सरकार की मुआवजा नीति पर उठ रहे सवाल, जिआउल हक और अखलाक से तुलना

Update: 2016-06-04 10:31 GMT

लखनऊ: मथुरा के जवाहर बाग में पुलिस और अवैध कब्जाधारियों के बीच हुई झड़प में एडिशनल एसपी और एसओ की मौत के बाद एक तरफ जहां सरकार पर सवाल उठ रहे हैं वहीं सरकार की मुआवजा नीति पर भी सवाल उठने लगे हैं। इससे पहले भी राज्य सरकार पर मुआवजा राशि में अंतर को लेकर भेदभाव के आरोप लगते रहे हैं।

सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप

सरकार की मुआवजा नीति पर सिर्फ राजनैतिक हंगामा नहीं मच रहा, बल्कि सोशल मीडिया पर भी आम लोग सवाल उठा रहे हैं। बीजेपी की फायर ब्रांड साध्वी प्राची का कहना है, यह सरकार सिर्फ मुस्लिमों का तुष्टिकरण और हिंदुओं का शोषण कर रही है।'

योगी ने भी साधा निशाना

वहीं शुक्रवार को योगी आदित्यनाथ ने भी इस संबंध में सरकार को निशाने पर लिया था। उन्होंने कहा था, 'सरकार गोवंश के हत्यारों को 40 से 60 लाख रुपए दिए जाते हैं जबकि शहीदों को बीस लाख की भीख।'

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

राजनैतिक हलके से अभी यह आवाज मंद भी नहीं पड़ी थी, कि सोशल मीडिया ने इसे और बुलंद कर दिया। इस बार लोगों ने प्रतापगढ़ में शहीद जिया-उल हक को मिले मुआवजे की बात उठने लगे हैं। जिसमें सरकार ने ना सिर्फ मुआवजा ही दिया था बल्कि उनके परिजनों के अलावा पांच रिश्तेदारों को भी नौकरी देने जा रही थी। लेकिन कोर्ट के दखल के बाद सिर्फ तीन लोगों को ही नौकरी दी गई थी।

अखलाक और जियाउल हक का मुद्दा भी उठा

फेसबुक सहित और अन्य सोशल मीडिया पर उठाए जा रहे सवाल में यह भी पूछा जा रहा है कि आखिर अखलाक और जियाउल हक को इतना मुआवजा, तो शहीद एडिशनल एसपी मुकुल और एसओ को सिर्फ बीस लाख क्यों ?

शहीदों के मुआवजे में भेदभाव क्यों ?

सोशल मीडिया पर बात यहीं नहीं थम रही। लोग यहां लिख रहे हैं, कि अगर एसओ संतोष यादव और एडिशनल एसपी को जोड़ भी लिया जाए तो दोनों को मिलने वाला मुआवजा अखलाख के बराबर भी नहीं है। यदि यही तुलना जिया उल हक से करनी पड़े तो ना जाने कितने जवानों को शहीद होना पड़ेगा।

क्या कहती है कांग्रेस ?

कांग्रेस प्रवक्ता वीरेंद्र मदान ने कहा, इस मुद्दे पर सरकार को अपना रुख साफ करना चाहिए और ऐसे मामलों में शहीद के परिजनों का पूरा ख्याल रख जाना चाहिए।

क्या कहती है भाजपा ?

भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने पूछा- ऐसा भेदभाव आखिर क्यों ? सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्ट मुआवजा नीति बनानी चाहिए। पूर्व में दिए गए मुआवजों के आधार पर ही शहीदों को मुआवजा देना चाहिए।

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