के शहर का नक्शा इतना अच्छा और बुद्धिमानी से तैयार किया गया था कि यह अब भी नगर निर्माण की एक मिसाल पेश करता है।
खगोल विज्ञान का अद्भुत नमूना है जंतर मन्तर:
बता दें जयपुर के निर्माता सवाई जयसिंह एक विलक्षण गणितज्ञ, नगर नियोजक, खगोल विज्ञान विद्या में निपुण और ज्योतिष शास्त्र के प्रखंड विद्वान थे। उन्होंने जयपुर शहर की संरचना पूरी दुनिया के प्रसिद्ध नगरों के नक्शों का अध्ययन कर ज्योतिष और वास्तुशास्त्र के आधार पर करवाई थी। जय सिंह द्वितीय को स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना जंतर मन्तर के निर्माण के लिए जाना जाता है। जन्तर-मन्तर में पत्थरों को जोड़कर बड़े-बड़े यंत्र बनवाए। खगोल विज्ञान का ऐसा अद्भुत नमूना पूरी दुनिया में दूसरा नहीं है।