Mother's Day 2020: मां की ऐसी है ममता, एक कमजोर बुद्धि बालक को बनाया आविष्कारक

हर किसी की जिन्दगी में मां की क्या एहमियत होती है इसे शब्दोन में नहीं बयां किया जा सकता। मां सभी के लिए वो टॉनिक है जो उसकी हर थकान हर उदासी दूर कर देती है।

Update:2020-05-08 21:32 IST

मां ये एक शब्द नहीं ये गर्व है। ये सम्मान है। हमारा गुरूर। हम मां के लिए सिर्फ कोई दिन निर्धारित कर ही नहीं सकते। मां तो वो है जिसके बिना हमारा कोई भी दिन गुजर ही नहीं सकता। ऐसे में हम मान के लिए कोई एक दिन निर्धारित कर दे ये कैसे हो सकता है। लेकिन दुनिया की न जाने कितनी परम्पराओं की तरह मां केलिए भी एक दिन निर्धारित किया गया है। जिसे हम सभी 'मदर्स डे' के नाम से जानते हैं। मदर्स डे की शुरुआत तो कई वर्ष पूर्व सन 1912 में हुई थी।

मदर्स डे माताओं के सम्मान के लिए मनाया जाता है। लेकिन ये सम्मान हमें सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि रोज करना चाहिए। 1912 एना जार्विस नाम की एक महिला ''सेकंड सन्डे इन मे'' यानी मई माह का दूसरा रविवार और मदर्स डे जैसे शब्दों का आरम्भ किया। तबसे ही दुनिया के हर देश में मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है।

मां आखिर मां होती है

हर किसी की जिन्दगी में मां की क्या एहमियत होती है इसे शब्दोन में नहीं बयां किया जा सकता। मां सभी के लिए वो टॉनिक है जो उसकी हर थकान हर उदासी दूर कर देती है। वो मां ही है जो हमारी खामोशी को भी समझ लेती है। वो एक मां ही है जो मेरे लिए कितने भी दिन भूखी रह सकती है। एक मां ही है जिसको कैसा भी हो अपना बच्चा प्यारा ही लगता है। मां वो है जो हम नहीं होते हैं हमें वो भी बना देती है। एक मां के लिए उसका बच्चा कैसी भी शकल का हो वो सलमान खान ही लगता है। एक मां ही है जिसका बच्चा भले पढ़ाई लिखाई में जीरो हो वो उसे आइन्सटीन और एडिसन से कम नहीं समझती।

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आज हम आपको बताने जा रहे हैं बिजली के बल्ब का आविष्कार करने वाले महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन और उनकी मां से जुड़ी एक कहानी के बारे में। वैसे तो हम सब जानते हैं कि एडिसन की बौद्धिक क्षमता क्या थी। लेकिन क्या एडिसन प्रारम्भ से ही इतने होशियार और तीव्र बुद्धि वाले थे। लेकिन कैसे एक मां ने एल कमजोर बुद्धि वाले बालक को दुनिया का महान वैज्ञानिक बना दिया।

मां ने बनाया एक कमजोर बुद्धि के बालक को एडिसन

12 वर्षीय थॉमस एडिसन उस समय प्राइमरी स्कूल के छात्र थे। एक दिन एडिसन अपने घर आए और अपने अध्यापक द्वारा दिए गय ख़त को अपनी मां को देते हुए बोले – मेरे टीचर ने इस ख़त को सिर्फ आपको देने को कहा है। मां ने एडिसन से लेकर उस ख़त को पढ़ा। ख़त पढ़ने के बाद मां की आँखों में आंसू आ गए। मां की आँख में आंसू देख कर एडिसन ने मां से पूछा कि मां ख़त में क्या लिखा है। मां ने आंसू पोछते हुए बोला बेटा इसमें लिखा है आपका बच्चा बहुत होशियार और जीनियस है। हमारा स्कूल आपके बच्चे के लिए बहुत छोटे स्तर का है और हमारे अध्यापक बहुत प्रशिक्षित नहीं है। हम इसे पढ़ा नहीं सकते।

आप इसे स्वयं शिक्षा दें। इस दिन के बाद एडिसन के मां ने उसे घर में पढाया और उसके हर experiments में उसकी मदद की। कई वर्ष बीत गये और उनकी माँ का स्वर्गवास हो गया। इस बीच थामस एडिसन एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक बन चुके थे। उन्होंने फोनोग्राफ और इलेक्ट्रिक बल्ब जैसे कई महान अविष्कार कर लिए थे। एक दिन फुर्सत में वह अपने पुरानी यादकर वस्तुओं को देख रहे थे। तभी उन्होंने आलमारी के एक कोने में एक पुराना ख़त देखा और उत्सुकतावश उसे खोलकर देखा और पढ़ा। उस लैटर में लिखा था, “आपका बच्चा बौद्धिक तौर पर काफी कमजोर है। इसलिए हम उसे इस स्कूल से निकाल रहे है।

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एडिसन हैरान रह गये और घण्टों रोते रहे, और उन्होंने फिर अपनी डायरी में लिखा। एक महान माँ ने बौद्धिक तौर पर कमजोर बच्चे को सदी का महान वैज्ञानिक बना दिया। इस लिए कहा जाता है की मां आखिर मां होती है। एक मां चाहे तो अपने बेटे-बेटी के लिए कुछ भी कर सकती है। ऐसी साड़ी माताओं को हमारा सलाम। वो सिर्फ किसी एक दिन के लिए नहीं हैं। उनके बिना हमारा कोई दिन ही नहीं हो सकता।

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