जन्म दिन विशेष: अचला नागर ने तलाक पर उठाई आवाज, देश में बन गया कानून
अपने पिता की छत्रछाया में साहित्य के क्षेत्र में नाम कमाने वाली डा. अचला नागर ने एक साहित्यकार के रूप में उनके दो उनके दो कथा संग्रह क्रमश: नायक-खलनायक और बोल मेरी मछली तथा एक संस्मरण संग्रह बाबूजी बेटाजी एंड कंपनी प्रकाशित है।
श्रीधर अग्निहोत्री
मुंबई: केन्द्र की मोदी सरकार ने वर्षो पुरानी तीन तलाक कुप्रथा के खिलाफ देश में जो कानून बनाया है उस कुप्रथा को लेकर सबसे पहले आवाज जानी मानी फिल्म लेखिका अचला नागर ने उठाई थी। फिल्म निकाह के माध्यम से उन्होंने मुस्लिम समाज में जमी इस कुप्रथा के बारे में लोगों को बताया था। आज उन्हीं अचला नागर का जन्म दिन है। अचला नागर सुप्रसिद्व लेखक अमृत लाल नागर की सुपुत्री हैं।
कई सफल फिल्मों की कहानियां लिखी हैं
उनका जन्म दो दिसम्बर 1939 को लखनऊ में हुआ था। उन्होंने हिन्दी साहित्य के अलावा कई सफल फिल्मों की कहानियां लिखी है। डा. अचला नागर निकाह (1982), आखिर क्यों (1985), बागबान (2003), ईश्वर (1989,फिल्म पटकथा), मेरा पति सिर्फ मेरा है (1990), निगाहें (1989), नगीना (1986) आदि उनकी प्रदर्शित प्रमुख फिल्में हैं। उनकी पटकथाओं में रिश्ते-नाते, जवाबदारियाँ, वफाएँ, प्रेम, जज्बात एवं निबाह के छोटे-छोटे दृश्य इतने सशक्त होते हैं कि दर्शक उनसे बँधा रहता है।
संस्मरण संग्रह बाबूजी बेटाजी एंड कंपनी
अपने पिता की छत्रछाया में साहित्य के क्षेत्र में नाम कमाने वाली डा. अचला नागर ने एक साहित्यकार के रूप में उनके दो उनके दो कथा संग्रह क्रमश: नायक-खलनायक और बोल मेरी मछली तथा एक संस्मरण संग्रह बाबूजी बेटाजी एंड कंपनी प्रकाशित है। उन्हें साहित्य भूषण पुरस्कार, हिन्दी उर्दू साहित्य एवार्ड कमेटी सम्मान, यशपाल अनुशंसा सम्मान, साहित्य शिरोमणि आदि से सम्मानित किया जा चुका है।
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